
प्रथम व द्वितीय विश्व युद्ध के बाद करगिल युद्ध में दिखाया इस परिवार के जवानों ने जज्बा
तन समर्पित, मन समर्पित और यह जीवन समर्पित....
नागौर. तन समर्पित मन समर्पित और यह जीवन समर्पित, चाहता हूं देश की माटी तुझे कुछ और भी दूं...। राष्ट्र के प्रति समर्पण की भावना से ओतप्रोत देश भक्ति गीत की इन पंक्तियों को साकार किया है जिले की जायल तहसील के नोसरिया गांव के एक फौजी परिवार ने। प्रथम विश्व युद्ध में उत्कृष्ट सेवाएं देने वाले लालसिंह पुत्र अनाड़सिंह की चौथी पीढ़ी देश सेवा में जुटी है। मातृभूमि के लिए कुछ कर गुजरने की सीख परिवार को विरासत में मिली और राजपूत चाम्पावत परिवार की चौथी पीढ़ी के राजूसिंह इस सिलसिले को कायम रखे हुए हैं।
विश्व युद्ध में भी रहे शामिल
जानकारी के अनुसार गांव के लालसिंह ने राजपूत राइफल्स यूनिट में आरएफएन के रूप में 1914 से 1918 तक सेना में भारत-जर्मन की लड़ाई में भाग लिया। वर्तमान में पाकिस्तान में स्थित डेरा इस्माइन खान में युद्ध में ड्यूटी के दौरान उन्होंने दुश्मनों के दांत खट्टे कर वीरता का परिचय दिया। इसके बाद दूसरी पीढ़ी में लालसिंह के पुत्र जसंवत सिंह ने द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान शौर्य का प्रदर्शन किया। उन्हें पहला मेडल 1939, 1945 तथा दूसरा पदक 1947 व 15 अगस्त मेंं भारत सरकार की ओर से दिया गया। गौरतलब है कि जम्मू कश्मीर में (ऑपरेटर आट्रीलिरी) में तैनात रहे जसवंत सिंह का गत 7 जून 2018 को 96 वर्ष की आयु में निधन हो गया था।
सेवा का जज्बा आज भी कायम
परिवार में आजादी के पहले से सेना में जाकर देश सेवा करने का सिलसिला बरसों बाद चौथी पीढ़ी में भी जारी है। तीसरी पीढी के हवलदार हुक्म सिंह ने 1999 में करगिल युद्ध में दुश्मनों को धूल चटाकर शौर्य का परिचय दिया। वर्ष 2011 में हवलदार क्लर्क के रूप में सेना में भर्ती होकर परिवार के राजूसिंह राष्ट्र सेवा कार्य को जारी रखे हुए हैं। भूतपूर्व सैनिक हुक्मसिंह चाम्पावत बताते हैं कि उन्हें फक्र है कि परिवार चार पीढियों से मातृ भूमि की सेवा में जुटी हुआ है। परिवार के सदस्य बलिदान व शौर्य से वंश सेवा का विस्तार करते हुए देश सेवा के व्रत को निभा रहे हैं।
Published on:
26 Jul 2018 11:35 am
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