
भारी बारिश से इस जिले में किसानों की हजारों बीघा फसल डूबी, मंडराया बाढ़ का संकट, लोगों में दहशत
शामली। पिछले 3 दिनों से हो रही लगातार बारिश ने यमुना नदी का जलस्तर बढ़ा दिया है। यमुना के निकटवर्ती क्षेत्रो में किसानों की हजारों बीघा फसल पानी भरने से नष्ट हो गई है। वहीं हथिनीकुंड बैराज से शनिवार की शाम को करीब 5 लाख क्यूसेक पानी छोड़े जाने से गांव वालों के सामने अब बाढ़ का खतरा भी मंडराने लगा है।
आपको बता दे कि इन दिनों जनपद शामली के कैराना व झिंझाना के खादर क्षेत्र में यमुना का जलस्तर खतरे के निशान के करीब है। वहीं हथिनीकुंड बैराज से छोड़े गए 5 लाख क्यूसेक पानी ने आसपास के लोगों के लिए बाढ़ का खतरा बढ़ा दिया है। माना जा रहा है कि अगले कुछ ही घन्टों में छोड़ा गया पानी भी यहां पहुंच जाएगा, जिससे यमुना और भी ज्यादा उफान पर नजर आएगी। वहीं 231 मीटर पर खतरे का निशान है और 230.68 मीटर पर फिलहाल यमुना बह रही है।
यमुना नदी में पानी का बहाव अत्यधिक तेज होने से पानी किसानों के खेतों में घुस गया, जिससे कैराना, ऊन और चौसाना क्षेत्र में कटाव के चलते किसानों की हजारों बीघा फसल बर्बाद हो गई। किसानों के सामने परिवार के पालन-पोषण का संकट भी मंडराने लगा है। लेकिन अभी तक किसानों की सुध लेने वाला कोई उनके पास नहीं पहुंचा है। सावन के माह में शामली से हर वर्ष लाखों शिव भक्त गुजरते हैं, जो यहां यमुना नदी में स्नान भी करते हैं।वहीं बाढ़ के खतरे को देखते हुए प्रशासन की ओर से अलर्ट जारी किया गया है। साथ ही ग्रामीणों को सावधानी बरतने के भी निर्देश दिए गए हैं। बढ़ते जलस्तर का जायजा लेने के लिए शामली एसपी भी मौके पर पहुंचे थे।
किसानों की फसलों में पानी आने से जहां किसान परेशान हैं तो अब किसानों को गांव में पानी पहुंचने का भी डर सताने लगा है, क्योंकि गांव के पास बना बांध भी अत्यधिक बारिश की वजह से कई जगह से टूट चुका है। जिससे ग्रामीणों को डर है कि अगर बांध पूरी तरह टूट गया तो यमुना का पानी उनके गांव में घुस सकता है। ग्राम प्रधान से लेकर ग्रामीणों ने भी जिला प्रशासन को बांध के टूटने की सूचना दे दी है, लेकिन सूचना के बाद भी कोई प्रशासनिक अधिकारी घटना स्थल पर नहीं पहुंचा, जिससे ग्रामीणों में प्रशासन के खिलाफ नाराजगी देखने को मिली है।
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एक ओर जहां बढ़ता जल गांव वालों को बाढ़ के खतरे से डरा रहा है तो वहीं प्रशासन ने संबंधित विभागों के अधिकारियों को दिशा-निर्देश जारी किए हैं। यमुना के बांधों पर लेखपालों की ड्यूटी लगाई है और वह कंट्रोल रूप के साथ स्थानीय प्रशासन के संपर्क में हैं। ऐसे में प्रशासन के लिए भी बाढ़ के खतरे से निपटना किसी बड़ी चुनौती से कम नहीं है।
Published on:
29 Jul 2018 03:52 pm
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