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Kanwar Yatra NamePlate Controversy: कांवड़ यात्रा नेमप्लेट पर गिरिराज सिंह का विवादित बयान, कहा- अगर हिंदू नाम से इतना प्यार है तो…

यूपी के मुजफ्फरनगर पुलिस ने कावड़ यात्रा को लेकर एक आदेश जारी किया है। इस मामले पर विपक्ष दल लगातार योगी सरकार पर हमलावर है। अब इसे लेकर केंद्रीय मंत्री और बीजेपी के नेता ने विवादित बयान दिया है।

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22 जुलाई से सावन महीने की शुरुआत हो रही है। भगवान शिव को जलाभिषेक करने के लिए कांवड़ यात्रा निकाली जाएगी। अब इस प्रशासन ने फरमान जारी किया है कि कांवड़ यात्रा में आने वाले ठेले और ढाबे और मालिकों को नेमप्लेट पर अपना नाम लिखना होगा। इसपर जब विवाद होने लगा तो सीएम योगी आदित्यनाथ ने नया फरमान जारी किया। सीएम योगी ने निर्देश जारी करते हुए कहा कि पूरे राज्य में कांवड़ रूट पर दुकानों को खाने की दुकान पर नेम प्लेट लगाना होगा। इस फैसले के बाद अब खाने-पीने की दुकानों पर लोगों ने नेमप्लेट लगाना शुरु कर दिया है।

 कांवड़ यात्रा नेमप्लेट पर गिरिराज सिंह ने कही ये बात

अब इसे लेकर गिरिराज सिंह ने विवादित बयान जारी किया है। उन्होंने सोशल मीडिया एक्स पर पोस्ट शेयर करते हुए कहा, “अगर हिन्दू नाम इतना प्रिय है तो हिन्दू क्यों नहीं बन जाते?” इस मुद्दे को लेकर विपक्ष योगी सरकार और प्रशासन को सवालों के कटघरे में खड़ा कर रहा है। योगी सरकार के इस फैसले की काफी आलोचना की जा रही है। विपक्ष के साथ एनडीए में बीजेपी के सहयोगी भी जमकर विरोध कर रहे हैं।

बीजेपी के सहयोगी भी इस फैसले से नाराज

यूपी सरकार के इस फैसले की आरजेडी, आरएलडी और एलजेपी ने आलोचना की है। तीनों ही दल एनडीए में बीजेपी के साथ हैं। चिराग पासवान ने कहा कि वह जाति या धर्म के नाम पर इस तरह के विभेद का समर्थन नहीं करते हैं। जेडीयू नेता केसी त्यागी ने कहा कि यूपी सरकार का फैसला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास मंत्र के खिलाफ है। 

कांग्रेस महासचिव ने प्रियंका गांधी ने बोला हमला

मुजफ्फरनगर का ये मामला अब तूल पकड़ता हुआ नजर आ रहा है। इस मुद्दे पर कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने योगी सरकार पर हमला बोला है। प्रियंका ने सोशल मीडिया  एक्स पर पोस्ट करते हुए कहा कि हमारा संविधान देश के हर नागरिक को गारंटी देता है कि उसके साथ जाति, धर्म, भाषा या किसी अन्य आधार पर भेदभाव नहीं होगा। यूपी में ठेला, खोमचा और दुकानों पर उनके मालिकों के नाम का बोर्ड लगाने का विभाजनकारी आदेश हमारे संविधान, हमारे लोकतंत्र और हमारी साझी विरासत पर हमला है।  समाज में जाति और धर्म के आधार पर विभाजन पैदा करना संविधान के खिलाफ अपराध है। यह आदेश तुरंत वापस लिया जाना चाहिए और जिन अधिकारियों ने इसे जारी किया है, उन पर सख्त कार्रवाई होनी चाहिए।