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हर रचना अपने समय का दस्तावेज: पथिक

नागौर. हर कविता और रचना में छंद और लय होती है, तभी आदमी गुनगुनाता है। विचारक और कवि गिरिराज व्यास की पुस्तक गुनगुनाता हूं में अपनी काव्य रचना में छंद और लय की विधा को बखूबी निभाया है।

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गिरिराज व्यास की पुस्तक गुनगुनाता हूं का विमोचन

लोकार्पण समारोह

यह बात शनिवार को नागौर स्थित पारीकों की पोल के सभागार में पुस्तक के लोकार्पण समारोह में वरिष्ठ साहित्यकार चरणसिंह पथिक ने बतौर मुख्य अतिथि कही। पथिक ने कहा कि कविता की साधना सबसे कठिन होती है, रचनाकार की समाज में बहुत बड़ी जिम्मेदारी होती है और हर रचना अपने समय का दस्तावेज होती है। रचना का सृजन कड़ी मेहनत और तपस्या के बल पर होता है। वरिष्ठ साहित्यकार एवं प्रखर वक्ता श्री कृष्ण कल्पित ने कहा कि वीर और कवियों का संबंध जैसा राजस्थान की धरा पर है, ऐसा संबंध दुनिया में अन्यत्र दुर्लभ है। यह परम्परा निरन्तरता से चली आ रही है। उन्होंने कहा कि गुनगुनाने और गाने में बहुत बड़ा अंतर है। गाया जाता है, दूसरे के लिए और गुनगुनाया जाता है खुद के लिए। कवि अपनी बात को जब अपनी रचना के माध्यम से रखता है, तभी लोगों को उस पीड़ा का आभास हो पाता है।

समारोह की अध्यक्षता करते हुए विचारक प्रोफेसर भवानीशंकर शंकावत ने कहा कि कवि होना सहज काम नहीं है, कवि के द्वारा जो समाज में देखा व महसूस किया जाता है, उसे अपनी काव्य रचना के माध्यम से समाज के सामने रखता है। गीतकार धनराज दाधीच ने गांव गली चौबारा छूट्या, एक पेट के कारणे... अपनी सुन्दर रचना सुनाकर लोगों को भाव-विभोर कर दिया ।राजस्थानी भाषा के वरिष्ठ साहित्यकार पवन पहाडिया ने हिन्दी लेखकों को बाल-साहित्य सृजन करने का आग्रह किया, ताकि आने वाली पीढ़ी में साहित्य के प्रति रुचि बढ़ सके। पारीक समाज के अध्यक्ष सुरेश पारीक ने भी विचार व्यक्त किए।

अखिल भारतीय राजस्थानी भाषा मान्यता संघर्ष समिति के संस्थापक वरिष्ठ साहित्यकार लक्ष्मणदान कविया ने बाहर से आए साहित्यकारों का स्वागत करते हुए उन्हें स्मृति चिन्ह भेंट किए। कवि प्रहलाद सिंह झोरड़ा ने सरस्वती वन्दना प्रस्तुत की तथा राजस्थानी गीत सुनाकर श्रोताओं को मंत्रमुग्ध किया। मनोज व्यास ने अतिथियों का स्वागत किया। लेखक गिरिराज व्यास ने कहा कि जब भी कविताएं सशक्त हुई है तब-तब समाज और राष्ट्र मजबूत हुए हैं। उन्होंने कहा कि साहित्य वह प्रवाह है जो वर्तमान को जोडऩे का काम करता है। पत्रकार नरेन्द्र पारीक ने कार्यक्रम का संयोजन किया।

बाल कलाकार सिद्धार्थ व्यास की बाल पुस्तिका Òआओ बच्चों हम गीत लिखेÓ पुस्तक का भी विमोचन किया गया। वर्ष 1971 की लड़ाई में सुगनसिंह मातृभूमि की रक्षा करते हुए शहीद हो गए थे। उनकी स्मृति में साहित्यकार तिलोकचन्द्र द्वारा लिखित कविता नमन स्मृति चिह्न के रूप में शहीद सुगनसिंह के पुत्र मांगूसिंह को भेंट की गई।समारोह में रामपाल व्यास, जंवरीलाल भट्ट, भंवरलाल कासनिया, निरंजन पारीक, आनंद पारीक, निरंजन व्यास, महावीर प्रसाद व्यास, दिलीप पित्ती, रामकिशोर फिडोदा, जिनेन्द्र जैन, शिवशंकर व्यास, मोहनराम कसवां, कुलदीप पारीक, श्रेयांश, गणपतलाल पारीक, शंकरलाल चतुर्वेदी, बरंगलाल जोशी आदि उपस्थित रहे। संचालन शरद कुमार जोशी ने किया।

प्रगति लेखक संघ की बैठक

नागौर. कृष्ण कल्पित की अध्यक्षता में प्रगतिशील लेखक संघ की शनिवार को बैठक हुई। बैठक में नागौर इकाई की ओर से भविष्य के कई कार्यक्रमों को लेकर चर्चा की गई। मंडल अध्यक्ष कल्पित ने नागौर इकाई के लिए गीतकार धनराज दाधीच को अध्यक्ष, नरेन्द्र पारीक को महासचिव,गिरिराज व्यास को कोषाध्यक्ष, प्रहलाद झोरड़ा को उपाध्यक्ष, एस अमन, प्रकाश जांगीड़ को यथावत रखा गया। संरक्षक राजेश विद्रोही, लक्ष्मणदान कविया व सतीश देहरा को भी यथावत रखा गया। हेमा पारीक, कोमल सोमलवाल, घनश्याम चायल, इरफान नोमानी, मो.अनवर सिलावट, सत्यपाल सांदू, प्रेम सिंह चारण, महेन्द्र ज्याणी को भी यथावत रखा गया।