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आरोपी अनोपाराम की ब्रेन मैपिंग-नार्को की जांच रिपोर्ट अदालत में पेश

- निर्दयतापूर्वक हत्या कर शव के टुकड़े किए थे आरोपी ने, ब्रेन मैपिंग/नार्को जांच रिपोर्ट से मिले संकेत, नागौर में संभवतया पहला मामला जिसमें डीएनए परीक्षण के बाद ब्रेन मैपिंग और नार्को की जांच भी हुई

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गुड्डी की हत्या

श्रीबालाजी थाना इलाके में करीब आठ महीने पहले हुई गुड्डी की हत्या के आरोपी अनोपाराम विश्नोई की नार्को और ब्रेन मैपिंग की रिपोर्ट पुलिस ने अदालत को पेश कर दी है। गुजरात के गांधी नगर स्थित प्रयोगशाला में जुलाई के पहले हफ्ते में अनोपाराम की ब्रेन मैपिंग के बाद नार्को जांच हुई थी।

गुड्डी हत्याकाण्ड

नागौर. श्रीबालाजी थाना इलाके में करीब आठ महीने पहले हुई गुड्डी की हत्या के आरोपी अनोपाराम विश्नोई की नार्को और ब्रेन मैपिंग की रिपोर्ट पुलिस ने अदालत को पेश कर दी है। गुजरात के गांधी नगर स्थित प्रयोगशाला में जुलाई के पहले हफ्ते में अनोपाराम की ब्रेन मैपिंग के बाद नार्को जांच हुई थी। इस जांच में अनोपाराम को करीब पंद्रह दिन गुजरात में रहना पड़ा था। यह नागौर का संभवतया पहला मामला है जिसमें डीएनए परीक्षण के साथ नार्को/ब्रेनमैपिंग टेस्ट हुआ है।

सूत्रों के अनुसार गांधीनगर में हुई जांच के बाद रिपोर्ट बताती है कि अनोपाराम ने गुड्डी की हत्या कर उसके शव के टुकड़े किए। यह बात भी सामने आई कि उसने शव को कई हिस्सों में विभाजित कर वहीं छोड़ दिया था। इसके बाद आठ-दस दिन के अंतर में जानवरों ने इसे खुर्द-बुर्द कर दिया। घटना स्थल पर मिला जबड़ा, पैर की हड्डी और बाल की डीएनए रिपोर्ट में इसके गुड्डी के होने का खुलासा हो चुका था। तीन महीने बाद मिली खोपड़ी का कंकाल भी गुड्डी का ही निकला। इसके बाद ब्रेनमैपिंग और नार्को टेस्ट की रिपोर्ट में अनोपाराम की बताई हकीकत ने पुलिस की मुश्किल खत्म कर दी है। जनवरी में हुई हत्या के बाद शव को तलाशने में पुलिस ने करीब चार-पांच महीने जान झोंक दी। रिमाण्ड के दौरान अनोपाराम के बार-बार शव को कुएं में फेंकने की बात ने पुलिस को उलझाए रखा। जयपुर/दिल्ली से टीमें तक आईं और कुएं को खाली करने के साथ कई बार ड्रोन तक घुमाया गया, लेकिन सबकुछ बेकार निकला।

सूत्र बताते हैं कि अनोपाराम अभी अजमेर जेल में बंद है। मनोवैज्ञानिक तौर पर भी विशेषज्ञों की राय में सामने आया कि अनोपाराम के दिमाग में यह बात बैठ गई थी कि शव नहीं मिलेेगा तो कुछ नहीं होने वाला। फिल्म दृश्यम से प्रेरित होकर या फिर किसी की राय के चलते उसने अपने पंद्रह दिन के रिमाण्ड पर जुबान तक नहीं खोली जबकि उसकी पूछताछ में थाना प्रभारी से लेकर दस-बारह सीओ, तीन एएसपी, एसी के बाद तत्कालीन आईजी रुपिंदर सिंह ने भी कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी थी।