
Babulnath Temple
भगवान शिव को प्रिय सावन मास में दूसरा सोमवार धूमधाम से मनाया जा रहा है। भक्त विधि-विधान से भगवान की पूजा करते हैं। देश में शिव मंदिरों में बड़ी तादात में भक्त पहुंचते हैं और पूजा अर्चना करते हैं। बम-बम भोल और हर-हर महादेव से शिवालय गूंज रहे हैं। सावन महीने में भगवान शिव की पूजा के लिए शिव मंदिरों में भक्तों का तांता लगा रहता है। सावन के पावन महीने में भगवान शिव की पूजा बेहद फलदायी मानी जाती है। सवान का माह भगवान शंकर को समर्पित है। सवान महीने में सोमवार का बहुत महत्व है। महाराष्ट्र के मुंबई सहित अन्य जगहों पर शिव के मंदिरों में बड़ी तादात में भक्त पहुंचे हैं।
मुम्बई के मालाबार हिल्स के पास ही स्थित मुम्बई के लिफ्ट वाले शिव बाबा जिन्हें यहाँ बाबुलनाथ के नाम से पुकारा जाता है। सदियों से यहां विस्थापित बबूल देवता रोजाना भक्तों की इच्छाओं की पूर्ति करते हैं। यहां रोजाना सैकड़ों की संख्या में भक्तों महादेव के दर्शन के लिए आते है। यह भी पढ़ें: Sawan 2022: सावन का दूसरा सोमवार आज, महाराष्ट्र के शिव मंदिरों में भक्तों की उमड़ी भीड़
कैसे इस शिव मंदिर का नाम पड़ा बाबुलनाथ मंदिर: बता दें कि महाराष्ट्र के मुंबई में स्थित भगवान शिव का मंदिर बाबुलनाथ मंदिर पूरे भारत में काफी प्रसिद्ध है। यही वजह है कि सावन और शिवरात्रि के दिन यहां पर भक्तों की भारी भीड़ आती हैं। इसके साथ ही हर सोमवार को भी यहां विशेष पूजा की जाती है। इस मंदिर के पास 17.84 किलोमीटर लंबी मीठी नदी भी है।बाबुलनाथ मंदिर को मराठी शैली की वास्तुकला से बनाया गया है। इस मंदिर के नाम के बारे में कहा जाता है कि एक ग्वाले ने इस मंदिर में स्थित शिवलिंग को अपने गुरु श्री पांडुरंग को दिखाया था। जिसका नाम बाबुल था। बस इसी वजह से इस मंदिर का नाम श्री बाबुलनाथ पड़ गया।
एक मान्यता ये भी है कि इस मंदिर में स्थापित शिवलिंग बबूल के पेड़ की छाया में पाया गया था। जिसके बाद मंदिर का नाम श्री बाबुलनाथ नाम रख दिया गया। बता दें कि बाबुलनाथ मंदिर का निर्माण साल 1806 में हुआ था और साल 1840 में मंदिर में भगवान शिव के परिवार के सदस्यों की मूर्तियों स्थापित की गई थी। जिसमें माता पार्वती, श्री गणेश जी, कार्तिकेय, नागदेव आदि के साथ शीतला माता, हनुमान जी, लक्ष्मीनारायण, गरूण और चंडदेव आदि की मूर्तियों भी शामिल थी। इस मंदिर की देखभाल श्री बाबुलनाथ महादेव देवालय संस्था द्वारा की जा रही है।
बाबुलनाथ मंदिर का इतिहास: कहा जाता है कि यह मंदिर पहले हमेशा वीरान रहता था। भक्त कई सीढ़ियाँ और ऊंचाई पर चढ़कर महादेव जी के इस विशेष रूप के दर्शन करने आते हैं। इस मंदिर का इतिहास भी बहुत ही रोचक है। एक पौराणिक कथा के मुताबिक, मालाबार की पहाड़ी पर आज से लगभग 300 साल पहले बड़ा चरागाह रहता था। पहाड़ी और उसके आस-पास की जमीन का ज्यादातर हिस्सा सुनार पांडुरंग के पास था। इस सुनार के पास कई सारी गायें थी, जिसके लिए सुनार ने एक चारवाहा रखा था। इस चरवाहे का नाम बाबुल था। इन गाय में से एक कपिला नाम की गाय सबसे ज्यादा दूध देती थी। एक दिन सुनार ने देखा कि कपिला कुछ दिनों से बिल्कुल भी दूध नहीं दे रही है। जिसके बाद उसने बाबुल से इसकी वजह पूछी और बाबुल ने कहा कि ये गाय घास खाने के बाद एक विशेष स्थान पर जाकर अपना दूध निकाल देती है। ये सुनकर सुनार एकदम हैरान हो गया इसके बाद सुनार ने उस जगह की खुदाई करवाई। उस खुदाई में काले रंग का स्वयंभू शिवलिंग निकला था। तब से लेकर आजतक उस स्थान पर बाबुलनाथ का पूजन किया जाता आ रहा है।
आज सावन का दूसरा सोमवार है। ऐसे में महाराष्ट्र के त्र्यम्बकेश्वर ज्योर्तिलिंग, भीमाशंकर ज्योर्तिलिंग, बाबुलनाथ शिव मंदिर, घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग, अंबरनाथ शिव मंदिर, कोपेश्वर शिव मंदिर, भुलेश्वर शिव मंदिर और वालकेश्वर मंदिर सहित अन्य मंदिरों में भक्त बड़ी तादात में पहुंचें है। सवान महीने में भगवान शिव के प्रसिद्ध और प्राचीन मंदिरों के दर्शन से भक्तों की सभी मुरादें पूरी होती हैं और उनके ऊपर भगवान शिव की कृपा बनी रहती है।
Published on:
25 Jul 2022 03:02 pm
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