
मालाड में है माता वैष्णो देवी का दिव्यधाम
विजय यादव की रिर्पोट
मुंबई.
माता वैष्णो देवी की महिमा और आस्था पूरी दुनिया विख्यात है। प्रसिद्ध प्राचीनमान्यता के अनुसार माता वैष्णो के एक परम भक्त श्रीधर की भक्ति से प्रसन्न होकर मां ने उसकी लाज रखी और दुनिया को अपने अस्तित्व का प्रमाण दिया। इसके बाद उस पवित्र धाम में मां वैष्णो के मंदिर के स्थापना हुई। ऐसा ही हुआ मालाड के पांच भक्तों के साथ। मालाड निवासी गिरीश भाई शाह, जगदीश खखर, किशोर वर्मा,अनिल हिंगल व हंसमुख सेठ हर साल मुंबई उपनगर से माता वैष्णो देवी यात्रा का आयोजन करते थे। 1999 में भी हर वर्ष की तरह यह लोग माता वैष्णो देवी की यात्रा पर गए थे। लौटने के बाद इन लोगों को रात में स्वप्न आया कि हमारे मंदिर की स्थापना यहीं पर करो। माता ने इन लोगों को स्वप्न में मंदिर का स्थान भी बता दिया। इन लोगों को स्वप्न की साधारण बात नहीं समझ आई और 18 नवंबर 1999 को मालाड (पूर्व) के सुभाष गल्ली में माँ के मंदिर नींव रख दी। मंदिर निर्माण में लगने वाले सामान की व्यवस्था गिरीश भाई करते हैं। इसी तरह अन्य साथी अलग-अलग जिम्मेदारियों के साथ मंदिर निर्माण में अपनी भूमिका निभाने लगे।
जब हुआ सपना साकार
7 फरवरी 2001 को आखिर इनका स्वप्न साकार हुआ जब पूर्ण विधि-विधान के साथ आम लोगों के दर्शनार्थ माता के किवाड़ खोल दिया गया। माता वैष्णो देवी दिव्य धाम के प्रख्यात इस मंदिर को देखकर पहली नजर में तो यही लगता है कि, हम वाकई जम्मू पहुँच गए हैं। हूबहू उसी तरह माता के दर्शन हेतु गुफाओं व कंदराओं के बीच से होते हुए मुख्य मंदिर तक पहुंचा जाता है।
यहां होती है वाणगंगा की अनुभूति
यहां वाण गंगा तो नहीं है हां उनकी उपस्थिति का अहसास प्रवेश द्वार पर बहते जल के बीच से गुजरते समय स्वयं धुलते पाँव स्वत: बाण गंगा के प्रति मन में आस्था जागृत हैं। ऊपर जाने पर भैरो बाबा के साथ-साथ माता वैष्णो का साक्षात दर्शन होता है। दर्शन के आखिर में बाहर निकलते समय माता के सभी नव रूपों के दर्शन होते हैं।
1500 लोगों को काफिला होता है रवाना
जो श्रद्धालु जम्मू जाकर वैष्णो देवी का दर्शन करने में असमर्थ हैं। उनके लिए माँ वैष्णो यहीं पश्चिम उपनगर में विराजमान हैं। माता वैष्णो देवी फाउंडेशन ट्रस्ट की ओर से यही मंदिर परिसर में मेडिकल सेंटर भी चलाया जाता है, जहाँ आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों को सस्ते दर दवाइयां उपलब्ध कराई जाती है। आज भी जम्मू, कतरा वैष्णो देवी यात्रा का आयोजन मंदिर संचालकों द्वारा किया जाता है। हर साल करीब 1500 लोगों का काफिला यहाँ से जम्मू के लिए रवाना होता है। इनमे बड़े-बुजुर्ग सभी का समावेश होता है। अष्टमी के दिन 1100 कन्याओं की पूजा की जाती है।
Published on:
10 Apr 2019 12:55 am
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