पश्चिमी महाराष्ट्र की माड विधानसभा सीट पर सगे भाइयों के बीच मुकाबला है। कांग्रेस छोड़ कर भाजपा में शामिल हुए जयकुमार गोरे तीसरी बार चुनाव मैदान में हैं। जयकुमार के सगे भाई शेखर भी चुनाव लड़ रहे हैं। 2009 में जयकुमार निर्दलीय के रूप में जीते थे। 2014 में कांग्रेस के टिकट पर निर्वाचित हुए। अबकी बार वह भाजपा के टिकट पर मैदान में हैं। दोनों सगे भाइयों के बीच मुकाबले में सेवानिवृत्ति आईएएस अधिकारी प्रभाकर देशमुख खड़े हैं, जिन्हें एनसीपी ने समर्थन दिया है।
लातूर जिले की निलंगा सीट से भाजपा के संभाजी पाटील निलंगेकर रिश्ते में अपने चाचा अशोक के खिलाफ ताल ठंोंक रहे हैं। 2014 में संभाजी ने चाचा अशोक को बड़े अंतर से हराया था। उल्लेखनीय है कि अशोक पूर्व मुख्यमंत्री शिवाजी पाटील निलंगेकर के बेटे हैं, जो संभाजी के दादा हैं। संभाजी के पिता दिलीप के निधन के बाद राजनीतिक विरासत का झगड़ा 2004 से ही चल रहा है। खास यह कि 2004 में संभाजी ने अपने दादा को भी हरा चुके हैं।
छत्तीसगढ़ से सटी राज्य की अहेरी विधानसभा सीट पर पूर्व शाही परिवार के सदस्यों के बीच ही लड़ाई है। क्षेत्र में महाराजा के नाम मशहूर और फडणवीस सरकार में मंत्री अंबरीश राव अत्राम को उनके चाचा धरमराव बाबा अत्राम चुनौती दे रहे हैं, जिन्हें एनसीपी ने टिकट दिया है। पिछले चुनाव में बाजी भतीजे के हाथ लगी थी। अब देखना है कि इस साल के चुनाव में मतदाता क्या फैसला करते हैं।
राज्य में सबसे लंबे समय तक मुख्यमंत्री की कुर्सी संभालने वाले वसंतराव नाईक के परिवार में विद्रोह है। यवतमाल जिले की पुसद विधानसभा सीट पर र्नाक परिवार का कब्जा रहा है। वसंतराव के बाद उनके भतीजे सुधाकरराव नाईक भी पुसद से जीत हासिल कर मुख्यमंत्री बन चुके हैं। इस बार पुसद में वसंतराव के दो पोतों के बीच मुकाबला है। पूर्व मंत्री मनोहरराव नाईक के बेटे इंद्रनील कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं। दूसरी तरफ भाजपा के टिकट पर निलय नाईक भी मैदान में हैं।