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आदिवासी सीट के लिए गावित-जाधव के बीच टक्कर

locationमुंबईPublished: Apr 28, 2019 06:08:25 pm

Submitted by:

Devkumar Singodiya

राउंड-2: लोकसभा चुनाव-पालघर संसदीय सीट पर मौजूदा और पूर्व सांसद के बीच मुकाबला

आदिवासी सीट के लिए गावित-जाधव के बीच टक्कर

आदिवासी सीट के लिए गावित-जाधव के बीच टक्कर

मुंबई. आदिवासियों के लिए सुरक्षित पालघर लोकसभा सीट पर 29 अप्रेल को मतदान होगा। पालघर संसदीय क्षेत्र में छह विधानसभाएं हैं-जिनमें डहाणू, विक्रमगड, पालघर, बोईसर, नालासोपारा और वसई विधानसभा शामिल हैं। इनमें से वसई, नालासोपारा और बोईसर विधानसभा बीविआ के पास है। पालघर में शिवसेना का विधायक है जबकि विक्रमगड और डहाणू विधानसभा पर भाजपा का कब्जा है। खास यह कि आदिवासी के लिए सुरक्षित पालघर लोकसभा के चार विधानसभा क्षेत्र एसटी के लिए आरक्षित हैं। कुल 12 प्रत्याशी मैदान में हैं। आदिवासी इलाकों में कुपोषण यहां की सबसे बड़ी चुनौती है। यहां भाजपा-शिवसेना महायुति और कांग्रेस-राकांपा की सहयोगी बहुजन विकास आघाड़ी (बविआ) के प्रत्याशी के बीच मुकाबला है।
भाजपा-शिवसेना के बीच बंटवारे में यह सीट शिवसेना के खाते में गई है। मौजूदा सांसद राजेंद्र गावित भाजपा-शिवसेना-रिपाई महायुति के उम्मीदवार हैं। पिछली बार भाजपा के टिकट पर जीते थे। फिलहाल वे शिवसेना के उ मीदवार हैं। गावित का मुकाबला बविआ के बलिराम जाधव से है, जिन्हें कांग्रेस-राकांपा महाआघाड़ी का समर्थन है। जहां तक बलिराम जाधव का सवाल है तो वे भी पालघर लोकसभा सीट का प्रतिनिधित्व संसद में कर चुके हैं।
बतौर सांसद गावित को Óयादा समय नहीं मिल पाया। उप-चुनाव में जीत के बाद वे संसद पहुंचे थे। गावित के बारे में आम धारणा यही है कि वे आम लोगों से जुड़े हैं। दिवंगत सांसद चिंतामण वनगा के निधन के बाद 2018 में इस सीट पर उप-चुनाव हुआ था। टिकट कटने से नाराज वनगा परिवार ने भाजपा का साथ छोड़ शिवसेना का दामन थाम लिया। उप-चुनाव में गावित को जीत मिली। उन्होंने शिवसेना के श्रीनिवास चिंतामन वनगा को हराया था। बविआ तीसरे नंबर पर रही और सीपीआई (एम) चौथे स्थान पर खिसक गई। हालांकि, सीपीएम इस बार चुनाव नहीं लड़ रही है, उसने बविआ प्रत्याशी को समर्थन दिया है।
पालघर संसदीय क्षेत्र के लोगों का मूड भांपने का प्रयास पत्रिका ने किया। वसई में डॉक्टर धीरज सिंह ने बताया कि इस बार का चुनाव दिलचस्प है। दोनों प्रत्याशियों के बीच कांटे की टक्कर है। थोड़ा और आगे बढऩे पर रेस्टोरेंट मालिक रत्नाकर शेट्टी से मुलाकात हुई। बातचीत में शेट्टी ने कहा, 2014 में मोदी लहर थी, जिसमें वनगा जीत गए थे। बीते पांच साल में शिवसेना और भाजपा ने यहां पर संगठन मजबूत किया है।
बविआ का भी मजबूत आधार है। इसलिए कहना मुश्किल है कि जीत किसकी होगी। लेकिन मुकाबला रोचक है। किराने की दुकान चलाने वाले शांता राम गुप्ता ने कहा, भाई कोई भी जीते, हमें तो अपना काम ही करना है। हमारी दुकान पर सब तरह के लोग आते हैं। कोई कहता है इस बार जाधव साहब का चांस लग रहा है,तो कोई कहता है गावित ही जीतेंगे। मराठी भाषी वोट पर सबकी नजर है। हिंदी भाषी और ईसाई वोट निर्णायक साबित होंगे।

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