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गोवंश के लिए ‘वरदान’ बना सरकारी अनुदान

राज्य सरकार प्रदेश की गोशालाओं की स्थिति अनुदान के माध्यम से सुधार रही है। हाल ही में गोपालन विभाग ने गोवंश के भरण-पोषण के लिए अनुदान राशि जारी की है, जो गोवंश के रखरखाव पर खर्च होगी।

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बड़े गोवंश पर 32 रुपए तथा छोटे गोवंश पर 17 रुपए प्रतिदिन खर्च किए जा रहे हैं। इस राशि से गोवंश को चारा, पानी, बांंटा खिलाया जाएगा। पशुपालन विभाग के कुचामन सिटी उपनिदेशक कार्यालय क्षेत्र की छह तहसीलों कुचामन सिटी, मकराना, नावां, परबतसर, लाडनूं व डीडवाना की 51 पंजीकृत गोशालाओं को गोपालन विभाग की ओर से करीब दो करोड़ 17 लाख रुपए का अनुदान दिया जा चुका है। अनुदान राशि दो किश्तों में उपलब्ध करवाई गई है। प्रथम किश्त की राशि का उपयोगिता प्रमाण पत्र प्रस्तुत करने के बाद दूसरी किश्त की राशि दी गई है। जानकारी के अनुसार विभाग ने कुछ समय पहले छह तहसीलों की 164 गोशालाओं की रिपोर्ट गोपालन विभाग को भेजी थी। इनमें से करीब 51 गोशालाएं ही पात्र मानी गई, जिनमें से 47 गोशालाओं को अनुदान वितरित किया गया। यही नहीं 9 गोशालाओं को तो दूसरी किश्त भी जारी कर दी गई है। राशि दो किश्तों में एक जनवरी से 14 फरवरी प्रथम किश्त तथा 15 फरवरी से 31 मार्च तक द्वितीय किश्त जारी की गई है। राशि मिलने के बाद गोवंश के लिए चारे, पानी की समुचित व्यवस्था हो रही है। इसके अलावा नागौर की 109 गोशालाओं में से सिर्फ 60 हो ही अनुदान मिला है। उनमें भी द्वितीय किश्त किसी को नहीं मिली।

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गोशाला में दो सौ गोवंश जरूरी

अनुदान के लिए गोशाला में दो सौ गोवंश होना जरूरी है। यदि नहीं है तो गोशाला को अनुदान नहीं मिल सकेगा। गोशालाओं का पंजीयन भी दो साल पुराना होना चाहिए। सरकार अनुदान प्राप्त करने वाली गोशालाओं पर पूरी नजर रखेगी। गोशालाओं को राशि का उपयोगिता प्रमाण पत्र समय पर प्रस्तुत करना होगा।

पांच साल से नहीं मिला था अनुदान

जानकारी के अनुसार गत पांच वर्षों से गोशालाओं को अनुदान राशि नहीं मिली थी। इससे गोशालाओं की दयनीय स्थिति हो गई थी। राशि मिलने से गोवंश की स्थिति में काफी सुधार होगा।

प्रत्येक गोवंश का अलग यूनिक नंबर

गोशाला में प्रत्येक गोवंश का यूनिक अलग नंबर होगा। यह नंबर टैग पर लिखा जाएगा। यूनिक नंबर गोवंश पर लगाया जाएगा। इससे उसकी पहचान होगी। इसके अलावा प्रत्येक जिले का अलग-अलग कोड भी होगा।

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आते ही वितरित कर दी राशि

गोशालाओं के लिए जो अनुदान राशि प्राप्त हुई थी, वह वितरित कर दी गई है। सिर्फ 70 हजार रुपए की राशि हमारे पास बची है। सरकार के नियमों के अनुसार उन गोशालाओं को अनुदान दिया गया, जिनमें गोवंश 200 या इससे ज्यादा हो। साथ ही पंजीयन दो वर्ष पुराना हो। गोशालाएं राशि को गोवंश के लिए चारा, पानी, बांटा आदि पर खर्च करेंगी।

- सी.आर. मेहरड़ा, उपनिदेशक, पशुपालन विभाग, कुचामन सिटी

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