नागौर. रामदेव पशुमेला मैदान में गंदगी के बीच ही पशुओं की आवक शुरू हो गई है। हालांकि रामदेव पशु मेला की विधिवत शुरूआत 30 जनवरी से होगी, लेकिन हर सप्ताह भर पहले ही पशुपालक पशुओं के साथ आने लगते हैं। इस बार भी ऐसा हो रहा है। मेला में आ रहे पशुपालक जैसे-तैसे खुद के स्तर पर जगह की सफाई कर काम चला रहे हैं। जबकि हालात यह हैं मैदान में न केवल कई जगह अनचाहे खड्डे , बल्कि प्लास्टिक की बोतलों के साथ बिखरे कचरे जिम्मेदारों के जिम्मेदारी की कलई खुद-ब-खुद खोलते हुए नजर आ रहे हैं। इसके बाद भी मेला प्रशासन के अधिकारी यह दावा करने में लगे हुए हैं कि मेला शुरू होने के पहले सभी कुछ व्यवस्थित हो जाएगा।
रामदेव पशु मेला की तैयारियों को जोर-शोर से किए जाने का दावा मेला प्रशासन की ओर से किया गया था। हाल ही में जिला कलक्टर अरुण कुमार पुरोहित की अध्यक्षता में ह मेला कराए जाने के लिए इससे जुड़ी व्यवस्थाओं पर चर्चा की गई थी। इस दौरान मेला को बेहतर कराए जाने के दावे अधिकारियों की ओर से किए थे। मेला मैदान में प्रवेश करने पर बैठक में किए गए अधिकारियों के दावों की कलई खुलती नजर आई। मुख्य गेट से लेकर मैदान के अंतिम छोर तक स्थिति बेहद गंभीर नजर आई। सरकारी स्टॉलों लगने वाली जगहों से लेकर गोवंश, ऊंट वंश, घोड़ों आदि के ठहरने वाले स्थलों की हालत बेहद खस्ता मिली।
हाल-ए-बेहाल पशु मेला मैदान
जोधपुर रोड स्थित मुख्य मेला मैदान में प्रवेश करने पर सीधा सामना गहरे खड्ड से होता है। इस खड्ड में गंदगी के साथ बोतलें आदि भरी मिली। इसके सामने ही सरकारी कार्यालयों स्टॉलें लगती है। इस जगह पर चार से पांच जगह कचरे के छोटे-छोटे ढेर लगे मिले। इसके पीछे स्थित खुले मैदान में ऊंट वंश ठहरते हैं। यह पूरा इलाका कंटीली झाडिय़ों के साथ गंदगी से लबरेज मिला। यहां पर नौ जगहों पर कचरे के लगे ढेर के साथ ही गहरे खड्डे भी पाए गए। ऊंट वंश ठहरनेवाले रास्तों में जोधपुर रोड से प्रवेश करने पर ऊंचे-नीचे रास्ते मिलते हैं। इनमें कुछ जगहों पर वही खड्डे ही नजर आते हैं। इनके पास गंदगी के ढेर। इसके साथ ठीक सामने स्थित चारदीवारी से सटे एरिया में गोवंश ठहरते हैं। गोवंश ठहरने वाला पूरा स्थान ही किसी पहाड़ी इलाके में बदला हुआ मिला। कंटीली झाडिय़ों के साथ ही कई जगहों पर बिखरी प्लास्टिक बोतल, पालीथिन बिखरी हुई मिलती है।
पानी की खेली के चारो ओर गंदगी का ढेर
मुख्य पशु मेला मैदान में पशुओं के पानी पीने वाले प्रमुख स्थल के रूप में बनी पानी की खेली के चारो ओर कचरों का अंबार लगा हुआ है। छोटी, बड़ी ईंटों के ढेरों के साथ ही यहां पर दुर्गन्ध फैलाता हुआ कचरे का एक नहीं, बल्कि कई जगहों पर ढेर लगा मिला। स्थिति यह है कि पानी खेली के पास ठहरना ही मुश्किल हो रहा था। अब ऐसे में पशुपालक यहां पर अपने पशुओं को पानी कैसे पिलाएंगे, समझा जा सकता है।
पशुओं की आवक शुरू, फिर भी बेपरवाह बने
रामदेव पशु मेला शुरू होने में हालांकि अभी करीब एक सप्ताह का समय बचा हुआ है, लेकिन पशुओं की आवक मेला मैदान में शुरू हो गई है। मेला मैदान में अब रस्सी से बंधे बैल नजर आने लगे हैं। कुल बैलों की संख्या सात ही मिली, लेकिन यह मेला शुरू होने के पहले इसलिए आ गए ताकि इनको बेहतर स्थान मिल सके। इस संबंध में जोगाराम से बातचीत हुई तो बताया कि वह तो चार दिन पहले ही आ गया था। हर साल मेला आता है। पूर्व में मेला मैदान तो साफ मिलता था,लेकिन इस बार मेला मैदान अभी तक गंदा साफ ही नहीं हो पाया।
एक सफाई करता मिला, दूसरा कचरे का ढेर लगाता
मेला मैदान में सफाई तो हो रही है, लेकिन रफ्तार बेहद धीमी है। कारण मेला शुरू होने में ज्यादा दिन नहीं होने के पश्चात भी अब तक सफाई के नाम पर खानापूर्ति की जा रही है। स्थिति यह रही पूरे लंबे-चौड़े मेला मैदान में एक आदमी सफाई कर रहा था तो दूसरा थोड़ी ही दूरी पर उसी कचरे का ढेर लगा रहा था। कचरा का परिवहन कराकर निस्तारण कराया जाता तो फिर शायद मैदान की तस्वीर कुछ बेहतर होती।
इनका कहना है…
रामदेव पशु मेला 30 जनवरी से झण्डारोहण के साथ शुरू होगा। इसके पहले पूरी व्यवस्था मुकम्मल कर ली जाएगी।
डॉ. महेश कुमार मीणा, संयुक्त निदेशक पशु पालन व पशु मेला प्रभारी