गन्ना किसान आर-पार के मूड में, लगाया एनएच-58 पर जाम
उत्तर प्रदेश में गन्ना किसानों ने बकाया भुगतान के लिए सोमवार को एनएच-58 जाम कर एक तरह से अपना शक्ति प्रदर्शन कर दिया है। किसानों ने जिस तरह से एकजुटता दिखाई है, उससे सरकार के लिए मुसीबत भी खड़ी हो सकती है।
मुजफ्फरनगर। उत्तर प्रदेश में गन्ना किसानों ने सोमवार को एनएच-58 जाम कर एक तरह से अपना शक्ति प्रदर्शन कर दिया है। किसानों ने जिस तरह से एकजुटता दिखाई है, उससे सरकार के लिए मुसीबत भी खड़ी हो सकती है। एक तरह से यूं कहा जाए कि अब गन्ना किसानों के आंदोलन ने पूरी तरह रफ्तार पकड़ ली है। किसानों ने फैसला कर लिया है कि जब तक गन्ना भुगतान शुगर मिल मालिक नहीं देंगे तब तक यह आंदोलन चलता रहेगा।
भाकियू के बैनर तले प्रदर्शन
गन्ना किसानों की समस्या के समाधान के लिए भाकियू ने सोमवार से प्रदेशभर में लगभग सभी हाइवे जाम कर दिए हैं। किसानों ने भाकियू जिला अध्यक्ष राजू अहलावत के नेतृत्व ने गांव भैंसी के निकट हाइवे जाम कर शक्ति प्रदर्शन किया। जिला प्रशासन के हाथ पांव फूले
ये नजारा है, दिल्ली-देहरादून राष्ट्रीय राजमार्ग का जहां, हजारों गन्ना किसानों ने हाइवे अनिश्चित काल के लिए जाम कर दिया। जिसके बाद जिला प्रशासन के हाथ पांव फूल गए। मौके पर पुलिस और प्रशासनिक अधिकारी भारी फोर्स के साथ जमे हैं। यात्रियों को किसी तरह की परेशानी ना हो, इसके लिए रूट डायवर्ट कर दिया गया। जिसमें हरिद्वार से मेरठ जाने वाले वाहन मुजफ्फरनगर से जानसठ, मीरापुर मवाना के लिए और मेरठ से हरिद्वार की ओर जाने वाले वाहन चौधरी चरण सिंह कांवड़ नहर पटरी मार्ग से निकाले जा रहे हैं।
बकाया गन्ना भुगतान लेकर ही मानेंगे
दरअसल उत्तर प्रदेश का पश्चिमी क्षेत्र गन्ना बेल्ट माना जाता है। यहां के किसानों का गन्ने की फसल की ओर ज्यादा रुझान होता है। यहां गन्ने की ज्यादा पैदावार होती है। यही कारण है कि ये क्षेत्र शुगर बाउल के नाम से मशहूर है। लेकिन आज इस क्षेत्र को शुगर बाउल के नाम से प्रसिद्ध करने वाला किसान भुखमरी की कगार पर आकर खड़ा हो गया है। शुगर मिल मालिकों ने किसानों को पिछला गन्ना भुगतान नही किया है और अब अगली फसल भी आ गयी है।
किसानों ने बैंक से कर्ज ले तैयार की फसल
किसानों ने बैंक से कर्ज लेकर फसल तैयार की और अब मिल मालिक पिछले गन्ना भुगतान के लिए तैयार नहीं हैं। इस भुगतान में कई बार हाईकोर्ट ने भी हस्तक्षेप किया लेकिन मिल मालिक हैं कि भुगतान के लिए तैयार नहीं हैं। अब किसानों की हालात बद से बदतर हो चली है।