ऐसी चर्चा चल रही थी कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) महापौर और उप-महापौर पद के चुनाव में प्रत्याशी उतारेंगी। लेकिन, विधानसभा चुनाव के बाद राज्य में बन रहे नए समीकरण को देखते हुए दोनों ही दल पीछे हट गए। भाजपा ने भी किसी भी नगरसेवक को टिकट नहीं दिया है। इससे तय हो गया है कि पेडणेकर महानगर की अगली महापौर बनेंगी जबकि सुहास वाडकर उप-महापौर बनेंगे।
शिक्षा समिति के पूर्व अध्यक्ष मंगेश सातमकर, सुधार समिति के पूर्व अध्यक्ष बाला नर, पूर्व महापौर श्रद्धा जाधव, रमाकांत रहाटे भी महापौर पद पाने की दौड़ में शामिल थे। सोमवार सुबह से ही बीएमसी स्थित शिवसेना की ऑफिस में सभी इच्छुक नगरसेवक डेरा जमाए हुए थे। परंतु, शाम को 6 बजे नामांकन भरने से पहले किशोरी पेडणेकर व सुहास वाडकर के नाम की घोषणा हुई। इसके कारण वरिष्ठ नगरसेवकों में नाराजगी देखने को मिली।
बीएमसी में विपक्ष के नेता रविराजा ने कहा कि उम्मीदवार न खड़ा करने का अर्थ यह नहीं कि हमने शिवसेना का साथ दिया है। पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने निर्णय लेने का अधिकार नगरसेवकों को दिया था। कांग्रेस की संख्या 29 है और एनसीपी के 8 नगरसेवक हैं। हमारे पास संख्या बल कम होने के कारण महापौर पद के लिए नामांकन नहीं भरा।
राज्य में सरकार बनाने को लेकर चल रही रस्साकशी के बीच सोमवार को मुंबई के महापौर और उप-महापौर पद के लिए मनपा में नामांकन किया गया। मौजूदा राजनीतिक हालात को देखते हुए लग रहा था कि भाजपा महापौर और उप-महापौर का चुनाव लड़ेगी। पर, ऐसा कुछ भी नहीं हुआ। शिवसेना के साथ भाजपा की नाराजगी दिनो दिन बढ़ती जा रही है। ईशान्य मुंबई से भाजपा सांसद और मनपा के गट नेता मनोज कोटक ने कहा कि महापौर पद के लिए भाजपा की ओर से कोई भी उम्मीदवार नामांकन नहीं भरेगा। बीएमसी में भाजपा एक पहरेदार की भूमिका निभाती रहेगी। हमारे नगरसेवकों की संख्या कम है, जिसे देखते हुए पार्टी ने महापौर और उप-महापौर पद के लिए चुनाव नहीं लडऩे का फैसला किया है। तीन साल बाद 2022 में मनपा का चुनाव होने वाला है। उसके बाद जब भाजपा के नगरसेवकों की संख्या पर्याप्त होगी, तब मुंबई मनपा में भाजपा का महापौर होगा।