
नागौर. दीपावली के त्योहार को लेकर घरों व प्रतिष्ठानों में होने वाली साफ-सफाई के साथ बदलते मौसम में एलर्जी के मरीजों की संख्या में बढ़ोतरी होना सामान्य बात है। सर्दी के मौसम में वैसे भी अस्थमा व एलर्जी वालों के लिए खतरा ज्यादा रहता है। ऐसे में यदि घर में किसी सदस्य को इस तरह की बीमारी व एलर्जी की शिकायत हो तो उनकी उपस्थिति में सफाई कार्य नहीं करना चाहिए। दीपावली पर कई लोग घरों में रंगरोगन करवाते हैं। रंगों में केमिकल होने के कारण भी अस्थमा व एलर्जी की शिकायत वाले लोगों को श्वास संबंधित परेशानी हो सकती है। जिला मुख्यालय के पंडित जवाहरलाल नेहरू अस्पताल में पिछले कुछ दिनों से लगातार मौसमी बीमारी के मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही है। चिकित्सा विशेषज्ञों का कहना है कि दीपावली की साफ सफाई व बदलते मौसम के कारण एलर्जी व अस्थमा के मरीजों की संख्या आने वाले दिनों में और बढ़ेगी। इस मौसम में होने वाली एलर्जी के खतरे से निपटने के तरीके को बेहतर ढंग से समझने के लिए हमने जेएलएन अस्पताल के श्वसन रोग विशेषज्ञ डॉ. राजेन्द्र बेड़ा से बात की। पेश है बातचीत के प्रमुख अंश -
प्रश्न : बदलते मौसम के साथ घरों की साफ-सफाई के दौरान होने वाली एलर्जी की तकलीफ बढ़ जाती है, इसके क्या कारण हैं?
जवाब : हमारा शरीर कई तरह के कारकों के प्रति प्रतिक्रियाशील और संवेदनशील होता है, जैसे कि बैक्टीरिया, नमी, प्रदूषण का स्तर, धूल और सूरज। खास तौर पर जब धूल की बात आती है, तो हमें एलर्जी होने का खतरा होता है, जो धूल के कणों में रहने वाले छोटे-छोटे कीड़ों से होने वाली एलर्जी के कारण होती है। मौसम बदलने पर दो तरह की तकलीफ होती है, एक एलर्जिक राइनाइटिस व दूसरा अस्थमा। कई बार ये लक्षण एक साथ भी हो सकते हैं।
प्रश्न : एलर्जिक रायनाइटिस क्या है?
जवाब : एलर्जिक राइनाइटिस, एलर्जन्स नामक हवा में मौजूद बारीक कणों के प्रति एक एलर्जिक प्रतिक्रिया है। ये सभी उम्र के लोगों को प्रभावित कर सकता है, लेकिन अक्सर इसकी शुरुआत बचपन या वयस्क उम्र के आरंभ के दौरान होती है।
प्रश्न : एलर्जिक राइनाइटिस के लक्षण क्या हैं?
एक - नाक बहना/बंद होना, खांसी, छींके आना, नाक में खुजली, आंखों में खुजली, लालिमा और पानी आना, मुंह के तालु में खुजली चलना आदि एलर्जिक रायनाइटिस के मुख्य लक्षण हैं।
प्रश्न : एलर्जी से अस्थमा किस प्रकार अलग है?
जवाब : अस्थमा एक सामान्य स्थिति है, जो फेफड़ों को प्रभावित करती है और सांस लेना कठिन बना देती है। यह बचपन में सबसे सामान्य दीर्घकालीक स्थितियों में एक है, जो दुनिया भर में लाखों बच्चों को प्रभावित करती है। इसमें खांसी, छाती में जकडन व सांस में तकलीफ, सांस में सीटी की आवाज आने लगती है।
प्रश्न : कुछ लोगों को मौसम बदलने पर एलर्जी होती है, जबकि कुछ को कभी भी हो जाती है, इसके क्या कारण हैं?
जवाब : दरअसल, एलर्जी भी दो प्रकार की होती है, एक तो बारहमासी एलर्जी और दूसरी मौसमी एलर्जी। मौसमी एलर्जी घास, पेड़ और रैगवीड पराग कण के कारण होती है। पेड़ वसंत में पराग कण छोड़ते हैं, गर्मियों में घास और पतझड़ में खरपतवार काम करते हैं। यदि आप गर्म जलवायु में रहते हैं, तो आपको सर्दियों में एलर्जी का अनुभव हो सकता है, क्योंकि कुछ पौधे निष्क्रिय नहीं हो सकते हैं। मौसमी एलर्जी के लक्षण वसंत, गर्मी और शरद ऋतु के दौरान उत्पन्न होने वाले ट्रिगर्स के संपर्क में आने से होते हैं। कई पौधे अपने साथ हवा में मौजूद एलर्जेंस लेकर आते हैं, जो उनके उगने का मौसम खत्म होने तक रोगियों को परेशान करते हैं।
प्रश्न : ऐसे में साफ सफाई के दौरान एलर्जी से बचने के लिए क्या करना चाहिए?
जवाब : धूल से जिन लोगों को एलर्जी या सर्दी-खांसी होती है, उन्हें काफी सावधानी रखनी चाहिए। घरों सफाई करते समय अपने चेहरे व नाक को ढंककर रखें, मास्क का उपयोग करें। जहां धूल उडऩे की संभावना है, वहां गीले कपड़े से सफाई करें या वैक्यूम क्लीनर का उपयोग करें। तकलीक होने पर विशेषज्ञ चिकित्सक से परामर्श लेकर दवा लें।
प्रश्न : सर्दियों की एलर्जी से कैसे छुटकारा पाएं?
जवाब : सर्दियों में होने वाली एलर्जी को नियंत्रित करने एलर्जी वाले लोगों को अतिरिक्त सावधानी बरतनी चाहिए। इसमें मुख्य रूप से धूल पकडऩे वाले कपड़ों का प्रयोग कम करें, कालीन की जगह कठोर फर्श बिछाएं, सजावटी तकियों या ढंकने वाली वस्तुओं से छुटकारा पाएं। धूल के कणों के संपर्क को कम करने के लिए गद्दे और तकियों पर हाइपोएलर्जेनिक कवर का उपयोग करें। पर्दे, बिस्तर और तकिए को नियमित रूप से गर्म पानी में धोएं।
प्रश्न : अस्थमा प्रबंधन के लिए सबसे बेहतर उपाय/दवा क्या है?
जवाब : अस्थमा के लिए सबसे बेहतर दवा इनहेलर(पम्प) है। लोगों में इसको लेकर भ्रांति है कि अस्थमा की दवाइयों की लत लग जाती है, इसलिए इसको टालना चाहिए। जबकि ऐसा नहीं है। अस्थमा के इलाज के लिए डॉक्टर की सलाह लेकर इनहेलर लेते रहें। इसके बिना इलाज संभव नहीं है।
Published on:
03 Oct 2024 10:57 am
बड़ी खबरें
View Allनागौर
राजस्थान न्यूज़
ट्रेंडिंग
