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सस्ती बिजली मिलने की राह में बड़े-बड़े रोड़े

खुलासा: करोड़ों डकार बैठे हैं अडानी, बेस्ट और टाटा

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मुंबई

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arun Kumar

Dec 29, 2018

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महावितरण का पैसा नहीं चुका रहीं बिजली कम्पनियां
महाराष्ट्र बिजली नियामक आयोग से लगाई गुहार
रोहित के. तिवारी . मुंबई.
महावितरण के बिजली के बकाया बिलों की सूची में सामान्य ग्राहकों के साथ अडानी इलेक्ट्रिसिटी, बेस्ट और टाटा पावर के भी शामिल होने की जानकारी सामने आई है। मुंबई को बिजली की आपूर्ति करने वाली इन तीन कंपनियों ने 2016-17 और 2017-18 के आर्थिक वर्ष में स्टेट के ग्रिड से करीब 4200 करोड़ रुपए की बिजली ली है लेकिन, भुगतान नहीं किया है। इस सब की मार आम जनता को भारी-भरकम बिजली के बिल झेलकर चुकानी पड़ रही है। क्योंकि जो बिजली आम लोगों को सस्ते में मुहैया होनी चाहिए उसको बड़ी-बड़ी कम्पनियां ले उड़ी हैं। अब इस बकाया की वसूली के लिए महावितरण ने महाराष्ट्र बिजली नियामक आयोग के पास गुहार लगाई है। बता दें कि मुंबई समेत पूरे महाराष्ट्र को एक ही ग्रिड से बिजली की आपूर्ति की जाती है। बिजली की मांग और आपूर्ति में समानता रखते हुए ग्रिड में बैलेंस बनाए रखने का काम महाराष्ट्र राज्य भार प्रेषक केंद्र (एसएलडीसी) करता है। उसके अनुसार, मांग को ध्यान में रखते हुए बिजली कम्पनियों को बिजली उत्पादन के निर्देश दिए जाते हैं। राज्य के ग्राहकों को सस्ती बिजली मिले, इसलिए बिजली आयोग ने मेरिट डिस्पैच ऑर्डर के अनुसार यानी कम दर वाली बिजली खरीदने का निर्देश दिया है। इसकी वजह से महावितरण के पास बिजली की मांग कम हो तो अतिरिक्त बिजली ग्रिड को दे दी जाती है।

2 साल से नही मिला एक भी पैसा

वहीं, महावितरण से मिलने वाली बिजली सस्ती होने के कारण तीनों कंपनियों अडानी इलेक्ट्रिसिटी, बेस्ट और टाटा पावर ने अपनी सुविधा अनुसार इस बिजली का उपयोग किया है। इसके बावजूद महावितरण को पिछले 2 साल से एक भी पैसा नहीं मिला है। अब पैसे की वसूली के लिए बिजली आयोग के पास याचिका दायर करने की बात महावितरण के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी पीएस पाटील ने कही है।

15 को होगी सुनवाई

मुंबई की तीनों बिजली कंपनियों में महावितरण के 4200 करोड़ रुपए बकाया हैं। इसकी वसूली एसएलडीसी के माध्यम से होना आवश्यक था लेकिन, ऐसा नहीं हो पाने की वजह से महावितरण ने बिजली आयोग से बकाया पैसों के भुगतान का अडानी, टाटा और बेस्ट को आदेश देने की मांग की है। इस पर 15 जनवरी को आयोग के सामने सुनवाई होनी है।