क्या करें साहब मजबूरी है, किससे करें गुहार सिद्धार्थ ने बताया, क्या करें साहब मुझे भी इस तरह से पानी लाना अच्छा नहीं लगता, पर क्या करें कोई दूसरा विकल्प नहीं है । स्टेशन के नजदीक ही घर होने से ट्रेन छूटे नहीं, इसलिए बड़ी चिंता पानी के लाने की होती है । इसके चलते हम खेल नहीं पाते । हालांकि की यह सिर्फ मुकुंदवाड़ी के लोगों का दर्द नहीं है, देश की 12 फीसदी आबादी और करीब 163 मिलियन लोग इसी तरह से पानी के लिए संघर्ष कर रहे हैं । ऐसे लोगों को घर के पास पीने के लिए साफ पानी तक नहीं मिलता । क्योंकि पानी की लाइन या कनेक्शन इनको उपलब्ध नहीं हैं ।
निजी स्तर पर बिकते हैं पानी के टैंकर ग्रामीणों ने बताया कि इलाके में पानी माफियाओं का राज कदर हावी है कि वे खुलेआम टैंकरों के जरिए बेचने का काम करते हैं । लोगों की मजबूरी के हिसाब से 3 हजार रुपए से लेकर 5 हजार रुपए तक वसूल लेते हैं । ऐसे में तंगहाली में जी रहे गरीब परिवार कैसे इस राशि का प्रबंध करे और अपनी आवश्यकता को पूरा कर सके । घर का जरुरी सामान खरीदने तक के कई बार पैसे नहीं होते ।