विवाद, भ्रष्टाचार रोज की बात
झुग्गीपुनर्वास योजना (एसआरए) में अधिकारियों, बिल्डरों और झोपड़ी धारकों के बीच अक्सर वाद-विवाद होता रहता है। भ्रष्टाचार के कई उदाहरण देखने को मिलते हैं। बिचौलियों का बड़ा दल यहां सक्रिय है। इन सबों की वजह से झोपड़ी धारकों और अन्य लोगों की शिकायतों की भरमार रहती है। वर्ष 1995 के बाद से एसआरए में सतर्कता विभाग की पुलिस प्रणाली नहीं है, जबकि झोपड़ी धारक न्याय चाहते हैं। झोपड़ी धारकों और उनके आवास संघों की मांग है कि बिल्डरों, अधिकारियों और झोपड़ी धारकों के साथ टकराव को रोकने के लिए एसआरए कार्यालय में एक अलग सतर्कता विभाग बनाया जाए।
कई बार एसआरए योजना के लिए झोपड़ी धारक अयोग्य बता दिए जाते हैं। जबकि वास्तविकता में बिल्डर की यह सोची-समझी साजिश होती है। बिल्डरों की ओर से कई बार झोपड़पट्टियों के निवासियों को तय किया मकान का किराया नहीं दिया जाता है। इन सभी से जुड़ी शिकायतों में अधिकारी वर्ग झोपड़ी धारकों के साथ असहयोग करते हैं। झोपड़ी धारकों, कर्मचारी व बिल्डरों के बीच लड़ाई-झगड़े भी हुए हैं। एसआरए कार्यालय पर मोर्चा, आंदोलन के बीच भारी भीड़ रहती है। इस भीड़ को नियंत्रित करने के लिए निजी सुरक्षा प्रणाली अपर्याप्त है।
योजना शुरू होने के बाद स्लम के गरीब लोगों के साथ बिल्डर चिटिंग करते हैं। इसकी सुनवाई का कोई सही अॅथरिटी नहीं होने से उनका पक्ष कमजोर रह जाता है। पुलिस प्रणाली नहीं होने से बिल्डरों की मनमानी रहती है। धोखाधड़ी रोकने के लिए सतर्कता विभाग बनाना चाहिए।
– शैलेंद्र कांबले, अध्यक्ष, झोपड़पट्टी गृहनिर्माण सोसाइटी, अंधेरी
धोखाधड़ी के बढ़ते मामलों की वजह से विजिलेंस विभाग की स्थापना के लिए सीईओ दीपक कपूर से बात की गई है, वे इस विषय को लेकर सकारात्मक हैं।
– जयश्री शुक्ला, प्रशासनिक अधिकारी, एसआरए