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आईआईटी बॉम्बे ने की थी मेक इन इंडिया की पहल

कई नामचीन औद्योगिक कंपनियां कर रही हैं सहयोग, मेक इन इंडिया की सोच को आगे बढ़ाने की ओर यह पहला कदम है

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Vikas Gupta

Jul 19, 2015

Make in India

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मुंबई। सन् 2010 में नेशनल सेंटर फॉर एरोस्पेस इनोवेशन और रिसर्च (एनसीएआईआर) की स्थापना आईआईटी बॉम्बे में हुई थी, जो आईआईटी मुंबई, भारत सरकार के विज्ञान व तकनीकी विभाग और बोइंग कंपनी का संयुक्त उपक्रम है। एनसीएआइआर, एयरोस्पेस इंडस्ट्रीज और आईआईटी मुंबई के सहयोगी के तौर पर कार्य करती है। फिलहाल वर्तमान में इस केंद्र के आठ सहयोगी हैं, जिनमें आईआईटी बॉम्बे, डीएसटी, बोइंग कंपनी, हिन्दुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल)और नेशनल एयरोस्पेस लैबोरेटोरीज (एनएएल) इसके संस्थापक सहयोगी हैं और डीएमजी मोरी, डेल्कॉम व सैंडविक औद्योगिक भी सहयोग कर रही हैं।



भारत की सबसे बड़ी मशीन

मेक इन इंडिया की सोच को आगे बढ़ाने की ओर यह पहला कदम है। साथ ही भारत में विश्वस्तरीय एरोस्पेस पारिस्थितिकी तंत्र के निर्माण के लक्ष्य को प्राप्त करना है। डीएमजी मोरी के साथ मिलकर एनसीएआइआर आयआयटी बॉम्बे में आधुनिक मशीनिंग एक्सिलेंस सेल (एएमईसी) की शुरूआत करने जा रहा है। एएमईसी डीएमजी मोरी मशीन, डीएमसी 125 एफडी डुओ ब्लॉक का एक अंग है, जो चौथी पीढ़ी के अत्याधुनिक औद्योगिक स्केल 5- एक्सिस माइलिंग-टनिंüग मशीन है और यह भारत के किसी भी एज्युकेशनल और रिसर्च इंस्टीट्यूट की सबसे बड़ी मशीन है।





पदाधिकारी रहे उपस्थित

बोइंग रिसर्च एंड टेक्नॉलोजी अमेरिका के वाइस प्रेसिडेंट और जनरल मैनेजर डॉ. गे्रग हाइसलोप आईआईटी बॉम्बे में एएमइसी का उदघाटन किया। इस दौरान उनके साथ विज्ञान व तकनीकी मंत्रालय के सलाहकार एच.के. मित्तल, डॉ. प्रत्युष कुमार, प्रेसिडेंट बोइंग इंडिया और वाइस प्रेसिडेंट बोइंग इंटरनेशनल, प्रो. देवांग ठक्कर, निदेशक आईआईटी बॉम्बे और एनसीएआईआर के औद्योगिक सहयोगियों के पदाधिकारी भी उपस्थित रहे।


मैकेनिकल पुर्जों का भी निर्माण

एएमइसी कांप्लेक्स ज्योमेट्री और उभरी सतहों वाले कंपोनेंट के निर्माण में लगी है, जो आधुनिक एयरोस्पेस में सामान्य तौर पर प्रयोग में लाई जाती है। यह मिलिंग और टर्निंग ऑपरेशन में मिश्रित है और एकल विन्यास है। इसका इस्तेमाल कांप्लेक्स टरबाइन इंजिन के पुर्जे, जैसेकि कंप्रेसर प्लेट्स के निर्माण में प्रयुक्तहोता है। यह हाइड्रोलिक टरबाइन और आटोमोबाइल के लिए मशीन मैकेनिकल पुर्जों का भी निर्माण करती है। एएमइसी अत्याधुनिक न्युमेरिकल कंट्रोल टेक्नोलॉजी का प्रयोग उच्चस्तरीय मशीन के निर्माण में करता है, जिसका इस्तेमाल एरोस्पेस एप्लीकेशन में किया जाता है। बहुआयामी औजारों के प्रयोग से यह आधुनिक एयरोस्पेस सामग्री के निर्माण में सक्षम है, जैसे टिटेनियम और इंकोनेल और साथ ही रीतिगत मैटेरियल जैसे एल्युमिनियम और स्टील के लिए भी सक्षम है। इनके निर्माण में समय की व्यापक बचत भी सामने आई है।


बढ़ाया गया पहला कदम

एएमइसी कटिंग एज रिसर्च, आधुनिक मशीनिंग तकनीकी के डेवेलप्मेंट में सक्षम है। घरेलू एविएशन के बाजारू आवश्यकता के ग्रोथ के आलावा यह विश्व स्तर पर प्रतियोगी भारतीय सामगियों का भी निर्माण करती है। एएमइसी के तकनीकी क्रियात्मकता से अधिक तेजी से एयरोस्पेस मैन्युफैक्चरिंग में योग्य मानव संसाधन की आवश्यकता है। एनसीएआईआर और इसके सहयोगी के सोच और सहयोग से आईआईटी बॉम्बे में एएमईसी की स्थापना मशीन तकनीकी में एक नए युग की शुरूआत है। इनका संयुक्त प्रयास मेक इन इंडिया की ओर बढ़ाया गया पहला कदम है।

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