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महाराष्ट्र में बड़ा सियासी खेल, शरद पवार गुट के वरिष्ठ नेता ने जॉइन की बीजेपी, RSS से रहा है पुराना नाता

Maharashtra Politics : भाजपा ने शरद पवार नीत एनसीपी (एसपी) में बड़ी सेंध लगाते हुए वरिष्ठ नेता अन्नासाहेब डांगे को अपने पाले में कर लिया है, जिससे विपक्षी खेमे में खलबली मच गई है।

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मुंबई

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Dinesh Dubey

Jul 30, 2025

NCP Sharad Pawar

शरद पवार (Photo- IANS)

आगामी निकाय चुनावों को लेकर महाराष्ट्र में राजनीतिक सरगर्मी बढ़ गई है। इसी कड़ी में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने सांगली में एक बड़ा राजनीतिक दांव चलते हुए वरिष्ठ नेता अन्नासाहेब डांगे (Annasaheb Dange Join BJP) को अपने पाले में कर लिया है। डांगे के भाजपा में शामिल होते ही विपक्षी खेमे महाविकास आघाड़ी (MVA) और खासकर राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरद पवार गुट) में खलबली मच गई है।

अन्नासाहेब डांगे ने शुरुआत में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के लिए काम किया था। बाद में वह भाजपा में शामिल हो गये। लेकिन पार्टी नेतृत्व से नाखुश होकर उन्होंने दो दशक पहले भाजपा छोड़ दी और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) का दामन थामा था। लेकिन अब, एक बार फिर उन्होंने कमल उठा लिया है। खास बात यह रही कि एनसीपी (शरद गुट) के प्रदेशाध्यक्ष जयंत पाटील के इस्तीफे के दिन ही डांगे ने भाजपा में आने का फैसला लिया।

अन्नासाहेब डांगे के साथ उनके दोनों बेटे चिमण डांगे और विश्वनाथ डांगे ने भी आज भाजपा की सदस्यता ली। यह कार्यक्रम मुंबई में मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और महाराष्ट्र बीजेपी प्रमुख रवींद्र चव्हाण की उपस्थिति में संपन्न हुआ। फडणवीस ने डांगे की राजनीतिक सादगी, कार्यकुशलता और सांगली जिले में उनकी पकड़ की जमकर सराहना की। उनके भाजपा में आने से सांगली और आसपास के क्षेत्रों में बड़ा राजनीतिक लाभ मिलने की संभावना है।

डांगे का राजनीतिक सफर

अन्नासाहेब डांगे ने 1995 में गठबंधन सरकार में ग्रामीण विकास मंत्री के रूप में कार्यभार संभाला और वह तब सांगली के पालक मंत्री भी थे। 2002 में भाजपा छोड़कर शरद पवार नीत एनसीपी में शामिल हो गए। इसके बाद उन्होंने खुद का राजनीतिक दल बनाकर महाराष्ट्र में सियासी पैठ जमाने की कोशिश की। लेकिन 2006 में फिर एनसीपी में शामिल हो गए। अब 2024 में वह फिर भाजपा में वापसी कर रहें है।

अन्नासाहेब डांगे धनगर समाज के प्रमुख नेता माने जाते हैं। डांगे की भाजपा में वापसी को राजनीतिक समीकरणों में बड़ा बदलाव माना जा रहा है। यह देखना दिलचस्प होगा कि आगामी स्थानीय चुनावों में भाजपा इस बढ़त को किस तरह भुनाती है।