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कौन है स्वामी यशवीर? जिनकी मांग के बाद देश भर में लगाये जा रहे हैं नेम प्लेट

मुजफ्फरनगर में ठेलों और दुकानों पर नेमप्लेट लगाने के आदेश के बाद पूरे देश में हड़कंप मच गया था। पर क्या आप जानते हैं इस पूरे विवाद में स्वामी यशवीर की अहम भूमिका रही थी।

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मुजफ्फरनगर पुलिस ने कांवड़ यात्रा को लेकर एक फरमान जारी किया है। इसमें कहा है कि कांवड़ यात्रा मार्ग पर ढाबे वाले और खाने-पीने की चीजें वाले ठेले वालों को अपना नाम लिखना होगा। इसे लेकर पूरे देश में खूब विवाद हुआ, प्रदेश से लेकर केंद्र तक में खलबली मच गई। लोगों ने योगी सरकार के इस फैसले का जमकर विरोध किया। लेकिन ये मुहिम मुजफ्फरनगर तक ही सीमित नहीं रही। उत्तराखंड सरकार ने भी कांवड़ मार्ग पर नेम प्लेट लगाने का आदेश दे दिया। वाराणासी और कई अन्य धार्मिक क्षेत्रों में भी ये मांग उठी। धीरेंद्र शास्त्री ने भी अपने धाम पर नेम प्लेट लगाने के लिए कहा है।

नेम प्लेट का मुद्दा एक बड़ा विवाद बनकर उभर रहा है। इसके पीछे जो सबसे मुख्य किरदार हैं वो स्वामी यशवीर ही हैं। स्वामी यशवीर ने मुस्लिम ढाबा संचालकों पर हिंदुओं के धर्म भ्रष्ट करने का आरोप लगाया था। उन्होंने पिछले साल भी इस मुद्दे को जमकर उठाया था।



कौन हैं स्वामी यशवीर?

स्वामी यशवीर उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर के बघरा में एक आश्रम में रहते हैं। इसकी स्थापना उन्होंने बीस वर्ष पहले की थी। स्वामी यशवीर खुद को ब्रह्मचारी बताते हैं और वे दीक्षा लेकर आचार्य बने। स्वामी यशवीर महाराज का कहना है कि उन्होंने बचपन में ही अपना घर परिवार छोड दिया था और अब परिवार से उनका संपर्क नहीं है। हरियाणा समेत देश के कई प्रमुख स्थानों पर रहने के बाद पिछले करीब 25 साल पहले वो लौटकर मुजफ्फरनगर आए और बघरा में आश्रम की स्थापना कर एक पूर्ण रूप से संयासी का जीवन व्यतीत कर रहे हैं।

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विवादित टिप्पणी देने के कारण जाना पड़ा था जेल

ये पहला विवाद नहीं है जिससे स्वामी यशवीर का नाम जुड़ा है। स्वामी यशवीर पैंगम्बर मोहम्मद के खिलाफ विवादित टिप्पणी करके सबसे पहले दिसंबर 2015 में चर्चाओं में आए थे। स्वामी यशवी सैकड़ों मुसलमानों को फिर से हिंदू धर्म में शामिल करने का दावा भी करते हैं। स्वामी ने मोहम्मद पैगंबर के खिलाफ मंच से विवादित टिप्पणी की थी। मंच पर उस वक्त बीजेपी के कद्दावर नेता हुकूम सिंह, तत्कालीन बीजेपी विधायक सुरेश राणा और विधायक उमेश मलिक भी मौजूद थे। इस मामले में वीडियो के आधार पर पुलिस ने कांधला थाने में उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज किया था और उन्हें गिरफ्तार करके जेल भेजा था। जेल गए, रासुका भी लगी 28 दिसंबर 2015 को स्वामी जसवीर उर्फ यशवीर सिंह महाराज को आईपीसी की धारा 153, 153ए, 120बी और 295 के तहत जेल भेजा गया था। स्वामी यशवीर पर उस समय रासुका यानी राष्ट्रीय सुरक्षा कानून भी लगाया गया था।

अब एक बार फिर से चर्चा में स्वामी यशवीर

2015 के विवाद के बाद एक बार फिर स्वामी यशवीर चर्चा में आ गए हैं। अब उन्होंने मुजफ्फरनगर में हिंदू देवी-देवताओं के नाम पर खोले गए होटलों के मुस्लिम संचालकों पर हिंदूओं के धर्म भ्रष्ट करने का आरोप लगाया था। इसके अलावा उन्होंने मुस्लिमों को चेतावनी देते हुए कहा था, 'यदि हिंदू देवी देवताओं के फोटो और उनके नाम बोर्ड किसी ऐसे होटल पर पाए जाते हैं. जिनका संचालन मुस्लिम है, तो वह सही नहीं है.'. स्वामी यशवीर ने कहा है कि वो नेम प्लेट की अपनी इस मुहिम को पूरे देश में ले जाएंगे और देश में कहीं भी किसी मुसलमान को हिंदू देवी देवताओं के नाम पर कारोबार नहीं करने देंगे।