नागौर. प्रदेश में आरटीओ के मार्फत 200 करोड़ से ज्यादा की वसूली करने के बाद भी भी राज्य में हरियाली नहीं बढ़ी। न ही शहरों में ग्रीन पट्टी लेवल का संतुलन बन पाया, और न ही पार्कों में हरियाली बढ़ी है। हरियाली के पेटे यानि की ग्रीन टेक्स के नाम पर प्रदूषण कम करने के लिए वसूली गई इस राशि का व्यय सरकार ने कहां किया है, इसकी जानकारी वसूली करने वाले विभाग के जिम्मेदारों को भी नहीं है। हालांकि सूत्रों की माने तो सरकार ने यह राशि सडक़, रोडवेज सहित अन्य क्षेत्रों में इन्फ्रास्ट्रक्चर बनाने के कार्य में व्यय कर दिया, लेकिन हरियाली पेटे एक धेला तक खर्च नहीं हुआ है।
राज्य सरकार की ओर से वाहनों के प्रदूषण से पर्यावरण को संतुलित करने के लिए हर साल ग्रीन टेक्स की वसूली कर रही है है। सरकार की ओर से आरटीओ के मार्फत वसूली जाने वाली यह राशि यह राशि शहर में ग्रीन बैल्ट व पार्क विकसित करने और इलेक्ट्रिक-सीएनजी वाहनों को बढ़ावा देने पर खर्च करने का प्रावधान है। यह राशिप्रदेश में परिवहन विभाग के 12 आरटीओ, 53 डीटीओ ऑफिस में हर साल करोड़ों में वसूली जा रही है। वसूली राशि का व्यय हरियाली के पेटे एक धेला तक व्यय नहीं किया गया।
प्रदेश में गत वर्ष में मिले ग्रीन टेक्स पर एक नजर
वर्ष वसूली राशि
2022-23 55.79 करोड़
2023-24 75.98 करोड़
2024-25 63.38 करोड़
सूत्रों की माने तो ग्रीन टेक्स के नाम पर की जा रही वसूली में रोडवेज बसों, मेट्रो के अलावा जेसीटीएसएल के अफसरों-कर्मचारियों के वेतन और बसों के मेंटीनेंस पर खर्च हो रही है। यही नहीं, इस फंड से स्थानीय निकायो में सीवरेज डालने, नालियां और सडक़ों का काम कराया जा रहा है। यही वजह है कि प्रतिवर्ष के औसतन हरियाली का एरिया शहरी क्षेत्रों में तेजी से घटा है। स्थिति यह है कि राज्य की राजधानी जयपुर सहित प्रदेश के जिलों में कोटा, पाली, श्रीगंगानगर, राजसमंद, अजमेर, सिरोही, प्रतापगढ़, सवाईमाधोपुर आदि जिलों में गत पांच सालों के दौरान हरियाली का पट्टी एरिया बढऩे की जगह असंतुतिल ही रहा है।
कहां जा रही यह राशि
आरटीओ की ओर से अलग-अलग वाहनों से ग्रीन टैक्स वसूला जा रहा है। इस टैक्स की मोटी रकम का कहां उपयोग हो रहा है, इसकी जानकारी विभाग को भी नहीं है। विभाग की ओर से जमा किए ग्रीन टैक्स की राशि को राजकोष में जमा करा दिया जाता है। अब इस राशि का व्यय कहां होता है, कि जानकारी खुद विभाग को ही नहीं है।
क्या है ग्रीन टैक्स
ग्रीन टैक्स को प्रदूषण कर और पर्यावरण कर भी कहा जाता है। यह एक उत्पाद शुल्क है, जिसे सरकार उन वस्तुओं पर कर लगाकर एकत्रित करती है, जिससे प्रदूषण फैलता है। इसका मुख्य उद्देश्य लोगों को अधिक प्रदूषण फैलाने वाले साधनों के उपयोग के लिए हतोत्साहित करना है, जिससे प्रदूषण कम करने में मदद मिले। इससे प्राप्त धनराशि को पर्यावरण संरक्षण और प्रदूषण को कम करने वाले कार्यों के लिए किया जाता है।
इनका कहना है…
ग्रीन टेक्स की राशि राज्य सरकार के मद में जमा करा दी जाती है। विभाग को केवल राशि जमा कराए जाने के निर्देश हैं, इसलिए इसकी केवल पालना की जाती है।
अवधेश चौधरी, जिला परिवहन अधिकारी नागौर