
अब तेजी से शुरू होगा मुंबई-नागपुर समृद्धि महामार्ग का निर्माण कार्य, आखिर एक्सप्रेसवे के लिए क्यों नहीं मिल रहा था कर्ज?
- रोहित के. तिवारी
मुंबई. मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के सपनों की सड़क मुंबई-नागपुर समृद्धि महामार्ग के काम में अब तेजी आने की उम्मीद है। बैंकों ने 55 हजार 335 करोड़ रुपए लागत वाली परियोजना के लिए 13 हजार करोड़ रुपए का कर्ज पास कर दिया है। सरकार की गारंटी पर कर्ज की बाकी 15 हजार करोड़ रुपए की रकम भी जल्द ही मिलने की उम्मीद है। सरकार की ओर से गारंटी नहीं मिलने के कारण कर्ज देने में बैंक ना-नुकुर कर रहे थे। कर्ज के बोझ तले दबी राज्य सरकार ने खुद चार हजार करोड़ रुपए का कर्ज इस प्रोजेक्ट को दिया है। इसके बाद बैंकों ने लोन पास कर दिया। एक्सप्रेस वे तैयार होने के बाद मुंबई-नागपुर के बीच का सफर सात-आठ घंटे में पूरा किया जा सकता है।
राज्य की राजधानी मुंबई और उप-राजधानी नागपुर के बीच एक्सप्रेस वे बनाने की योजना मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की है। इस महामार्ग को बनाने में कई चुनौतियां हैं, जिनमें कर्ज का इंतजाम भी शामिल है। परियोजना के लिए मुंबई-नागपुर सुपर कम्यूनिकेशन एक्सप्रेवे नाम से एक विशेष कंपनी बनाई गई है, जिसके सबसे ज्यादा शेयर महाराष्ट्र राज्य सड़क विकास निगम (एमएसआरडीसी) के पास हैं। डेढ़ साल से कर्ज का इंतजाम लटका हुआ था। सरकार की गारंटी नहीं मिलने के चलते कर्ज से जुड़े आवेदन को बैंक गंभीरता से नहीं ले रहे थे।
पहले जुटाए गए 18 हजार करोड़
उल्लेेखनीय है कि जुलाई में सरकार ने परियोजना के लिए चार हजार करोड़ रुपए के कर्ज की गारंटी देने का आश्वासन महामंडल को दिया था। शुरू में 18 हजार करोड़ रुपए विभिन्न निगमों और एमएसआरडीसी ने अपने माध्यमों से जुटाए थे। एक्सप्रेसवे तैयार होने के बाद टोल वसूली से यह रकम लौटाई जानी है।
इन बैंकों ने मंजूर किया कर्ज
जो 13 हजार करोड़ रुपए का कर्ज मंजूर किया गया है, उसमें भारतीय स्टेट बैंक के आठ हजार करोड़ रुपए शामिल हैं। इसके अलावा बैंक ऑफ महाराष्ट्र ने 500 करोड़, बैंक ऑफ बड़ौदा 1,500 करोड़, इंडिया इन्फ्रास्ट्रक्चर फाइनेंस कंपनी 1300 करोड़ रुपए और यूनियन बैंक ऑफ इंडिया के 1700 करोड़ रुपए शामिल हैं। परियोजना के लिए तीन हजार करोड़ रुपए एशियाई इन्फ्रास्ट्रक्चर इनवेस्टमेंट बैंक से लिए जाएंगे।
सरकार की गारंटी
भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी), हुडको, कैनेरा बैंक और पंजाब नेशनल बैंक ने भी 13 हजार करोड़ रुपए का कर्ज देने पर सहमति जताई है। यदि परियोजना की लागत में वृद्धि हुई या राजमार्ग पर टोल शुरू नहीं किया जा सका या निगम मौजूदा ऋण को नहीं चुका सका तो सभी देनदारियों की गारंटी सरकार की होगी।
तेजी से हो रहा काम
परियोजना का काम तेजी से हो रहा है। कर्ज स्वीकृत होने के बाद वित्तीय समस्या नहीं है। ऋण की राशि परियोजना की जरूरत के हिसाब से इस्तेमाल की जाएगी।
राधेश्याम मोपलवार, प्रबंध निदेशक, एमएसआरडीसी
Published on:
07 Sept 2019 01:56 pm
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