
After spending crores of rupees, the city park became disorganized even before it could be arranged.
पार्क में ग्रीनरीयुक्त ट्रेक के साथ ही तालाब के ऊपर पुलिया बनाने का काम अब तक नहीं हेा पाया
- मूलभूत सुविधाओं के नाम पर वॉशरूम आदि की असुविधाओं से बड़ी परेशानी
-सुरक्षा कर्मी नहीं होने के चलते हुड़दंगी पार्क में आकर मचाते हैं शोर, फैलाते हैं अव्यवस्था, खाने-पीने का सामान भी वहीं फेक शोर मचाते हुए निकल जाते हैं पार्क से
नागौर. शहर के ह्रदयस्थल पर ने जड़ा तालाब से सटे बने सिटी पार्क को हैरिटेज लुक दिए जाने के प्रयासों पर अब पानी फिरता नजर आने लगा है। करोड़ों की राशि खर्च होने के बाद भी पूरा पार्क अव्यवथित हो चुका है। पार्क में बिखरी ईटें, पत्थरों के टुकड़ों के साथ मुरझायी घास और जलते पेड़ व्यवस्थाओं की तस्वीर दिखाते नजर आ रहे हैं। पार्क में बच्चों के लिए लगे झूलों वाले हिस्सों पर घास का एक तिनका तक नहीं रहा है। अंदर प्रवेश करने के बाद रास्तों पर फैली गंदगी के साथ कई जगहों पर बिखरा कचरा जिम्मेदारों की करतूत बताता मिला। हालात यह हैं कि पार्क के बीच में लगी सीमेंटेड टेबल को तोड़ा जा चुका है। इसके बिखरे टुकड़ों के साथ मूलभूत सुविधाओं के नाम पर बनाया गए वॉशरूम पर भी ताला लटका मिला। बताते हैं कि पार्क के रखरखाव के लिए नगरपरिषद की ओर से एक भी कर्मी को नहीं लगाए जाने का फायदा उठा लोग मनमर्जी के पार्क में प्रवेश करने के बाद जमकर हुड़दंगई करते हैं। इसके चलते आम भी यहां पर कम ही नजर आता है।
बेपरवाही पार्क पर पर पड़ रहा असर
शहर के ऐतिहासिक जड़ा तालाब को हेरिटेज लुक दिए जाने के प्रयास को झटका लगा है। करोड़ों की राशि व्यय होने के बाद भी न केवल तालाब स्थित पार्क पूरा अव्यवस्थित होने लगा है। पूरे पार्क में कई जगहों पर बिखरी ईटें, पत्थरों के टुकड़ों व फैली खाली बोतलें रखरखाव की स्थिति को बताती नजर आती है। इतना ही नहीं, बल्कि पार्क में लगे औसत दर्जे के झूले भी अब देखभाल नहीं होने के कारण बेकार होने लगे हैं। बच्चों के झूलों वाले पार्क की जगह पर हरियाली की जगह फैला कचरा, रेत, मिट्टी और पालीथिन का कचरा जिम्मेदारों की करतूत को बयां करता नजर आता है। इस पूरे हिस्से में अधिकारियों ने हरी घास लगाने के साथ ही इसे पूरी तरह से हरियाली में बदलने का दावा किया था, लेकिन मौके पर हरियाली तो दूर घास का एक तिनका तक नहीं मिलता है।
प्रवेश करते ही मिलती बिखरी कंकरीट
शहर के अमरसिंह की छतरी के निकट स्थित जड़ा तालाब में प्रवेश करते ही सीधा सामना यहां पर बिखरी कंकरीट एवं पत्थरों के छोटे टुकड़ों से होता है। यहां पर टहलने की कोशिश की तो फिर आपके पैर में कोई नोकीला पत्थर गड़ भी सकता है। इसके आगे बढऩे पर छतरी से घिरा हॉल है। यहां पर न तो सफाई है, और न ही बैठने की स्थिति। क्यों कि बगल के गड्ढे में दबे कचरे के ढेर से आती दुर्गन्ध वहां से उठने पर विवश कर देती है। इससे आगे बढऩे पर सामने सीधा तालाब मिलता है। इसके किनारे वाले रास्तों पर बिखरी रेतों के गंदगीनुमा ढेर खुद-ब-खुद आपका रास्ता रोकते हुए नजर आते है। खास बात यह है कि पार्क का पहले एवं दूसरे गेट के पास ही कचरे का ढेर लगा हुआ है।
यहां पर रही अव्यवस्था
पार्क में प्रवेश करते ही बच्चों का झूला पार्क मिलता है। यहां आसपास गंदगी के साथ ही इस झूलों वाले हिस्से में हरियाली बिलकुल नहीं नजर आती है। कुछ जगह पर झूले अपनी जगह से उखड़े नजर आए। हालांकि एक-दो झूलों की स्थित जरूर ठीक नजर आई, जबकि अन्य की हालत औसत से कमतर मिली। इधर काफी मात्रा में बिखरी मिट्टी के साथ इधर-उधर फैले कंकड़ लोगों को परेशान करते नजर आए। इसके बगल में ही जिम के नाम पर लगे उपकरण अधिकारियों के दावों की पोल खोलते नजर आए। हल्के एवं छोटे स्तर के लगे जिम के उपकरणों में से दो टूटे मिले। कुछ अपनी जगह से काफी हद तक उखड़े मिले। इस पूरे हिस्से पर फैली गंदगी के साथ बिखरे पत्थरों के टुकड़े यहां भी मिले।
रखरखाव के अभाव में उग रही झाडिय़ां, जल रहे पेड़
सिटी पार्क में प्रवेश करने के बाद इसके सामने जा रहे रास्ते के किनारों पर हरी घास लगाए जाने का दावा अधिकारियों की पोल खोलता मिला। इस पूरे रास्ते में अंदर की ओर जाने पर कहीं भी हरियाली के नाम पर घास का एक तिनका तक नहीं मिलता है। इसके रास्तों के पास थोड़ी-थोड़ी दूरी पर कचरे के ढेर जरूर मिले। पार्क में घूमने के लिए बने रास्तों के दोनों ओर हरी घास के साथ पेड़ों को लगाने की योजना थी, लेकिन इस पूरे रास्ते में इसके अंतिम छोर तक जाने पर भी हरियाली बिलकुल नहीं मिलती है। यही स्थिति प्रवेश के द्वार के पास है। एक कोने में कचरे का ढेर जरूर मिलता है। कई जगहों पर मोरपंखी सहित अन्य प्रजातियों के लगे पेड़ों की जली हुई पत्तियां भी मिलती हैं। इसमें से कुछ पेड़ों की हालत बेहद खराब मिली। कई जगहों पर से इनकी सूखी पत्तियां, और निकली जड़ इनकी स्थिति को बयां करती मिली।
पार्क में पुलिया अभी तक नहीं बनी
तालाब के इधर-उधर चहलकदमी के लिए यहां पर प्रोजेक्ट के तहत पुलिया का निर्माण ग्रीन वैली के साथ करना था। इसका निर्माण अब तक शुरू नहीं किया जा सका। पुलिया बनने पर बताते हैं कि इस पूरे पार्क का लुक ही बदल जाता। पार्क के अगल-बगल जाने वाले रास्तों के साथ ही पार्क में प्रवेश करने वाले विभिन्न रास्तों को पूरी ग्रीन वैली की तर्ज पर विकसित करने का काम अब तक पूरा नहीं हो पाया। हालांकि रास्तों के निर्माण तो हुए हैं, लेकिन प्रोजेक्ट में ग्रीनरी के साथ करने का वायदा किया गया था। इसकी एक झलक पूरे पार्क में नजर नहीं आई।
यह सुविधा भी नहीं मिल पाई अब तक
पार्क में आने-जाने वालों को यदि हाथ-मुंह आदि धोने सरीखे कार्यों की जरूरत पड़े तो उनको यहां से घर ही जाना पड़ता है। यहां पर वॉशरूम तो बना है, लेकिन इसे अब तक व्यवस्थित नहीं किया जा सका। ऐेसे में पार्क में आने वालों को काफी दिक्कतें होती है।
करोड़ों के पार्क की देखभाल के लिए कर्मी तक तक नहीं
नगरपरिषद की ओर से इसको हैरिटेज लुक दिए जाने का काम पूरा होने से पहले ही इसको अघोषित रूप से बंद कर दिया गया। फिर भी इस पर बताते हैं कि करोड़ों की राशि व्यय की जा चुकी है। इसके बाद भी इसकी देखभाल के लिए नगरपरिषद की ओर से एक भी कर्मी देखभाल के लिए नहीं लगाया गया। इसका फायदा उठा अक्सर हुड़दंगई पार्क में प्रवेश कर शोर-शराबा करने के साथ ही बोतलें इधर-उधर फेंक निकल जाते हैं। यही नहीं, मनमर्जी से गंदगी करने व फैलाने के बाद शोर मचाते हुए पार्क के एक सिरे से दूसरे सिरे की ओर से घूमते रहते हैं। कई बार इनकी उपस्थिति में भूले-भटके परिवार के साथ आए लोग इनके खतरनाक तेवरों को वहां से चुपचाप निकलना ही ज्यादा बेहतर समझते हैं।
इनका कहना है...
शहर के सिटी पार्क के संबंध में इस तरह की कोई जानकारी मेरे सामने तो नहीं आई है। फिर भी पार्क में अव्यवस्था की स्थिति बनी है तो परिषद की ओर से टीम भेजकर इसकी जांच करा ली जाएगी।
देवीलाल बोचल्या, आयुक्त नगरपरिषद नागौर
Published on:
14 Dec 2023 10:15 pm
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