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लाइफ से लेकर गाड़ियों की इंश्योरेंस तक बीमा में कुछ इस तरह हुए बदलाव, बनाए गए कई नियम

locationनई दिल्लीPublished: Dec 25, 2018 04:42:47 pm

Submitted by:

Dimple Alawadhi

बेहतर भविष्य के लिए जितनी फाइनेंशियल प्लानिंग जरूरी है, उतना ही जरूरी है बीमा (Insurance)। पत्रिका आपको बताएगा कि साल 2018 में बीमा बाजार में क्या कुछ बदलाव आए हैं।

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लाइफ से लेकर गाड़ियों की इंश्योरेंस तक बीमा में कुछ इस तरह हुए बदलाव, बनी अनेक पॉलिसी

नई दिल्ली। बेहतर भविष्य के लिए जितनी फाइनेंशियल प्लानिंग जरूरी है, उतना ही जरूरी है बीमा (Insurance)। किसी भी उद्योग के विकास के लिए बीमा महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। हर साल की तरह इस साल भी भारतीय बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण (IRDA) ने बीमा के नियमों में कई बदलाव किए हैं। नए नियमों से बीमा कंपनियों को तो लाभ हुआ ही है, साथ ही ग्राहकों को भी बेहतर सेवाएं मुहैया करवाई गई हैं। पत्रिका आपको बताएगा कि साल 2018 में बीमा बाजार में क्या कुछ बदलाव आए हैं।


सुप्रीम कोर्ट के आदेश से थर्ड-पार्टी इंश्योरेंस कवर बढ़ा

इरडा ने अगस्त में सभी नई कारों और दोपहिया वाहनों के लिए थर्ड-पार्टी इंश्योरेंस कवर को तीन और पांच सालों के लिए अनिवार्य कर दिया था। यह आदेश सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद जारी किया गया था। इस बदलाव के बाद से ग्राहक के पास वाहन बीमा पॉलिसी खरीदने के तीन अलग-अलग विकल्प हैं। पहला पांच या तीन सालों के लिए थर्ड-पार्टी कवर खरीदें। दूसरा पांच या तीन सालों के कांप्रीहेंसिव कवर खरीदें और तीसरा पांच या तीन सालों के लिए थर्ड-पार्टी कवर खरीदें और एक साल का ओडी कवर खरीदें।


चिकित्सा में बढ़ती महंगाई से राहत दिलाने के लिए प्रस्ताव

इरडा ने मौजूदा स्वास्थ्य बीमा के बहिष्करण नियमों में कई महत्वपूर्ण बदलाव किए हैं। स्वास्थ्य कवर में उन्नत मेडिकल उपचारों को शामिल करने, प्रतीक्षा अवधि में कई चिकित्सा अवस्थाओं को शामिल करने का वर्तमान में प्रस्ताव दिया गया है। कार्यकारी समिति ने प्रस्ताव दिया है कि हाइपरटेंशन, डायबिटीज, और हृदय संबंधी समस्याओं में प्रतीक्षा अवधि को घटाकर 30 दिन किया जाए। इस साल कई नई स्वास्थ्य बीमा पॉलिसियों को पेश किया गया है, जो चिकित्सा में बढ़ती महंगाई से राहत दिलाने का वादा करते हैं।


बीमा बाजार की बड़ी उपलब्धि- सक्रियता-आधारित कल्याण योजना

बीमा बाजार की एक और उपलब्धि सक्रियता-आधारित कल्याण योजना रही। अब बेसिक स्वास्थ्य बीमा योजना पर निर्भरता कम हो रही है, क्योंकि वे इलाज के जरूरी खर्चों को कवर नहीं करते है। इन योजनाओं का मुख्य जोर अधिक स्वस्थ जीवनशैली विकसित करना है, जिसमें ‘हेल्थ कोचिंग’ जैसी गतिविधियां शामिल हैं। इसमें बीमाधारक को एक निश्चित स्कोर हासिल करने पर अगले साल बीमा में छूट मिलती है। मैक्स बूपा लाइफ इंश्योरेंस का गो एक्टिव और आदित्य बिरला लाइफ इंश्योरेंस का एनहैंस ऐसी ही दो वेलनेस-आधारित योजनाएं हैं। इस योजना ने ग्राहकों में तेजी से लोकप्रियता हासिल की है।


सीमित भुगतान योजनाओं की हुई शुरुआत

विशेष बीमारी के खर्चों को कवर करने के लिए कई स्वास्थ्य बीमा लॉन्च किए गए। जीवन बीमा के क्षेत्र में साल 2018 में टर्म बीमा के तहत सीमित भुगतान योजनाओं की शुरुआत हुई। इन योजनाओं के टर्म प्लान में 60 साल बीमा की किश्त चुकानी होती है, जबकि 80-85 साल तक कवरेज मिलता है, क्योंकि लोग अपने दायित्व को उस वक्त तक खत्म कर देना चाहते हैं, जब तक उनकी कमाने की क्षमता है और वे पेंशन से बीमा का भुगतान करना नहीं चाहते हैं। अपोलो म्यूनिख हेल्थ इंश्योरेंस का आईकैन और रेलीगेयर हेल्थ इंश्योरेंस का क्रिटिकल मेडिक्लेम भी लॉन्च किया गया।


यूलिप योजनाओं की मांग बढ़ी

साल 2018 में निवेश के क्षेत्र में यूलिप योजनाओं की अच्छी मांग रही, क्योंकि अब ग्राहक यूनिट-लिंक्ड बीमा योजनाओं में उनकी पारदर्शिता और विश्वसनीयता के कारण अधिक रुचि ले रहे हैं। इन पॉलिसियों का प्रीमियम आवंटन शुल्क और पॉलिसी प्रबंधन शुल्क सामान्यत: शून्य होता है और फंड प्रबंधन शुल्क 1 से 1.35 फीसदी तक है, जिसे इरडा ने अधिकतम 1.35 फीसदी तक सीमित कर दिया है।

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