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महाराष्ट्र: सीएम फडणवीस की मंत्रियों को दो टूक,कहा- दागियों को नहीं बनने दूंगा PA और ओएसडी

Maharashtra Politics : हाल ही में कुछ मंत्रियों ने उनकी पसंद का स्टाफ न मिलने पर नाराजगी जताई थी। इस पर सीएम फडणवीस ने दो टूक कहा, मैं ऐसे 'फिक्सर' को कभी मंजूरी नहीं दूंगा, चाहे कोई कितना भी नाराज क्यों न हो।

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मुंबई

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Dinesh Dubey

Feb 25, 2025

Devendra Fadnavis Maharashtra

Devendra Fadnavis : महाराष्ट्र की महायुति सरकार में विशेष कार्य अधिकारी (OSD) और निजी सहायक (PA) की नियुक्ति को लेकर चल रहा विवाद अब भी खत्म नहीं हुआ है। कई मंत्रियों को उनके पसंद के ओएसडी और पीए अब तक नहीं मिले हैं। इसको लेकर कुछ मंत्रियों में नाराजगी भी है। इस मुद्दे पर अब मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने बड़ा बयान दिया। उन्होंने स्पष्ट कहा कि 'फिक्सर' (बिचौलिए) की छवि वाले या जांच के दायरे में चल रहे लोगों को वह ओएसडी और पीए नियुक्त नहीं करेंगे।

16 नामों पर रोक!

सीएम फडणवीस ने सोमवार को नागपुर में पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि उनके मंत्रियों द्वारा कुल 125 नामों की सिफारिश की गई थी, जिनमें से 109 को मंजूरी दी गई है। बाकी 16 नामों पर रोक लगाई गई है क्योंकि वे किसी न किसी मामले में जांच के दायरे में हैं या उन पर कोई आरोप है।

बता दें कि सीएम फडणवीस की यह टिप्पणी तब आई जब राज्य के कृषि मंत्री और एनसीपी (अजित पवार) नेता माणिकराव कोकाटे ने हाल ही में कहा कि अब पीए और ओएसडी की नियुक्ति मुख्यमंत्री कर रहें हैं, हमारे हाथ में कुछ नहीं है।

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अजित पवार गुट के नेता कोकाटे (Manikrao Kokate) की इस टिप्पणी पर प्रतिकिया देते हुए फडणवीस ने कहा, कोकाटे को शायद यह नहीं पता कि मंत्रियों के पीए और ओएसडी की नियुक्ति को मंजूरी देना मुख्यमंत्री का विशेषाधिकार है। मंत्री सिर्फ नाम भेज सकता है, लेकिन उस पर अंतिम निर्णय मुख्यमंत्री को लेना होता है। ये कोई नई बात नहीं है पहले से ऐसा हो रहा है।

क्यों भड़के फडणवीस?

पुणे में एक कार्यक्रम में मंत्री कोकाटे ने कहा था, ‘‘उन्होंने (फडणवीस ने) कहा है कि जो भी मंत्री सरकार की योजना से भटकने की कोशिश करेगा, उसे अपना पद गंवाना पड़ेगा। हमारे हाथ में कुछ नहीं बचा है, निजी सचिव और ओएसडी भी उनके द्वारा नियुक्त किए जाते हैं। हमें अब काम करना होगा।’’

मुख्यमंत्री फडणवीस के इस कड़े रुख से साफ हो गया है कि महाराष्ट्र सरकार में अब प्रशासनिक पदों पर दागदार छवि वालों को जगह नहीं मिलेगी। यह निर्णय सरकार में स्वच्छ प्रशासन सुनिश्चित करने की दिशा में उठाया गया बड़ा कदम माना जा रहा है।

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