सूत्रों के अनुसार परबतसर-मौलासर, नावां-कुचामन के अलावा खींवसर ही नहीं मेड़ता-डेगाना के कुछ गांव में भी हथकढ़ शराब का काला कारोबार बदस्तूर जारी है। इसे लेकर गंठिलासर-रूपपुरा गांव खासा प्रसिद्ध हैं। छोटे स्तर पर देशी व हथकढ़ शराब का निर्माण अब भी नहीं रुक रहा। गांव-ढाणियों तक में हथकढ़ शराब बनी रही है तो बेचने के लिए दूसरे गांव/कस्बे तक पहुंच रहे हैं। आबकारी विभाग ने कार्रवाई के दौरान दर्जनों देशी शराब की भट्टियां नष्ट की व नकली अंग्रेजी शराब के भी प्लांट भी पकड़े। बावजूद सस्ती और आसानी से बनने वाली यह शराब कमाई का मोटा जरिया बन चुका है।
सूत्रों ने बताया कि गांव-ढाणियों में चल रहे इस अवैध कारोबार के बारे में सबको पता है पर ना इसकी शिकायत होती है ना ही कार्रवाई के लिए अमला समय पर आ पाता है। यदा-कदा ऐसा होने पर गांव-ढाणियों के बाहर दूर तक बैठे मुखबिर पहले ही चेता देते हैं और अवैध देसी/हथकढ़ शराब का मामला ठीक ढंग से पकड़ में नहीं आ पाता। यह भी जानकारी सामने आई कि आबकारी हो या पुलिस ऐसे मामलों में एकदम से कार्रवाई करने से बचती है। वो इसलिए कि जनप्रतिनिधि ही नहीं गांव/ढाणी के लोग तक इस काम में जुटे काले कारोबारी को संरक्षण देते हैं। कई बार तो आबकारी टीम पर हमला करने जैसी घटनाएं हो चुकी हैं।
परबतसर के दो तो नावां का एक गांव ए ग्रेड में आबकारी विभाग के तथ्यों पर गौर करें तो अवैध/नकली शराब बनाने के मामले में परबतसर के उचेरिया और बिदियाद तो नावां का लिचाणा ए ग्रेड में है। मतलब अवैध/नकली शराब बनाने के लिहाज से नागौर (डीडवाना-कुचामन) में टॉप पर है। स्प्रिट से बनने वाली नकली शराब बनाने के मामले में भी ये तीनों अव्वल हैं। वहीं कम केस और कम शराब बनाने/बेचने के मामले में बी ग्रेड का कोई गांव यहां नहीं है जबकि सी ग्रेड के गांवों की भरमार है।
जिलेभर में शराब के सी ग्रेड ठिकाने हथकढ़ शराब के मामले में नागौर के गाजू, तांतवास, पांचौड़ी, संखवास, सैनणी, ढाढरिया खुर्द, खींवसर, कुचेरा भी पीछे नहीं हैं। इसके अलावा मेड़ता के लाम्पोलाई, पादूकलां, सांजू, खुड़ीकला, थाटा, लाडपुरा, रियांबड़ी, हरसौर, भैरूंदा, रेण, करलू, लाडपुरा, डोडीयाना तो डीडवाना के बडावरा, कोलिया, खाटुखर्द, जावलियावास, बिचावा, लाडनूं के पीडिया, जैसलान, रोहिणा तो परबतसर के जावला, मकराना, मनाणी, रामसिया, मनाणा, गच्छीपुरा,भानपुरा, पीह, इटावा, बूडसू, इन्दोखा तो नावां के हुडील, अड़कसर, धनकोली, रसाल, शिव, कुकनवाली आदि गांव अवैध शराब के मामले में चिन्हित किए गए थे। सी ग्रेड में चिन्हित इन गांव में केस भी कम बने तो शराब बनाने/बचने का सिलसिला भी धीमा हुआ।
होती ही नहीं शिकायत… सूत्र बताते हैं कि गांव/ढाणियों समेत अन्य स्थानों पर भी हो रहे अवैध शराब के काले कारोबार के बारे में आबकारी विभाग तक शिकायत कम ही पहुंच पाती है। असल में वहां की स्थानीय जनता वहां के जनप्रतिनिधि को अवगत कराते हैं पर कार्रवाई करने के नाम पर अक्सर जनप्रतिनिधि पीछे हट जाते हैं। संबंध खराब ना होना, पॉलिटिकल नुकसान सहित अन्य कारणों से वे इनका विरोध नहीं करते और इनके अघोषित संरक्षण से फिर जनता भी सामने नहीं आती।
दो साल में पांच सौ केस, इतनी ही गिरफ्तारी करीब दो साल में आबकारी विभाग ने हथकढ़/नकली शराब बनाने के साथ अवैध शराब बेचने के करीब पांच सौ मामले दर्ज किए। साढ़े चार सौ से अधिक को गिरफ्तार भी किया। दो दर्जन से अधिक नकली शराब के कारखाने पकड़े। इसके बाद भी कोई खास बदलाव नहीं हुआ। हालांकि आबकारी विभाग अवैध शराब का निर्माण व बिकवाली पहले से कम होने का दावा करता है।
इनका कहना हथकढ़ शराब का निर्माण पहले से कम हुआ है, जो गांव चिन्हित हुए थे उनमें काफी कार्रवाई की गई। हमारा फोकस पहले स्प्रिट से बनाई जाने वाली नकली शराब के ठिकाने पकडऩा होता है। हथकढ़ शराब का बनना भी इसलिए कम हो रहा है कि अब यह महंगी पडऩे लगी है। दो साल में करीब पांच सौ केस बनाकर कई अवैध शराब के कारखाने पकड़े हैं।
-मनोज बिस्सा, जिला आबकारी अधिकारी, नागौर।