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535 प्रतिभाओं का सम्मान करने के साथ ही लक्ष्य निर्धारित करने पर दिया गया बल…VIDEO

नागौर. संत लिखमीदास महाराज स्मारक विकास संस्थान अमरपुरा के तत्वावधान में हुए राज्य स्तरीय प्रतिभा सम्मान समारोह में 535 मेधावियों का सम्मान किया गया। कार्यक्रम में दसवीं, बारहवीं, स्नातक व अधिस्नातक में सर्वाधिक का अंक प्राप्त करने वाले 21 विद्यार्थियों को पदक देकर भी सम्मानित किया गया। इसमें कुल 28 जिलों के मेधावी शामिल रहे। […]

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नागौर. संत लिखमीदास महाराज स्मारक विकास संस्थान अमरपुरा के तत्वावधान में हुए राज्य स्तरीय प्रतिभा सम्मान समारोह में 535 मेधावियों का सम्मान किया गया। कार्यक्रम में दसवीं, बारहवीं, स्नातक व अधिस्नातक में सर्वाधिक का अंक प्राप्त करने वाले 21 विद्यार्थियों को पदक देकर भी सम्मानित किया गया। इसमें कुल 28 जिलों के मेधावी शामिल रहे। इस मौके पर कार्यक्रम में संबोधित करते हुए संस्थान के अध्यक्ष एवं राज्यसभा सांसद राजेन्द्र गहलोत ने कहा कि शिक्षा के क्षेत्र में इस तरह के विशेष आयोजन करके बालकों का उत्साह वर्धन करने का काम करना चाहिए। यही शिक्षा हमें आगे नई दिशा में ले जाती है। उन्होंने विद्यार्थियों से जीवन का लक्ष्य निर्धारित करने का आह्वान करते हुए कहा कि समय का सदुपयोग करना अत्यंत जरूरी है। कक्षा 10 व 12 आदि के विद्यार्थी संकल्प इस दृष्टि से संकल्प लें। उन्होंने कहा कि अभिभावकों द्वारा बालकों को सारी सुविधाएं देने के साथ ही उनकी निरंतर सार संभाल भी करनी चाहिए। युवाओं को आज के समय में भटकने के लिए अनेक साधनों में मोबाइल बहुत महत्वपूर्ण है। इस मोबाइल का सदुपयोग व दुरुपयोग हमारे हाथ में है। उन्होंने कहा कि संतों के पावन सान्निध्य से सीख लेने के साथ ही संस्कार ग्रहण करना चाहिए। उन्होंने कहा कि दिल्ली में माली सैनी समाज का छात्रावास अखिल भारतीय सेवाओं की तैयारी के लिए सुविधा उपलब्ध करवा रहा है। जिसमें अभी 25 से अधिक विद्यार्थी अध्यनरत है। कार्यक्रम में मुख्य जिला चिकित्सा व स्वास्थ्य अधिकारी डॉ जुगल किशोर सैनी ने कहा कि यह हमारी जिंदगी का एक पङाव मात्र है, मंजिल नहीं है। इसलिए इसे और आगे जीवन में परिश्रम व मनोयोग पूर्वक ढंग से अध्ययन करने की आवश्यकता है। नागौर तहसीलदार नरसिंह टाक ने कहा कि एक बार सरकारी नौकरी प्राप्त करने के बाद संतुष्ट होना नहीं है। इसमें और अधिक क्या सुधार करके व परिश्रम से अखिल भारतीय सेवाओं के लिए तैयारी की कराई जा सकती है। इस पर विचार करना चाहिए। कार्यक्रम मेवालाल जादम, संग्राम सिंह गहलोत, अजमेर के प्रदीप कच्छावा, बालमुकुंद भाटी, पुष्पा सैनी, डॉ मोहित सैनी, पुरुषोत्तम सोलंकी, हंसराज माली, बीकानेर के उप महापौर राजेंद्र पंवार, सैनिक क्षत्रिय माली संस्थान के अध्यक्ष कृपाराम देवड़ा, कृपाराम गहलोत, सतीश टाक, जोधपुर विश्वविद्यालय के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ अश्विनी आर्य, असि. प्रोफेसर कविता भाटी व दीपा भाटी, कालूराम सोलंकी, बिशनाराम देवड़ा आदि ने भी संबोधित किया। संचालन बालकिशन भाटी व बजरंग सांखला ने किया।
प्रगति मंजूषा की जारी
इस अवसर पर संस्थान की ओर से प्रकाशित प्रतिभा मंजूषा 2024 का विमोचन किया गया। संस्थान के उपाध्यक्ष मोती बाबा, महासचिव राधा किशन तंवर, सहसचिव हरिश्चंद्र देवड़ा, कोषाध्यक्ष कमल भाटी, कार्यकारिणी सदस्य पारसमल परिहार, धर्मेंद्र सोलंकी, मिश्रीलाल सोलंकी, अधिवक्ता पुरुषोत्तम, लोकेश टाक, सर्वोदय शिक्षण संस्थान के पुखराज सांखला आदि ने प्रगति मंजूषा की जानकारी दी। इस प्रतिभा मंजूषा में सम्मानित होने वाले सभी विद्यार्थियों व कर्मचारियों के साथ-साथ सामाजिक कार्यकर्ताओं का भी सचित्र विवरण दिया गया।
भागवत कथा में भगवान कृष्ण जन्मोत्सव मनाया
अमरपुरा में पाटोत्सव के उपलक्ष्य में चल रहे भागवत कथा में संत गोवर्धनदास महाराज के सानिध्य में भगवान कृष्ण का जन्मोत्सव मनाया गया। इस मौके पर संत गोवर्धनदास ने श्रद्धालुओं को समझाते हुए कहा कि भगवान का जन्म आधी रात को होता है तो बंदीगृह के द्वार खुल जाते हैं। वसुदेव शिशु रूप में भगवान कृष्ण को वृंदावन लेकर पहुंचते हैं। कहने का अर्थ यह है कि पाप का क्षरण होना निश्चित रहता है। भगवान की कृपा होती है तो फिर प्रतिकूल परिस्थितियां भी अनूकूल में परिवर्तित होने लगती है। इसलिए मानव को भक्ति जरूर करनी चाहिए। भक्ति का अर्थ समझना जरूरी होता है। भक्ति का अर्थ यह नहीं है कि आप अपने कर्तव्य को विस्मृत कर दें। अपने कर्तव्य की पालना करते हुए भी इसे समर्पित भाव से किया जा सकता है। इस दौरान भगवान कृष्ण को शिशु रूप में ले जाने का मंचन किया तो श्रद्धालु भगवान का भजन करने के साथ ही जयकारे लगाते रहे। पूरा वातावरण भक्ति के रंग में रंगा रहा। इस दौरान झोरड़ा के प्रसिद्ध राजस्थानी कवि कानदान कल्पित की मारवाड़ी कविता सीखङली को सुमधुर संगीत के साथ सुनाया। कृष्णजी के माता जी देवकी के विवाह के विदाई के अवसर के प्रसंग पर इस विदाई गीत को सुनकर मातृ शक्ति संस्कृति, लोक संगीत व श्रद्धा भाव की त्रिवेणी में डूब गई।