
Mumbai shravan : श्रावण में जानिए क्यों खास है तुंगारेश्वर महादेव का दर्शन
पालघर. श्रावण मास की शुरुआत हो चुकी है। भक्तों की भक्ति शिव मंदिरों में प्रकट होने लगी है। पहली सोमवारी यानी 22 जुलाई को आरती एवं जलाभिषेक के लिए शिवालयों में भक्तों की लंबी कतारें लगेंगी। ज्योतिषाचार्य शिवलिंग के बारे में जिक्र करते हुए कहते हैं कि शून्य, आकाश, अनंत, ब्रह्मांड, निराकार परमब्रह्म के प्रतीक को शिवलिंग कहा गया है। स्कंदपुराण में आकाश को भी शिवलिंग माना गया है। शिवलिंग पूरे वातावरण के साथ घूमती पृथ्वी, सारे अनंत ब्रह्मांड की धुरी है। वैसे ब्रह्मांड में दो ही चीजें है। पहला उर्जा दूसरा पदार्थ।आत्मा ऊर्जा है और शरीर पदार्थ। ऐसे ही शिव पदार्थ और शक्ति उर्जा का प्रतीक बनकर शिवलिंग बन जाते है। ब्रह्मांड में उपस्थित सभी ठोस और ऊर्जा शिवलिंग में समाहित है। इसतरह शिवलिंग हमारे ब्रह्मांड की ही आकृति मात्र है।
वसई के तुंगारेश्वर पहाडिय़ों की तलहटी में है तुंगारेश्वर महादेव मंदिर
वसई पूर्व के मुंबई-अहमदाबाद महामार्ग से चार किलोमीटर संजय गांधी राष्ट्रीय उद्यान के अंदर तुंगारेश्वर पहाडिय़ों की तलहटी में बना तुंगारेश्वर महादेव मंदिर। सावन माह के दोरान हजारों श्रद्धालु यहां दर्शन करने आते हैं। पहले पहर में भगवान तुंगारेश्वर महादेव के रुद्रभिषेक व आरती के साथ मंदिर के कपाट खोले जाते हैं। मंदिर के साथ कई पौराणिक कथाएं जुड़ी हैं। मान्यताओं के मुताबिक मंदिर का उद्गम आदिकाल में हुआ था। इसी मंदिर के समीप से एक नदी भी बहती है, जिसका नाम तुंगारेश्वर नदी है, जो पहाड़ों से नीचे मंदिर प्रांगण को स्पर्श करती हुई नीचे के तरफ बहती है। मंदिर के ऊपरी हिस्से में परशुराम कुंड है, जो वर्ष भर शुद्ध जल से भरा रहता हैं।
Published on:
20 Jul 2019 05:21 pm
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