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चार साल बाद भी खत्म नहीं हुआ इंतजार, डीएनए रिपोर्ट देने में देरी बरकरार

फिर भी रोल मॉडल- राजस्थान डीएनए रिपोर्ट देने की गति के साथ पोक्सो मामले में सजा दिलाने के लिहाज से पूरे देश में आगे

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सात सौ मामलों की रिपोर्ट लम्बित

डीएनए रिपोर्ट देने के मामले में राजस्थान देश का रोल मॉडल बना हुआ है। जयपुर स्थित राज्य विधि विज्ञान प्रयोगशाला में हर माह आने वाले करीब छह सौ में से साढ़े तीन सौ केस की डीएनए रिपोर्ट तैयार हो रही है।

नागौर जिले के करीब सात सौ मामलों की रिपोर्ट लम्बित चल रही है। कम उम्र की बालिका यानी बारह साल तक की बच्चियों से हो रही ज्यादती की रिपोर्ट ही तीन से पांच दिन तक में दी जा रही है। इसके बाद अठारह साल तक की हो या फिर इससे ज्यादा उम्र की, इन पीडि़ताओं की डीएनए रिपोर्ट का इंतजार लम्बा होता जा रहा है, किसी में दो साल तो कोई इससे भी ज्यादा वक्त से इंतजार की कतार में है।

नागौर. डीएनए रिपोर्ट देने के मामले में राजस्थान देश का रोल मॉडल बना हुआ है। जयपुर स्थित राज्य विधि विज्ञान प्रयोगशाला में हर माह आने वाले करीब छह सौ में से साढ़े तीन सौ केस की डीएनए रिपोर्ट तैयार हो रही है। बावजूद इसके लम्बित मामलों की संख्या दिन दूनी-रात चौगुनी बढ़ रही है। कई मामले तो वर्ष 2019 यानी चार साल पुराने हैं जिनकी रिपोर्ट नहीं मिल पाई है। एक अनुमान के मुताबिक जयपुर में करीब चौदह हजार पोक्सो/बलात्कार/हत्या के मामले की डीएनए रिपोर्ट बकाया है, जबकि जोधपुर में एक हजार से अधिक मामले पेंडेंसी में चल रहे हैं। यहां जैसलमेर/बाड़मेर से सम्बंधित मामले जांच के लिए आते हैं। तमाम तैयारियां पूरी होने के बाद भी अजमेर में प्रयोगशाला की शुरुआत अब तक नहीं हुई है।

इन्हें ही मिलती है प्राथमिकता

सूत्रों के अनुसार जयपुर स्थित विधि विज्ञान प्रयोगशाला में अधिकांश उन्हीं मामलों को प्राथमिकता दी जा रही है जिनके बाबत उनके पास पत्र पहुंचते हैं। कभी यह पत्र कोर्ट के जरिए आता है तो कभी मामले काअनुसंधान अधिकारी (आईओ) जारी करता है। इसमें मामले के फैसले अथवा अन्य कारणों से इसे जरूरी बताते हुए जल्द रिपोर्ट देने को कहा जाता है। ये ही नहीं सभी जिलों के एसपी/आईजी समेत अन्य अधिकारी भी जरुरत पडऩे पर जयपुर के विधि विज्ञान प्रयोगशाला के जिम्मेदारों से रिपोर्ट जल्द देने की गुहार लगाते हैं।

सात को फांसी, दो दर्जन को उम्रकैद

सूत्र बताते हैं कि पिछले साल पोक्सो/बलात्कार के मामलों में डीएनए रिपोर्ट ही सजा का आधार बनी। सात अभियुक्तों को फांसी तो दो दर्जन को उम्रकैद की सजा सुनाई गई। राज्य की 56 पोक्सो कोर्ट के कई मामले 2021 से पेंडिंग हैं। हालांकि पूरे देश में राजस्थान की डीएनए रिपोर्ट देने की गति पहले नंबर पर है। अन्य राज्यों में पोक्सो मामले में जहां कनवीक्षण दर 27 फीसदी है, वहीं राजस्थान में यह 38 फीसदी है। राष्ट्रीय स्तर पर भी राजस्थान में डीएनए रिपोर्ट देने की गति को आइडियल माना गया है।

12 यूनिट चाहिए फिलहाल दो पर भर्ती

असल में सबसे बड़ी परेशानी जयपुर की विधि विज्ञान प्रयोगशाला में स्टॉफ की कमी है। फिलहाल दो यूनिट यानी करीब 17 जनों की भर्ती की प्रक्रिया चल रही है। ऐसे में कम स्टाफ के बाद भी कार्य की गति पर कोई एतराज नहीं उठा रहा पर सुप्रीम कोर्ट के आदेश ही नहीं मुख्यमंत्री तक खुद इस रिपोर्ट को अति शीघ्र उपलब्ध कराने के बारे में कई बार आदेश दे चुके हैं।

...यहां भी रुकावट

सूत्रों का कहना है कि पिछले दिनों जोधपुर मेडिकल कॉलेज में भी डीएनए टेस्ट की पूरी तैयारी कर दी गई यहां तक कि पैसा व अन्य सुविधाएं भी मुहैया करा दी गई, लेकिन रुकावट यहां भी हो गई। दरअसल मेडिकल कॉलेज की रिपोर्ट को अदालत नहीं मानने वाली, ऐसे में यहां से मिलने वाली मदद भी रुक गई।

एक नजर

-राज्य में -56 पोक्सो कोर्ट

-जयपुर-जोधपुर में जांच पर अजमेर में नहीं हुई शुरू

-जयपुर स्थित लैब में 12 यूनिट यानी करीब 80 कार्मिक की जरुरत

-चार-चार साल पुराने मामले अभी तक लम्बितइनका कहना

देशभर में राजस्थान डीएनए रिपोर्ट देने में रोल मॉडल बना हुआ है। हर महीने आने वाले करीब छह सौ में से साढ़े तीन सौ मामलों की डीएनए रिपोर्ट तैयार हो रही है। प्राथमिकता के आधार पर रिपोर्ट दे देते हैं। स्टाफ की भर्ती चल रही है तो अजमेर में भी जल्द इसका कार्य शुरू हो जाएगा। पोक्सो केस में सजा दिलाने के मामले में भी राजस्थान अव्वल है।

-अजय शर्मा, डायरेक्टर, राज्य विधि विज्ञान प्रयोगशाला, जयपुर।