सामैया ने इस संबंध में मुख्य आयुक्त अजोय मेहता को पत्र लिखकर उचित कार्रवाई करने की विनती की है। उनका कहना है कि सरकार की ओर से निजी अस्पताल के बेड चार्जेस के लिए परिपत्रक निकाला था,पर अन्य सेवाओं के बारे में कोई जानकारी नहीं होने के कारण अस्पताल लोगों को लूट रहे हैं।
इतर कोरोना सेवाओं के तहत पीपीई किट्स, कोरोना व्यवस्थापन शुल्क, डॉक्टर विजिटिंग और नर्सिंग सर्विसेस, पैथोलॉजी चार्जेस के नाम पर मनमानी वसूली जारी है।
मुंबई के मालाड स्थित जेनिथ अस्पताल में लगाई गई दर इस प्रकार है। आईसीयू कोरोना आइसोलेशन- 9000,स्पेशल डॉक्टर चार्जेस -1000,सुपर स्पेशिलिटी डॉक्टर विजिटिंग-4500,कोरोना व्यवस्थापन शुल्क प्रति दिन-20,000,बायोमेडिकल वेस्ट चार्जेस-2000,मॉनिटर चार्जेस -1000 और एन 95 मास्क प्रति दिन- 1000 रुपए। अन्य निजी कोरोना अस्पतालों ने तो प्रतिदिन 14000 रुपए पीपीई किट का चार्जेस लगाया है। इन दरों को देखकर कहा जा सकता है कि सामान्य जनता को कैसे कोरोना के नाम पर निजी अस्पतालों की ओर से लूटा जा रहा है।
नई मुंबई स्थित डीवाय अस्पताल की ओर से मरीजों को लूटा जा रहा है। अस्पताल ने जफर चौगुले नाम के एक मरीज को।तकरीबन 5 लाख 7077 बिल भेजा है। दुर्भाग्य से शुक्रवार को उसकी मौत हो गई और अस्पताल ने पूरा बिल भरने के बाद डेडबॉडी देने की बात कही।