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maha property: फ़्लैट धारक भी होंगे अब अपनी इमारत के जमीन के मालिक

डीम्ड कन्वेंस के बाद प्रॉपर्टी कार्ड में सोसायटी के नाम के साथ फ़्लैट धारकों का नाम होगा दर्ज राज्य में 3 .5 करोड़ से अधिक फ़्लैट धारकों को होगा लाभ जल्द तैयार होगी नियमावली उसके बाद होगा सर्वेक्षण फ़्लैट धारकों के फ़्लैट के आकर के अनुसार ही उन्हें उनके ईमारत के जमीं क्षेत्र में हिस्सा मिलेगा। सोसायटी के कुल जमीन और उसमे रहने वाले फ़्लैट धारकों के फ्लैट क्षेत्र के अनुपात में ही उनका नाम प्रापर्टी कार्ड पर दर्ज किया जायेगा।

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maha property: फ़्लैट धारक भी होंगे अब अपनी इमारत के जमीन के मालिक

maha property: फ़्लैट धारक भी होंगे अब अपनी इमारत के जमीन के मालिक

मुंबई। राज्य में गगन चुंबी इमारतों के फ्लैट धारक को भी अब जिस जमीन पर उनकी ईमारत बनी है उस जमीन का मालिकाना हक मिलेगा। तहसीलदार के पास प्रॉपर्टी कार्ड में फ्लैटधारकों का नाम दर्ज किया जायेगा। डीम्ड कन्वेंस प्रमाण पत्र प्राप्त कर चुके सोसायटियों के फ़्लैट धारकों को इसका लाभ होगा। बुधवार को मंत्रिमंडल की बैठक में राजस्व विभाग के इस प्रस्ताव को मंजूर किया गया। सरकार जल्द ही इस पर नियमावली तैयार करने के लिए एक उच्च स्तरीय समिति गठित करेगी।
सोसायटी के प्रॉपर्टी कार्ड में अब फ़्लैट धारक का नाम होने से ईमारत के पुनर्निर्माण के समय सोसायटी के लोग बदमाशी नहीं कर सकेंगे। साथ ही फ़्लैट धारक को भी जमीन का मालिकाना हक़ मिलने से धांधली पर रोक लगेगी। सरकार के इस निर्णय का राज्य में 3.5 करोड़ से अधिक फ़्लैट धारकों को लाभ होगा। मुंबई प्रादेशिक क्षेत्र में ही लगभग 80 हजार सोसायटियों में एक करोड़ से अधिक फ़्लैट धारक हैं।
राजस्व विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि इस मामले में पहले नियमावली तैयार होगी। उसे मंजूरी मिलने के बाद प्रत्येक सोसायटियों में पहले सर्वेक्षण होगा। फ़्लैट धारकों के फ़्लैट के आकर के अनुसार ही उन्हें उनके ईमारत के जमीं क्षेत्र में हिस्सा मिलेगा। सोसायटी के कुल जमीन और उसमे रहने वाले फ़्लैट धारकों के फ्लैट क्षेत्र के अनुपात में ही उनका नाम प्रापर्टी कार्ड पर दर्ज किया जायेगा।

प्राप्त जानकारी के अनुसार मुंबई , नवी मुंबई , ठाणे ,पुणे , नागपुर , नाशिक औरंगबाद जैसे कई शहरों में अब इमारतें तेजी से बन रही हैं। इन इमारतों का प्रोजेक्ट पूरा होने के बाद बिल्डर सोसायटी को डीम्ड कन्वेंस प्रमाणपत्र देता

है। जिसके बाद उक्त ईमारत की जगह सोसायटी के नाम पर ट्रांसफर हो जाती है। सोसायटी के लोग ही इस जगह को लेकर निर्णय लेते हैं , लेकिन अब इन सोसायटियों में बने इमारतों में रहने वाले आम फ़्लैट धारकों को भी उक्त जमीन का मालिकाना हक मिलेगा। सरकार के इस फैसले से सोसायटियों में पुनर्विकास के समय होने वाली धांधली पर रोक लग सकेगी।