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Maharashtra: शिवसेना विधायकों की अयोग्यता पर इस साल फैसला आना मुश्किल! जानें आज सुनवाई में क्या हुआ

Maharashtra Politics: शुरुआत में उद्धव गुट के नेता सुनील प्रभु और वकीलों ने स्पीकर के सामने अपना पक्ष रखा।

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मुंबई

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Dinesh Dubey

Sep 25, 2023

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शिवसेना पार्टी और सिंबल याचिका पर सुनवाई टली

Shiv Sena MLA Disqualification Hearing: महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे समेत शिवसेना के 16 विधायकों की अयोग्यता से संबंधित याचिकाओं पर आज विधान भवन में सुनवाई हुई। इस दौरान विधानसभा अध्यक्ष (स्पीकर) राहुल नार्वेकर से उद्धव ठाकरे गुट की ओर से मांग की गई कि सभी याचिकाओं पर संयुक्त सुनवाई की जाए। क्योंकि सभी याचिकाओं का मुद्दा एक ही है। हालांकि एकनाथ शिंदे गुट ने कहा कि सभी याचिकाओं पर अलग-अलग साक्ष्य देने होंगे, इसलिए सुनवाई भी अलग होनी चाहिए। इस मामले की अगली सुनवाई अब 13 अक्टूबर को होगी।

मिली जानकारी के मुताबिक, शिवसेना विधायकों की अयोग्यता मामले में इस साल फैसला आना मुश्किल लग रहा है। अभी स्पीकर दोनों गुटों द्वारा पेश किये गए दस्तावेजों की जांच करेंगे, गवाही होगी और जिरह भी होगा। इस पूरी प्रक्रिया में कम से कम तीन महीने का समय लगने की संभावना है। सूत्रों का कहना है कि इस साल विधानसभा का शीतकालीन सत्र होगा, इस दौरान कई त्योहारों की छुट्टियां भी रहेंगी। ऐसे में दिसंबर तक सुनवाई पूरी होने की संभावना बहुत कम है। यह भी पढ़े-Maharashtra: सुप्रीम कोर्ट की फटकार के बाद स्पीकर बोले- जल्दबाजी में निर्णय लेने से अन्याय होगा

सोमवार को सुनवाई के दौरान ठाकरे गुट की ओर से मांग की गई कि सभी याचिकाओं को एक साथ जोड़कर सुनवाई की जाए। खबर है कि स्पीकर राहुल नार्वेकर अगले दो से तीन दिनों में इस मामले की सुनवाई कैसे होगी, इसका शेड्यूल जारी करेंगे। इस मामले की 13 अक्टूबर को अगली सुनवाई होगी।

आज क्या हुआ?

आज की सुनवाई में दोनों गुटों की ओर से दलीलें दी गईं। वकील देवदत्त कामत ने उद्धव गुट और अनिल साखरे ने शिंदे गुट की ओर से पैरवी की। इस दौरान सभी याचिकाओं को एक साथ जोड़ने और एक सुनवाई करने के लिए शिवसेना (यूबीटी) द्वारा याचिका दायर की गई। जिसपर शिवसेना (एकनाथ शिंदे गुट) के वकीलों ने आपत्ति जताई और कहा कि वे चाहते हैं कि याचिकाओं को अलग-अलग सुना जाए और प्रत्येक याचिका के संबंध में साक्ष्य पेश किए जाएंगे।

देवदत्त कामत ने क्या कहा?

हमारी मांग है कि विधायकों की अयोग्यता से जुड़ी जो भी याचिकायें है, उन्हें एक साथ सुनवाई के लिए रखा जाए। चूंकि सभी याचिकाओं का विषय एक ही है, इसलिए यदि उन पर संयुक्त सुनवाई की जाएगी तो निर्णय लेने में कम समय लगेगा और जल्दी निर्णय देना संभव होगा।

उन्होंने कहा कि याचिका पर अनुसूची-10 (दल बदल विरोधी कानून) के मुताबिक फैसला लिया जाए। हमारे द्वारा कुछ बिंदु उठाए गए थे जिनमें अनुसूची-10 के अनुसार अब किसी साक्ष्य की जांच की आवश्यकता नहीं है। अनुसूची 10 (21ए) के तहत निर्णय स्पीकर द्वारा लिया जाना है। विधायक बैठक में शामिल न होकर सूरत और गुवाहाटी चले गए। इसलिए इन विधायकों ने दसवीं अनुसूची का उल्लंघन किया। सदन में व्हिप का भी उल्लंघन किया गया है।

दल-बदल कानून लागू नहीं होगा- शिंदे गुट के वकील का दावा

लेकिन शिंदे गुट के वकील अनिल साखरे ने इसका विरोध किया। उन्होंने दलील दी कि सभी याचिकाओं को एक साथ नहीं बल्कि अलग-अलग सुना जाना चाहिए। हम स्वतंत्र साक्ष्य देना चाहते हैं। इसी के चलते हमारी मांग हैं कि विधायकों की बात अलग से सुनी जानी चाहिए।

चुनाव आयोग का फैसला हमारे पक्ष में है। जब हम असली शिवसेना पार्टी हैं और आयोग ने हमें पार्टी का नाम और चुनाव चिह्न दिया है तो आप हमें अयोग्यता का नोटिस कैसे दे सकते हैं? शिंदे गुट के वकील अनिल साखरे ने तर्क दिया कि अनुसूची-10 हम पर लागू नहीं होती है।

नहीं होगी लाइव सुनवाई!

वहीं, इस मामले की सुनवाई को लाइव दिखाने की मांग पर स्पीकर राहुल नार्वेकर ने नाराजगी जताई। उद्धव गुट का आरोप है कि सुनवाई को लंबा खींचने की कोशिश की जा रही है। हालांकि सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के आदेश के अनुसार जल्द ही स्पीकर द्वारा सुनवाई के संबंध में पूरा शेड्यूल घोषित किया जाएगा।