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Maharashtra: क्या शिवसेना को फिर मिलेगा ‘धनुष बाण’ निशान? दिल्ली हाईकोर्ट आज सुना सकता है फैसला

Shiv Sena Symbol Row: चुनाव आयोग ने उद्धव ठाकरे गुट को शिवसेना-उद्धव बालासाहेब ठाकरे और मशाल निशान दिया था, वहीं एकनाथ शिंदे गुट को बालासाहेबांची शिवसेना और ढाल-तलवार निशान आवंटित किया था। दरअसल आयोग ने यह फैसला तब लिया जब शिवसेना के दोनों धड़ों ने पार्टी के नाम और चिन्ह पर अपना-अपना दावा ठोका।

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मुंबई

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Dinesh Dubey

Nov 15, 2022

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शिंदे गुट के विधायकों को जल्द अयोग्य घोषित करें स्पीकर- उद्धव गुट

Maharashtra Politics: मुंबई के अंधेरी विधानसभा उपचुनाव के संपन्न होने के बाद एक बार फिर शिवसेना (Shiv Sena) के उद्धव ठाकरे गुट और एकनाथ शिंदे गुट के बीच ‘शिवसेना’ नाम और ‘धनुष बाण’ (Dhanush Baan) चिन्ह को लेकर खींचतान तेज हो गई है। बीते महीने केंद्रीय चुनाव आयोग (Election Commission) ने अंधेरी उपचुनाव के मद्देनजर दोनों खेमों को नया नाम और चुनाव चिन्ह आवंटित किया था। हालांकि तब से ही इसको लेकर उद्धव गुट आपत्ति जता रहा है और दिल्ली हाईकोर्ट में चुनाव आयोग के फैसले को चुनौती दी है।

चुनाव चिन्ह और पार्टी के नाम पर रोक लगाने की प्रक्रिया के खिलाफ ठाकरे समूह ने दिल्ली हाईकोर्ट का रुख किया था। इस पर आज (15 नवंबर) अहम सुनवाई होगी। शिवसेना के ठाकरे धड़े की दलील है कि चुनाव आयोग ने उसके नाम, निशान और झंडे पर एकतरफा फैसला सुनाया है। जिससे उसकी पार्टी की गतिविधियां प्रभावित हुई हैं। यह भी पढ़े-Maharashtra: बालासाहेबांची शिवसेना के साथ मिलकर BJP लड़ेगी विधानसभा और लोकसभा चुनाव, तय हुआ फॉर्मूला

सोमवार को दिल्ली हाईकोर्ट में जवाब दाखिल करके शिवसेना (यूबीटी) अध्यक्ष उद्धव ठाकरे ने कहा कि वह पार्टी के अध्यक्ष हैं और पिछले 30 वर्षों से पार्टी चला रहे हैं, लेकिन चुनाव आयोग के आदेश के कारण वह अपने पिता के नाम और चिह्न का इस्तेमाल नहीं कर सकते हैं।

चुनाव आयोग ने उद्धव ठाकरे गुट को शिवसेना-उद्धव बालासाहेब ठाकरे और मशाल निशान दिया था, वहीं एकनाथ शिंदे गुट को बालासाहेबांची शिवसेना और ढाल-तलवार निशान आवंटित किया था। दरअसल आयोग ने यह फैसला तब लिया जब शिवसेना के दोनों धड़ों ने पार्टी के नाम और चिन्ह पर अपना-अपना दावा ठोका। जिसके बाद 'धनुष और बाण' के निशान को फ्रीज कर दिया गया।

महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना को जून में वरिष्ठ नेता शिंदे की अगुवाई में विधायकों की बगावत का सामना करना पड़ा। पार्टी के अधिकतर विधायकों ने शिंदे का पक्ष लिया, जिससे महा विकास आघाड़ी (एमवीए) सरकार गिर गई। ठाकरे ने 29 जून को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया और उसके एक दिन बाद 30 जून को शिंदे ने मुख्यमंत्री पद की और बीजेपी नेता देवेंद्र फडणवीस ने उपमुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी। तब से ही उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना से विधायक, सांसद, पदाधिकारी और कार्यकर्ता टूटकर शिंदे गुट के साथ जा रहे है।