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कच्ची बस्ती स्कूल में पढऩे वाले बच्चों के अभिभावकों ने कहा कुछ ऐसा कि हर कोई हो जाए भावुक

राजस्थान पत्रिका व शारदा बाल निकेतन द्वारा भामाशाहों के सहयोग से कच्ची बस्ती में जरूरतमंद बच्चों के लिए संचालित नि:शुल्क स्कूल

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Free school run by Rajasthan Patrika and Sharda Baal Niketan

Free school run by Rajasthan Patrika and Sharda Baal Niketan

नागौर. बस बच्चों को स्कूल भेजना हमारे लिए उसी ख्वाब की तरह था जो कभी पूरा नहीं होना था। बावजूद इसके किस्मत ने साथ दिया और पत्रिका के साथ आए भामाशाहों ने हाथ थाम हमारे बच्चों की जिंदगी संवार दी। आज रोना आता है जब याद आता है कि कभी ये बच्चे कचरा बीनने जाते थे, कांधे पर बोरी लटकाए। अब स्कूल जा रहे हैं किताबों के बस्ते के साथ। बड़ा फर्क है जिंदगानी में। ये बात बाल दिवस पर कच्ची बस्ती के उन लोगों ने कहीं जिनके बच्चे अब राजस्थान पत्रिका व शारदा बाल निकेतन द्वारा भामाशाहों के सहयोग से संचालित नि:शुल्क स्कूल में पढऩे जाते हैं। अभिभावक ओमप्रकाश ने कहा कि राजस्थान पत्रिका व शारदा बाल निकेतन ने हमारे बच्चों को शिक्षा से जोडक़र बच्चों को जो एक तरह के दलदल से निकालने का पुनीत कार्य किया है, उसकी जितनी तारीफ करूं कम होगी। आज बच्चे रोज नहाकर बैग लेकर स्कूल पढऩे जाते हैं, जिसे देखकर बहुत अच्छा लगता है।

बाल दिवस पर खेलकूद प्रतियोगिता आयोजित
बाल दिवस पर नायक कच्ची बस्ती स्थित स्कूल में बच्चों के लिए कई खेलकूद प्रतियोगिता आयोजित की गईं। कार्यक्रम में शिक्षक लक्ष्मीकांत बोहरा ने बच्चों से सरस्वती पूजन करवाकर अद्र्धवार्षिक परीक्षाओं की शुभकमानाएं दी। इसके बाद उन्हें बॉलीवॉल, रुमाल झपट्टा आदि खेल खिलाए। इस मौके पर सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग कार्यालय परिसर में संचालित छात्रावास की अधीक्षक निर्मला चौधरी ने बच्चों को मेहनत से पढ़ाई करने की सीख देते हुए चॉकलेट वितरित की। इस मौके पर शिक्षक श्रीराम विश्नोई व काफी लोग मौजूद थे।

पहले हम कचरा बीनने जाते थे, लेकिन अब रोज नहाकर पढऩे के लिए स्कूल जाते हैं। स्कूल में पढऩा लिखना व खेलना बहुत अच्छा लगता है। हमारे स्कूल में हमसे मिलने अच्छे-अच्छे लोग आते हैं। जो हमारे लिए कई जरूरी वस्तुएं उपलब्ध कराते हैं।
सोनू


पहले बस्ती में सरकारी स्कूल था जिसमें हम पढऩे जाते थे, लेकिन उसे बंद करने के बाद हमारी पढ़ाई बंद हो गई। अब बस्ती में ही नि:शुल्क स्कूल चलाई जा रही है, जिसमें हम रोज पढऩे जाते हैं।
सोनू भांड

बस्ती में स्कूल नहीं होने से पहले हम स्कूल नहीं जा पाते थे, लेकिन राजस्थान पत्रिका व शारदा बाल निकेतन द्वारा हमारे लिए नि:शुल्क स्कूल चलाया जा रहा है। अब हमें स्कूल जाना बहुत अच्छा लगता है।

गुनगुन

पहले में ढोल बजाने जाता था, लेकिन जब से हमारी बस्ती में स्कूल खोला गया है अब रोजाना स्कूल जाता हूं। समय मिलता है तो कभी कभार ढोल बजाने चला जाता हूं। हमें पढऩा बहुत अच्छा लगता है, जल्द ही हमारी अद्र्धवार्षिक परीक्षा होगी।
सुनील भांड

बहुत खुशी होती है
राजस्थान पत्रिका व शारदा बाल निकेतन द्वारा हमारी बस्ती में स्कूल खोलने से बस्ती के बच्चों का जीवन सुधर रहा है। स्कूल से आने के बाद घर पर भी पढ़ाई करते रहते हैं। जिसे देखकर बेहद खुशी होती है।
पार्वती देवी, अभिभावक


जीवन शैली ही बदल गई
हमारी बस्ती के बच्चों के लिए राजस्थान पत्रिका, शारदा बाल निकेतन व भामाशाहों के सहयोग जो नि:शुल्क स्कूल चलाई जा रही है, उससे बच्चों की पूरी जीवन शैली बदल गई है। बच्चों को देखकर बड़ी खुशी होती है। ऐसा लगता ही नहीं है कि वो कच्ची बस्ती के कचरा बीनने वाले बच्चे हैं। शिक्षा से जोडऩे के लिए शुरू की गई मुहिम अच्छी है।
ओमप्रकाश, अभिभावक

मुख्य उद्देश्य समाज में शिक्षा को बढ़ावा देना
आदर्श शिक्षण संस्थान का मुख्य उद्देश्य समाज में शिक्षा को बढ़ावा देकर जरूरतमंद बच्चों को शिक्षित करना है। इसी के तहत संस्थान द्वारा जगह-जगह नि:शुल्क संस्कार केन्द्र संचालित किए जा रहे हैं। नायक कच्ची बस्ती में राजस्थान पत्रिका की पहल पर शुरू किए गए विद्यालय को संचालित करने का अवसर जब संस्थान को मिला तो हमने इसे सहर्ष स्वीकार कर लिया। पिछले डेढ़ साल में बच्चों के रहन-सहन व शैक्षिक स्तर में काफी सुधार आया है, जिसे देखकर खुशी होती है।
भोजराज सारस्वत, जिलाध्यक्ष, आदर्श शिक्षण संस्थान, नागौर