23 दिसंबर 2025,

मंगलवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

मुंबई में टूटा INDI गठबंधन! कांग्रेस नेता का दावा- उद्धव की शिवसेना में अब वो दम नहीं, सारी सीटें हारेगी

Lok Sabha Elections 2024: कांग्रेस नेता ने सवाल उठाया है कि आखिर किस आधार पर उद्धव ठाकरे को मुंबई में पांच लोकसभा सीटें दी गईं?

3 min read
Google source verification

मुंबई

image

Dinesh Dubey

Apr 02, 2024

india_alliance.jpg

महाराष्ट्र में कांग्रेस, शिवसेना (यूबीटी) और एनसीपी (शरद पवार) के महाविकास अघाडी गठबंधन में कई लोकसभा सीटों को लेकर रस्साकशी चल रही है। जिसमें मुंबई की भी दो सीटें शामिल है। उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना ने मुंबई की छह में से पांच लोकसभा सीटों पर अपना उम्मीदवार उतारने का ऐलान किया है।

महाराष्ट्र में लोकसभा चुनाव के पहले चरण के मतदान में अब सिर्फ 17 दिन बचे हैं, लेकिन जोरदार प्रचार और शक्ति प्रदर्शन तो छोड़िए, अभी तक विपक्षी गठबंधन ने 12 सीटों पर उम्मीदवार भी तय नहीं किया है। इससे राजनीतिक गलियारे में तरह-तरह की चर्चाएं शुरू हो गई हैं। इस बीच कांग्रेस नेता संजय निरुपम (Sanjay Nirupam) ने बड़ा दावा किया है। निरुपम ने कहा कि मुंबई में उद्धव ठाकरे के सभी पांच उम्मीदवार हार जाएंगे, क्योंकि उनकी ताकत अब पहले जैसी नहीं रही है। यह भी पढ़े-Lok Sabha Election 2024: चुनाव प्रचार तो दूर, महाराष्ट्र में सीटों का बंटवारा भी नहीं कर पा रहा पक्ष-विपक्ष, कहां फंसा पेंच?

संजय निरुपम ने मुंबई में कांग्रेस और उद्धव गुट के बीच लोकसभा सीटों का बंटवारा बराबर न होने पर नाराजगी जताई है। एक न्यूज चैनल से बात करते हुए कांग्रेस नेता ने कहा, मैं अभी यह भविष्यवाणी कर रहा हूं... मुंबई में किसी भी सीट पर उद्धव की शिवसेना नहीं जीतेगी। यह मेरा चैलेंज है। 2022 से पहले वाली शिवसेना अब नहीं रह गई है... फूट पड़ने से दमखम घटा है। लेकिन इस बारे में बिना सोचे-समझे ठाकरे गुट ने मुंबई की पांच लोकसभा सीटें मांग लीं। लेकिन उन सभी सीटों पर उनकी हार होगी।

'संजय राउत की मूर्खता का विरोध नहीं करते'

संजय निरुपम ने उद्धव ठाकरे गुट के सांसद संजय राउत पर भी निशाना साधा है। निरुपम ने कहा, संजय राउत ने पहले अपनी शिवसेना पार्टी को खत्म किया, फिर एनसीपी को खत्म किया और अब वह कांग्रेस पार्टी को खत्म करने में लगे हैं। एक भी कांग्रेसी नेता संजय राउत की मूर्खता का विरोध नहीं करता।

सीट शेयरिंग पर उठाये सवाल

वर्तमान समय में प्रत्येक पार्टी के वोट बैंक को देखते हुए कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी है। क्योंकि शिवसेना और एनसीपी दो धड़ों में बंट गई हैं। लेकिन सीट शेयरिंग के दौरान किसी ने इस मुद्दे पर ध्यान नहीं दिया।

मुंबई की बात करें तो एक भी कांग्रेस नेता ने ज्यादा लोकसभा सीटों के लिए जोर नहीं डाला। जब पहली बार लोकसभा सीट आवंटन पर चर्चा हुई थी, तो कांग्रेस ने मुंबई में छह में से तीन सीटें मांगी थीं। इसमें दक्षिण मध्य, उत्तर मध्य और उत्तर पश्चिम मुंबई निर्वाचन क्षेत्र शामिल थे।

'बीजेपी से डरी उद्धव सेना'

हालांकि, अब 20 दौर की चर्चा के बाद कांग्रेस को सिर्फ एक सीट मिली है। बाकि सीटें उद्धव की शिवसेना ले गई। कांग्रेस को सिर्फ उत्तर मध्य मुंबई सीट मिली है। जहां उद्धव ठाकरे का आवास ‘मातोश्री’ है। फिर भी यह सीट ठाकरे गुट को नहीं चाहिए। संजय निरुपम ने सवाल उठाया कि उद्धव गुट ने कांग्रेस को यह सीट इसलिए दी है, क्योंकि उन्हें यहां सीधे तौर पर बीजेपी से मुकाबला करने से डर लगता हैं क्या?

उद्धव को मुंबई में पांच सीटें किस आधार पर दी गईं? क्योंकि शिवसेना अब पहले वाली शिवसेना नहीं रही और पता नहीं उनके पास कितना जनसमर्थन है। उद्धव ठाकरे के प्रति सिर्फ सहानुभूति है और ये सहानुभूति कितने वोटों में तब्दील होगी, इसका अंदाजा अभी नहीं लगाया जा सकता।

मुंबई उत्तर मध्य निर्वाचन क्षेत्र में महायुति और महाविकास अघाडी दोनों ने अपने प्रत्याशी तय नहीं किए हैं। इस सीट पर पिछले 10 साल से बीजेपी की पूनम महाजन सांसद हैं। कहा जा रहा है कि इस बार उनका टिकट बीजेपी काट सकती है।

संजय निरुपम क्यों खफा!

बता दें कि शिवसेना (यूबीटी) ने मुंबई उत्तर-पश्चिम लोकसभा सीट से अमोल कीर्तिकर को उम्मीदवार बनाया है। अमोल के पिता गजानन कीर्तिकर इस सीट पर मौजूदा सांसद हैं। गजानन कीर्तिकर अब एकनाथ शिंदे नीत शिवसेना में हैं। जिस वजह से कांग्रेस नेता संजय निरुपम नाराज हैं। उन्होंने अमोल कीर्तिकर पर घोटाले में शामिल होने का आरोप लगाकर उनकी उम्मीदवारी पर आपत्ति जताई है।

दरअसल मुंबई उत्तर-पश्चिम सीट से निरुपम ने 2019 लोकसभा चुनाव लड़ा था। लेकिन तब शिवसेना के उम्मीदवार गजानन कीर्तिकर से उन्हें हार का सामना करना पड़ा था। निरुपम फिर इस सीट से चुनाव लड़ना चाहते थे। निरुपम 2014 लोकसभा चुनाव में भी असफल रहे थे।