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नागौर जिले में पुलिस थानों स्तर पर यातायात नियमों की कार्रवाई निराशाजनक

जिले में 20 थानों की कार्रवाई दो ट्रेफिक थानों की मात्र एक चौथाई रही, सवारी वाहनों में माल ढोने व माल वाहनों में सवारी ढोने वालों के खिलाफ एक भी कार्रवाई नहीं, वाहनों पर एलईडी लाइटें लगाने व बम्पर लगाने वालों के खिलाफ भी पुलिस नहीं कर रही कार्रवाई

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निजी बस के आगे नियम विरुद्ध लगाई गई एलइडी लाइट

निजी बस के आगे नियम विरुद्ध लगाई गई एलइडी लाइट

नागौर.सडक़ दुर्घटनाओं की रोकथाम को लेकर जिले में किए जा रहे प्रयासों में पुलिस थानों की कार्रवाई निराशाजनक है। हालांकि ट्रेफिक शाखा नागौर व मेड़ता सिटी यातायात थाने की पुलिस ने कार्रवाई की है, लेकिन कुछ क्षेत्र ऐसे हैं, जिनमें पूरे जिले की पुलिस ने एक भी कार्रवाई नहीं की। इसमें सवारी वाहनों में माल ढोने पर वालों के खिलाफ, माल वाहक वाहनों में सवारियां ढोना वालों के खिलाफ, खतरनाक तरीके से वाहन चलाने, वाहन के आगे-पीेछे लोहे का बम्पर लगाने तथा वाहनों पर नियमानुसार लाइट नहीं लगाकर तेज एलईडी लगाने वालों के खिलाफ पुलिस ने मार्च महीने में एक भी कार्रवाई नहीं की। वहीं बुलेट मोटरसाइकिल के साइलेंसर से तेज आवाज कराने वालों के खिलाफ मात्र एक कार्रवाई हुई है, जबकि लोग ऐसे वाहन चालकों से बहुत परेशान रहते हैं, जो तेज आवाज में पटाखे बोलाते हैं।

समिति ने माना निराशाजनक कार्रवाई

मार्च माह में पुलिस विभाग की कुल 3155 कार्रवाई में से शहरी क्षेत्र में ट्रेफिक शाखा नागौर व मेड़ता सिटी की ओर से 2313 कार्रवाई की गई, जो कुल कार्रवाई का 73 प्रतिशत है। इसमें भी अकेले नागौर शाखा की 2045 कार्रवाई है, जबकि मेड़ता में 267 है। नागौर जिले के 20 पुलिस थानों की ओर से की गई कार्रवाई 842 है, यह कुल कार्रवाई का 27 प्रतिशत है, इसे जिला सडक़ सुरक्षा समिति ने निराशाजनक उपलब्धि बताया है। इस प्रकार 28 अधिकतम दुर्घटना स्थलों पर कार्रवाई बहुत ही कम हुई है।

फैशन बन गया एलईडी लगाना

वाहनों के आगे नियम विरुद्ध तेज रोशनी करने वाली एलईडी लगाना आजकल फैशन बन गया है। मोटरसाइकिल से लेकर ऑटो, कार, ट्रक एवं निजी बसों के आगे चालक तेज रोशनी करने वाली एलईडी लगवाते हैं, जिससे सामने वाले वाहन चालक की आंखें चौंधिया जाती है। इसको लेकर गत दिनों राज्य सरकार ने कार्रवाई के निर्देश भी दिए थे, लेकिन कार्रवाई नहीं हुई। पत्रिका ने शहर में ऐसे वाहनों पर कैमरे की नजर डाली तो 80 प्रतिशत वाहनों पर इस प्रकार की एलईडी लाइटें लगी हुई मिली, जो नियम विरुद्ध हैं, इसके बावजूद पुलिस ने मार्च माह में एक भी कार्रवाई ऐसे वाहन चालकों के खिलाफ नहीं की। तेज रोशनी वाली एलईडी लाइटें सडक़ दुर्घटनाओं का बड़ा कारण बन रहा है।

जिले में मार्च 2025 में नागौर पुलिस की ओर से की गई कार्रवाई एक नजर

कार्रवाई बिन्दु - ट्रेफिक शाखा नागौर - ट्रेफिक थाना मेड़तासिटी - कुल

नशे में ड्राइविंग करना - 0 - 0 - 18

तेज ध्वनि व डीजे वाहन - 0 - 0 - 34

बिना हेलमेट वालों पर कार्रवाई - 668 - 76 - 774

बिना कागजात के वाहनों पर - 26 - 1 - 62

ड्राइवर लाइसेंस के निलंबन - 15 - 0 - 15

काले शीशे लगे वाहन - 297 - 8 - 459

बिना नम्बर प्लेट के वाहन - 20 - 2 - 520

बिना सीट बेल्ट ड्राइविंग - 154 - 44 - 267

मोबाइल पर बात करते वाहन चालक - 26 - 30 - 56

क्षमता से अधिक सवारियां भरे वाहनों पर - 590 - 59 - 649

सवारी वाहनों में माल ढोने पर - 0 - 0 - 0

माल वाहक वाहनों में सवारियां ढोना - 0 - 0 - 0

बुलेट मोटरसाइकिल से तेज आवाज करना - 0 - 1 - 1

खतरनाक तरीके से वाहन चलाना - 0 - 0 - 0

हाइवे सडक़ किनारे व नो पार्किंग में वाहन खड़ा करना - 250 - 46 - 300

वाहन के साथ लोहे का बम्पर लगाना - 0 - 0 - 0

वाहनों पर नियमानुसार लाइट नहीं लगाकर तेज एलईडी लगाना - 0 - 0 - 0

कुल - 2045 - 267 - 3155

कार्रवाई में तेजी लाने के निर्देश

जिला सडक़ सुरक्षा समिति की बैठक में पुलिस की कार्रवाई को लेकर जिला कलक्टर अरुण कुमार पुरोहित ने नाराजगी जाहिर की है। कलक्टर के निर्देश पर समिति के सदस्य सचिव व पीडब्ल्यूडी एसई की ओर से जिले के सभी उपखंड अधिकारियों को पत्र लिखकर थाना स्तर पर कार्रवाई बढ़ाने के लिए कहा है। पत्र में बताया कि हर माह जिला कलक्टर की अध्यक्षता में होने वाली जिला सडक़ सुरक्षा समिति की बैठक में पेश किए गए आंकड़ों से यह सामने आया कि प्रतिमाह सडक़ दुर्घटनाओं की संख्या बढ़ रही हैं। सडक़ दुर्घटनाओं की रोकथाम करके सडक़ सुरक्षा बढ़ाने के लिए जिले के 28 अधिकतम दुर्घटना स्थलों पर कार्रवाई के निर्देश दिए थे। कुछ बिन्दुओं में कार्रवाई शून्य अथवा नाम मात्र की गई है, जो सडक़ दुर्घटनाओं की रोकथाम के प्रति लापरवाही व उदासीनता का प्रतीक है। इसके साथ जिले के एसपी व यातायात प्रभारी को एक पत्र लिखा गया है, जिसमें एल्कोहॉलब्रीथ एनालाइजर से नशे में वाहन चलाने वालों की चैकिंग करके सख्त कार्रवाई करने के लिए कहा है, जबकि अधिकतर जगह कार्रवाई शून्य है, इसके पीछे बड़ी वजह चैकिंग करने वालों के पास एल्कोहॉलब्रीथ एनालाइजर उपकरण नहीं होना है।