हर समन में शिवसेना नेता संजय राउत उपस्थित ना होने की कोई ना कोई वजह बता रहे थे। इस बार भी ईडी द्वारा समन भेजे जाने पर संजय राउत ने 7 अगस्त तक पूछताछ के लिए हाजिर होने में अक्षमता जताई थी। इसी वजह से आज ईडी की टीम संजय राउत के घर ही पहुंच गई। क्या है यह पत्रा चॉल घोटाला जिस वजह से शिवसेना नेता संजय राउत की मुसीबतें बढ़ी हैं? आइए जानते हैं।
क्या है पात्रा चॉल घोटाला? साल 2018 में महाराष्ट्र हाउसिंग एंड डेवलपमेंट अथॉरिटी ने प्रिवेन्शन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के तहत एक केस दर्ज कराया। ये मामला राकेश कुमार वधावन, सारंग कुमार वधावन और अन्य के खिलाफ था। ईडी के मुताबिक, जांच के दौरान पता चला कि प्रवीण राउत की गुरु आशीष कंस्ट्रक्शन को पात्रा चॉल को पुनर्निर्माण करने का कार्य दिया गया था। महाराष्ट्र हाउसिंग एंड डेवलपमेंट अथॉरिटी ने ये काम गुरु आशीष कंस्ट्रक्शन को दिया था। गुरु आशीष कंस्ट्रक्शन कंपनी को पात्रा चॉल में 672 किरायेदारों के मकानों को पुनर्विकसित करना था। लेकिन प्रवीण राउत ने यह जमीन प्राइवेट पार्टियों को बेच दी। प्रवीण राउत पर आरोप है कि उन्होंने पत्रा चॉल में रहने वाले लोगों को चुना लगाया और उन्हें घर बना कर नहीं दिया।
बता दें कि पात्रा चॉल मुंबई के गोरेगांव में बनी है। जिस जमीन पर ये फ्लैट रिडेवलप होने थे, उसका एरिया 47 एकड़ था। गुरु आशीष कंस्ट्रक्शन ने महाराष्ट्र हाउसिंग एंड डेवलपमेंट अथॉरिटी को गलत जानकारी दी और फ्लैट बनाए बिना ही ये जमीन 9 बिल्डरों को 901.79 करोड़ रुपये में बेच दी। इसके बाद में गुरु आशीष कंस्ट्रक्शन ने मीडोज नाम से एक नया प्रोजेक्ट शुरू किया और घर खरीदने वालों से फ्लैट के लिए 138 करोड़ रुपए इकठ्ठा किए। जांच में पता चला कि गुरु आशीष कंस्ट्रक्शन ने गैरकानूनी तरीके से 1,039.79 करोड़ रुपये से ज्यादा कमाए। बाद में इस रकम को भी गैरकानूनी तरीके से सहयोगियों को ट्रांसफर कर दिया गया।
बता दें कि गुरु आशीष कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड हाउसिंग डेवलपमेंट एंड इन्फ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड (एचडीआईएल) की सिस्टर कंपनी है। राकेश वधावन, सारंग वधावन और प्रवीण राउत एचडीआईएल में भी डायरेक्टर थे। मिली जानकारी के मुताबिक, एचडीआईएल ने लगभग 100 करोड़ रुपए प्रवीण राउत के खाते में ट्रांसफर कराए थे। बाद में ये इस रकम को प्रवीण राउत ने अलग-अलग बैंक खातों से अपने करीबियों, परिवार के सदस्यों और व्यावसायिक संस्थानों को ट्रांसफर कर दिया।
जांच में ये भी सामने आया कि साल 2010 में प्रवीण राउत की पत्नी माधुरी राउत ने शिवसेना नेता संजय राउत की पत्नी वर्षा राउत के खाते में 83 लाख रुपए भेजे थे। ये पूरा रकम गैरकानूनी था। इसके बाद इन पैसों से वर्षा राउत ने दादर में एक फ्लैट खरीदा। ईडी की जांच शुरू होने के बाद वर्षा राउत ने माधुरी राउत के को 55 लाख रुपए ट्रांसफर किए थे।
ईडी के मुताबिक, साल 2010 में प्रवीण राउत को इक्विटी बिक्री और लैंड डील के लिए 95 करोड़ रुपए मिले थे। कंपनी ने इस प्रोजेक्ट को पूरा नहीं कर पाई थी। इस सबके बीच प्रवीण राउत, सारंग वधावन और राकेश वधावन ने रिडेवलपमेंट प्रोजेक्ट के नाम पर करोड़ों रुपये इधर उधर कर दिए। इस मामले में ईडी ने प्रवीण राउत और सुजीत पाटकर से जुड़े ठिकानों पर छापेमारी की थी। छापेमारी के बाद प्रवीण राउत को गिरफ्तार किया गया और सुजीत पाटकर का बयान दर्ज किया गया था।
दूसरी तरफ प्रवीण रावत और वधावन बंधुओं का नाम पीएमसी बैंक घोटाले में भी सामने आया था। प्रवीण राउत और संजय राउत कथित तौर पर अच्छे दोस्त हैं। सुजीत पाटकर भी संजय राउत के करीबी है। इसके अलावा सुजीत पाटकर और संजय राउत की बेटी ने मिलकर एक वाइन ट्रेडिंग कंपनी खोली है। वहीं, सुजीत पाटकर की पत्नी और संजय राउत की पत्नी ने मिलकर अलीबाग में एक जमीन भी खरीदी थी। अलीबाग की ये लैंड डील भी ईडी के निशाने पर है।
कोरोना काल में सुजीत पाटकर को मुंबई और ठाणे में कई जगह कोविड सेंटर बनाने के लिए ठेके भी मिले थे। बीजेपी नेता किरीट सोमैया ने इन ठेकों में अनियमितताएं होने का गंभीर आरोप लगाया था। किरीट सोमैया ने सुजीत पाटकर और उनकी कंपनी के खिलाफ पुणे के शिवाजी नगर पुलिस स्टेशन में शिकायत भी दर्ज करवाई थी।