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Maharashtra Politics: शिवसेना में किसकी वजह से पड़ी फूट, शरद पवार या देवेंद्र फडणवीस? जानें MNS प्रमुख राज ठाकरे ने क्या कहा

हाल ही में शिंदे खेमे ने चुनाव आयोग को बताया है कि 55 में से 40 विधायक, विभिन्न एमएलसी और 18 में से 12 सांसद उनके साथ हैं। साथ ही आयोग को पत्र लिखकर पार्टी का ‘धनुष-बाण’ चुनाव चिह्न उसे देने का अनुरोध किया। दूसरी तरफ, एमएनएस प्रमुख राज ठाकरे ने शिवसेना में फूट पड़ने की असली वजह बताई।

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Sharad Pawar, Devendra Fadnavis and Raj Thackeray

महाराष्ट्र में सियासी संग्राम बढ़ते ही जा रहा है। शिवसेना और उसके चिन्ह धनुष-बाण के लिए उद्धव ठाकरे गुट बनाम एकनाथ शिंदे गुट की लड़ाई और तेज होने की संभावना है। दरअसल चुनाव आयोग ने दोनों धड़ों को शिवसेना में बहुमत होने के अपने दावे को साबित करने के लिए दस्तावेजी सबूत पेश करने को कहा है। दोनों समूहों को 8 अगस्त तक यह काम निपटाना होगा और फिर उसके बाद चुनाव आयोग शिवसेना में मचे संग्राम को लेकर सुनवाई करेगा। जिसके बाद चुनाव आयोग यह तय करेगा कि दोनों में से किसे असली शिवसेना माना जाए और किसको शिवसेना का चुनाव चिन्ह दी जाएगा। शिवसेना में पड़ी फूट का असली जिम्मेदार कौन है? शरद पवार या देवेंद्र फडणवीस? इस पर एमएनएस प्रमुख राज ठाकरे ने अपनी राय दी है।

एक इंटरव्यू में राज ठाकरे ने कहा कि जब डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस मुझसे मिलने आए थे तब मैंने उनसे कहा था कि आप इसका श्रेय ना लें। इस बात देवेंद्र फडणवीस पर जोर-जोर से हंसने लगे थे। जो शिवसेना में फुट पड़ी वो ना देवेंद्र फडणवीस की वजह से हुआ, ना अमित शाह की वजह से हुआ, ना बीजेपी में किसी और की वजह से हुआ और ना ही शरद पवार की वजह से हुआ। इसकी वजह खुद शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे हैं। उद्धव ठाकरे की वजह से इस तरह की बगावत एक बार नहीं हुई है। आज एकनाथ शिंदे खेमे के विधायक और सांसद बाहर आ गए हैं। तब मैं बाहर आया था। उस वक्त भी वजह वही थे। इन दोनों घटनाओं के बीच में भी कुछ लोग शिवसेना छोड़ कर चले गए। तब भी वजह कोई और नहीं, खुद उद्धव ठाकरे ही थे। यह भी पढ़ें: Pune News: कॉलेज के सामने शराब का विज्ञापन लगाना पड़ा महंगा, होटल मैनेजर के खिलाफ मामला दर्ज

एमएनएस प्रमुख राज ठाकरे ने कहा कि संजय राउत रोज सुबह टीवी पर आते हैं। वो कुछ ना कुछ बोलते रहते हैं। संजय राउत से लोग अब पक चुके हैं। उनकी इतनी ही हैसियत है। इससे विधायक टूट कर अलग गुट नहीं बना लेते हैं। अगर आज बालासाहेब ठाकरे होते तो यह बगावत होती ही नहीं। जो लोग शिवसेना छोड़ कर गए ये लोग कट्टर शिवसैनिक हैं। ये लोग शिवसेना से ही नहीं, बल्कि बालासाहेब के विचारों से भी बंधे थे। शिवसेना को सिर्फ एक पार्टी की हैसियत से ना समझा जाए। जब तक बालासाहेब थे, तब तक शिवसेना में उनका विचार कायम था। इसलिए बालासाहेब के रहते इतनी बड़ी बगावत की नौबत कभी नहीं आती।

बता दें कि हाल ही में शिंदे खेमे ने चुनाव आयोग को बताया है कि 55 में से 40 विधायक, विभिन्न एमएलसी और 18 में से 12 सांसद उनके साथ हैं। साथ ही आयोग को पत्र लिखकर पार्टी का ‘धनुष-बाण’ चुनाव चिह्न उसे देने का अनुरोध किया। इसमें शिंदे गुट ने लोकसभा और महाराष्ट्र विधानसभा में उसे मिली मान्यता का हवाला दिया है।

दूसरी तरफ, शिवसेना गुट ने भी चुनाव आयोग को पत्र लिखकर अपील की है कि वह पार्टी के नाम और चुनाव चिह्न पर दावे से जुड़े किसी भी आवेदन पर फैसला लेने से पहले उसका पक्ष सुने। साथ ही शिंदे गुट द्वारा 'शिवसेना' या 'बाला साहब' नामों का उपयोग करके किसी भी राजनीतिक दल की स्थापना पर भी आपत्ति जताई है।