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maha election: भाजपा के लिए खून -पसीना बहाने वाले टिकट के लिए मोहताज

रहते थे कभी जिनके दिल में हम जान से भी प्यारों की तरह, बैठे हैं उन्ही के कूचे में हम आज गुनहगारों की तरह डटे रहने वाले एकनाथ खडसे , विनोद तावडे , प्रकाश मेहता , राज पुरोहित ,चंद्रशेखर बावनकुले का नाम तीसरी सूचि में नहीं चार दिन पहले शामिल हुए गोपीचंद पड्वलकर, नमिता मूंदड़ा , काशीनाथ पावरा , नितेश राणे , संदीप नाइक को टिकट

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maha election: भाजपा के लिए खून -पसीना बहाने वाले टिकट के लिए मोहताज

maha election: भाजपा के लिए खून -पसीना बहाने वाले टिकट के लिए मोहताज

मुंबई। भाजपा में कुछ नेताओं का हाल ऐसा है कि जिनकी कभी पार्टी में तूती बोलती थी। लेकिन आज उनके साथ गुनाहगारों की तरह व्यवहार किया जा रहा है। पार्टी के गर्दिश के दिनों में अपनी मेहनत और खून -पसीना एक करने वाले टिकट के लिए मोहताज हैं। पिछले 40वर्षों से पार्टी के लिए रात दिन एक कर देने वाले एकनाथ खडसे को टिकट ना मिलने पर जब सवाल पूछते हैं कि मेरा कसूर क्या है तो वे आम -ख़ास लोगों की सहानभूति के पात्र बन जाते हैं। सोसल मिडिया पर जम कर वायरल हो रहे सन्देश में भाजपा से ही सवाल किया जा रहा हैं कि पार्टी के खुद्दार नेताओं को गद्दार किया माना जा रहा है। शुरुवात से ही पार्टी को मजबूत करने से लेकर कार्यकर्ताओं को दिशा देने तक भाजपा में डटे रहने वाले एकनाथ खडसे , विनोद तावडे , प्रकाश मेहता , राज पुरोहित ,चंद्रशेखर बावनकुले आदि वरिष्ठ नेताओं का नाम भाजपा के प्रत्यासियों की तीसरी सूचि में भी नहीं है। पार्टी अब इन्हें कही और स्थापित करने का बहाना देकर बगल करने में लगी है।


खडसे और तावडे का कसूर सिर्फ इतने है कि वर्ष 2014 में राज्य में भाजपा की सत्ता आने के बाद वे मुख्यमंत्री बनने का सपना देखने लगे। तो पार्टी में अन्य दलों से आयें लोगों के लिए सरकार में मंत्री रहे वरिष्ठ नेता राज के पुरोहित , प्रकाश मेहता , चंद्रशेखर बावनकुले को टिकट का सपना देखना मना हैं। पार्टी में गुटबाजी और षड़यंत्र इस कदर बढ़ चूका है कि पार्टी को अधिक समय देने और पूरी निष्ठा के साथ दुःख सुख में खड़े रहने वाले नेता भाजपा में शामिल हुए नए नए नेताओं के आगे मजबूर हो गए हैं।

भाजपा में चार दिन पहले शामिल हुए गोपीचंद पड्वलकर, नमिता मूंदड़ा , काशीनाथ पावरा , नितेश राणे , संदीप नाइक , राणा रंजित सिंह, सहित कई नेता हैं। जो पार्टी में शामिल नहीं हुए की टिकट मिल गया। लेकिन जिन्होंने अपना खून दिया , पसीना दिया , संघर्ष किया वे सिर्फ इन्तजार और आश्वासन पा रहे हैं।

भाजपा स्थापना के साथ ही प्रमोद महाजन ,हरसू अडवानी, गोपीनाथ मुंडे , नितिन गडकरी की टीम में एकनाथ खडसे शामिल थे।खडसे के साथ छात्र संगठन में तेजी से उभरे अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् ( एबीवीपी ) नेता विनोद तावदे , मुंबई की राजनीती में भाजपा को महत्वपूर्ण स्थान दिलाने वाले गुजरती नेता प्रकाश मेहता तो गोपीनाथ मुंडे के करीबी व् मारवाड़ी समाज से बड़े नेता राज पुरोहित को पार्टी ने इस बार टिकट नहीं देने का मन बनाया है। इनके साथ ही नागपुर में गडकरी के करीबी और कई वर्षों से भाजपा को पोषने वाले चंद्रशेखर बावनकुले को भी अबतक टिकट नहीं दिया गया है।

भाजपा ने पिछले 6 वर्षों में तेजी से विस्तार किया है। नरेन्द्र मोदी के पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने के बाद भाजपा ने केंद्र में सत्ता हासिल किया और फिर महाराष्ट्र में सत्ता के साथ कई अन्य राज्यों में विस्तार किया है। लेकिन जिस मूल तत्वों के लिए भाजपा की पहचान थी। आज उन्ही से वह कोसो दूर हो गई है। भाजपा के भीतर अपने को दूर और पराए को महत्त्व दिए जाने की बात स्पष्ट हो रही है। वहीं भ्रष्टाचार की करवाई से बचने के लिए अन्य दलों से आए नेताओं को प्रमुखता से टिकट दिया जा रहा है।