
एफआईआर लिखाने में महीना-डेढ़ महीना तक लगा देते हैं पीडि़त
नागौर. खुनखुना थाना इलाके में एक व्यक्ति को वीडियो सर्च करना महंगा पड़ गया। गूगल में निकले नंबर अथवा लिंक के जरिए वीडियो की तलाश तो पूरी हुई या नहीं पर खाते से करीब नब्बे हजार रुपए साइबर ठगी के चलते छू-मंतर हो गए। हालांकि पीडि़त आए हुए किसी लिंक को क्लिक करना इसकी वजह बता रहा है। सूत्रों के अनुसार पीडि़त भंवराराम ने इस संबंध में खुनखुना थाना पुलिस को रिपोर्ट दी है। रिपोर्ट में बताया कि गत मंगलवार को उसके फोन पे पर पहले एक रुपया आया और बाद में एक लिंक । उसे क्लिक करते ही उसके खाते से करीब नब्बे हजार रुपए गायब हो गए। उधर, सूत्र बताते हैं कि भंवराराम किसी वीडियो की तलाश कर रहा था। गूगल में इसकी तलाश करते-करते किसी फर्जी नंबर पर बात हुई और उसके झांसे में आकर उसने यह रकम गवां दी। जांच में जुटे पुलिसकर्मी भी मानते हैं कि मोबाइल की जांच में यह सामने आया कि वो कोई वीडियो सर्च कर रहा था। इस संबंध में खुनखुना थाना प्रभारी देवीलाल ने बताया कि अभी जांच जारी है। पीडि़त तो फोन-पे पर आए लिंक पर क्लिक करने से रकम जाने की बात कह रहा है। वीडियो सर्च तो किए गए हैं पर किसके, यह पता नहीं।
देरी से देते हैं सूचना और रिपोर्ट
साइबर क्राइम से जुड़े पुलिस अफसर मानते हैं कि इतने प्रचार-प्रसार के बाद भी लोग जागरूक नहीं हुए। लालच में खुद ही साइबर ठगों के चंगुल में फंस रहे हैं। साइबर एक्सपर्ट राकेश चौधरी का कहना है कि पोर्टल के अलावा हेल्पलाइन नंबर भी हैं पर दस फीसदी लोग भी तुरंत इसका उपयोग नहीं करते। ऐसे में देर हो जाती है और फिर रकम रोकना मुश्किल हो जाता है। पिछले दिनों परिवादी कुचेरा निवासी प्रेमसुख गहलोत और थांवला के रोहिताश सिंह के साथ हुई साइबर ठगी पर तुरंत सूचना के बाद कार्रवाई हुई तो ठगी के करीब दो लाख रुपए की राशि बचा ली गई। कई तो शरम के चलते रपट तक दर्ज नहीं कराते। उन्हें लगता है कि वो ठगी के शिकार होकर मजाक का पात्र बनेंगे। कई पीडि़त लोगों के समझाने के बाद भी रिपोर्ट लिखाने में महीना-डेढ़ महीना तक लगा देते हैं।
ऐसे मामलों में रिपोर्ट तक नहीं
पुलिस अफसरों का कहना है कि वीडियो कॉल अथवा अन्य तरीकों से पहले साइबर ठग अश्लील वीडियो/ऑडियो अथवा फोटो तैयार कर लेते हैं। इसके बाद ब्लेकमैल कर ठगी शुरू की जाती है। एक रिटायर सरकारी अफसर ने पिछले दिनों पुलिस अधिकारी को अपनी पीड़ा बताई, उससे हुई ठगी की रकम पचास लाख से ज्यादा थी, यही नहीं शातिर महिला उसे बलात्कार के मामले में फंसाने की धमकी दे रही थी। पुलिस ने रिपोर्ट दर्ज कराने को कहा तो पीडि़त रिटायर अफसर ने मना कर दिया। बोला जैसे-तैसे मेरा पीछा छुड़ाओ। बाद में पुलिस ने समझा-बुझाकर महिला से पिण्ड छुड़वाया। ऐसे मामलों में भी बदनामी के डर से रिपोर्ट नहीं लिखाई जाती। कई हनी ट्रेप मामलों में भी यही हो रहा है।
नम्बर एंगेज मिलने की शिकायत भी
उधर, साइबर ठगी के शिकार लोगों का कुछ और ही कहना है। एक पीडि़त ने बताया कि जब उसके खाते से रकम निकली तो उसने हेल्प लाइन नम्बर पर तुरंत कॉल किया पर वो एंगेज मिला। करीब डेढ़ घंटे की मशक्कत के बाद तक फोन नहीं मिल पाया। बाद में क्राइम पोर्टल पर रिपोर्ट दर्ज कराई। एक महिला का कहना था कि ठगी के बाद पीडि़त मुश्किल में आ जाता है, ना वो फोन कर पाता है ना ही अन्य साधन के जरिए सम्पर्क। इसके लिए एक साइबर टीम का व्हाट्स एप गु्रप हो जो 24 घंटे मॉनिटरिंग करे, शिकायत मिलते ही उस पर कार्रवाई करे। और कुछ नहीं तो रकम तो होल्ड करा सकते हैं, एफआईआर समेत अन्य कार्रवाई तो बाद में भी हो सकती है।
Published on:
04 May 2024 08:28 pm
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