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Mahrashtra News: महाराष्ट्र ATS का बड़ा खुलासा, PFI के निशाने पर थे पुलिस अधिकारी और जज; चार चरणों में होती थी ट्रेनिंग

पीएफआई को लेकर महाराष्ट्र के संभाजी नगर (औरंगाबाद) एटीएस ने बड़ा खुलासा किया हैं। ब्रेन वॉश करना, ट्रेनिंग देना, लीगल मामलों के बारे में बताना और अगर कोई किसी मामले में फंसता है तो उसके लिए सुप्रीम कोर्ट में बड़ा वकील खड़ा करना। पीएफआई पहले से ही ये प्लान बनाकर तैयार रखती थी।

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ATS

महाराष्ट्र में संभाजी नगर (औरंगाबाद) एटीएस ने पीएफआई को लेकर बड़ा खुलासा किया हैं। एटीएस ने ये खुलासा कोर्ट के सामने किया है। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, एटीएस ने कोर्ट को बताया है कि पीएफआई के निशाने पर कुछ बड़े पुलिस अधिकारी और कुछ जज थे। एटीएस ने बताया कि गिरफ्तार आरोपियों के बैंक खातों में लाखों रुपए भी जमा हुए थे। जांच के दौरान यह भी पता चला है कि पकड़े गए आरोपियों को ट्रेनिंग भी दी गई है और जो लोग पीएफआई से जुड़ते थे, उन्हें इनकम भी दिया जाता था।

एटीएस ने आगे कोर्ट को बताया कि पीएफआई की तरफ से नए लोगों को भर्ती के बाद चार चरण में ट्रेनिंग दी जाती थी। पीएफआई के नए सदस्यों को ट्रेनिंग देना, ब्रेन वॉश करना, लीगल मामलों के बारे में बताना और अगर कोई किसी केस में फंसता है तो उसके लिए सुप्रीम कोर्ट में बड़ा वकील खड़ा करना। पहले से ही पीएफआई ये प्लान तैयार रखती थी। यह भी पढ़ें: Mumbai News: गोरेगांव रेलवे स्टेशन पर महिला को जबरदस्ती किस कर रहा था शख्स, जीआरपी ने किया गिरफ्तार

कैसे होती है ट्रेनिंग:

पहला चरण: किसी भी नए सदस्य को पीएफआई में जोड़ने से पहले उस पर करीब 4 महीनों तक पूरी नजर रखी जाती थी। उस सदस्य के बारे में पूरी जानकारी इकठ्ठा की जाती थी, जिन लोगों पर नज़र रखी जाती थी, ऐसे 20 लोगों में से केवल 2 लोगों को ही सदस्य बनाया जाता था।

दूसरा चरण: 20 लोगों में से जिन 2 लोगों को पीएफआई का सदस्य बनाया जाता था, उन्हें 6 महीनों के भीतर खुद को साबित करके दिखाना पड़ता था। ये लोग अपने धर्म के लिए कितने कट्टर हैं, यह देखा जाता था। सोशल मीडिया पर विवादित मैसेज लिखने की भी ट्रेनिंग दी जाती थी। पुलिस वालों को कैसे गुमराह किया जाए, इसके बारे में भी बताया जाता था।

तीसरा चरण: इन सदस्यों को महाराष्ट्र और केरल में तीन महीने की ट्रेनिंग दी जाती थी। जो सदस्य हमेशा के लिए जुड़ जाते थे, उन्हें अलग-अलग प्रकार की ट्रेनिंग दी जाती थी। इन सदस्यों को अपने घर और परिवार का त्याग करना पड़ता था। इसके बदले में उन्हें पैसों के अलावा और भी जरूरत के सामान दिए जाते थे। तीन महीनों की ट्रेनिंग के दौरान उनके घर का भी पूरा खर्च उठाया जाता था।

चौथा चरण: बता दें कि इन सदस्यों को अंतरराष्ट्रीय लिंक बनाने की जिम्मेदारी दी सौंपी जाती थी। अंतरराष्ट्रीय लिंक बनाकर रकम जमा करने की जिम्मेदारी दी जाती थी। चौथे चरण के सदस्यों को किसी भी आतंकी साजिश में मदद पहुंचाने की भी जानकारी दी जाती थी। एटीएस ने अदालत को जो जानकारी दी है, उसके मुताबिक तीसरे चरण तक महज 5 प्रतिशत पांच सदस्यों को चुना जाता था।