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‘पाखंड व ढोंग से बचते हुए ज्योतिष का काम करें’

आचार्य रमेश सेनवल ने कहा कि पाखंड एवं ढोंग से बचते हुए मर्यादा में रहकर ज्योतिष का कार्य करें।

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मकराना. आचार्य रमेश सेनवल ने कहा कि पाखंड एवं ढोंग से बचते हुए मर्यादा में रहकर ज्योतिष का कार्य करें। आचार्य सेनवल अखिल भारतीय ज्योतिष संस्था संघ नई दिल्ली, सर्व ब्राह्मण महासभा दिल्ली एवं मां कामाख्या ज्योतिष एवं वैदिक शोध संस्थान के संयुक्त तत्वावधान में तीन दिवसीय वेदांग महोत्सव के दूसरे दिन सोमवार को एच.आर.पैराडाइज में उद्बोधन दे रहे थे। उन्होंने कहा कि जब तक संस्कृत एवं संस्कृति की रक्षा नहीं होगी वेदांग महोत्सव का कोई महत्व नहीं है। ज्योतिष बनी महिलाएं पाश्चात्य वस्त्र पहनकर फैशन डिजाइनर नहीं बनें। गंगा, गीता, गोपाल, संस्कृत एवं संस्कृति हमारे गौरव के आधार है। गुरु परम्परा पर चलते हुए संस्कृत का ज्ञान प्राप्त करें। भारतीय धर्म दर्शन संस्कृति की ज्ञान प्राप्ति में संकोच किस बात का। वैदिक धर्म संस्कार एवं हिन्दू धर्म संस्कृति इन दोनों का महत्व जानने पर समाज को नई दशा एवं दिशा प्राप्त होगी। वैदिक शिक्षा एवं परम्परा का ज्ञान आवश्यक है। महोत्सव में विधायक श्रीराम भींचर सहित अन्य अतिथियों का महोत्सव निदेशक पं. विमल पारीक व संरक्षक के.के. शर्मा ने स्मृति चिह्न देकर अभिनंदन किया।

सकारात्मक सोच से सफलता की सीढ़ी

महोत्सव में उज्जैन से आए ज्योतिष छड़ी वाले बाबा ने कहा कि यदि आप हर व्यक्ति में सकारात्मक सोच लेकर आगे चलते है तो सफलता की सीढ़ी पर चढ़ते है। उन्होंने कहा कि वेदांग के मूल मंत्र को जाने एवं मंत्र का उच्चारण सही होने पर ही परिणाम शत-प्रतिशत मिलते है। महोत्सव में बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ जोधपुर जिले की ब्राण्ड एम्बेसडर डॉ. मोनिका आर. करल ने बताया कि जिस प्रकार सृष्टि पंचतत्व से बनी है उसी प्रकार हमारा शरीर भी पंचतत्व से बना है। आत्मा के भीतर ही परमात्मा है। पूरी सृष्टि ओम से बनी है, जो निराकार है। महोत्सव में मार्तण्डपुरी महाराज ने कहा कि हम सब पर सनातन धर्म की पुर्नप्रतिष्ठा का दायित्व है।

ज्योतिष का कार्य प्रकाश देना

उन्होंने कहा कि ज्योतिष का कार्य प्रकाश देना है। जीवन में जो कुछ हो रहा है उसका आनंद उठाना सीखें। जहां जीवन के उस पार जाने की राह मिले वो तीर्थ है। महोत्सव में ज्योतिष भाई खेंवराज ने कहा कि यर्थाथ के धरातल पर सत्य की परिभाषा भिन्न होती है। आज ज्योतिष एवं सनातन धर्म की क्या स्थिति है, इससे सभी परिचित है। भारत को विश्व गुरु कहा गया है परन्तु इस दायित्व का निर्वहन कौन करें। महोत्सव में ज्योतिष आर.के.भारद्वाज, सुनील पैन्यूली, अरूण बंसल, सुभेष सरमन आदि जनों ने भी ज्योतिष को लेकर अपने विचार रखें।