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नागौर. राजस्थान राज्य संस्कृत शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण संस्थान जयपुर की ओर से ताऊसर के रतनसागर स्थित राजकीय बालिका प्रवेशिका संस्कृत विद्यालय में चल रही संस्कृत शिक्षकों की कार्यशाला में दूसरे दिन मंगलवार को पठन-पाठन की नवीन तकनीकियों से प्रशिक्षणार्थियों को अवगत कराया गया। इस दौरान संस्कृत पाठ्यपुस्तक आधारित कक्षा प्रथमा से पंचमी पर्यंत विद्यार्थियों की पाठ्य पुस्तकों में निहित पाठ्य बिंदुओं को भिन्न-भिन्न विधियों के माध्यम से अध्यापन कराने का अभ्यास कराया गया ।शिविर प्रभारी शिवराज विश्नोई ने प्रोजेक्टर से प्रत्यक्ष विधि के माध्यम से पढ़ाना सिखाया। द्वितीय कालांश में दक्ष प्रशिक्षक घनश्याम शर्मा ने कक्षा एक से पांच तक के विद्यार्थियों को कविता पाठ व स्लोगन व खेल विधि के माध्यमसे शिक्षण करना समझाया गया । दक्ष प्रशिक्षक नरेंद्र महर्षि ने संस्कृत विषय आधारित प्रशिक्षण के उद्देश्य पर चर्चा करते हुए विद्यार्थियों को नवीन विधियों में प्रत्यक्ष विधि के माध्यम से गीत गायन एवं खेल तकनीकी से आधुनिक उपकरणों का उपयोग कर शिक्षण करना सिखाया।
नासा में चल रहा 40 हजार से अधिक पांडुलिपि पर शोध
कार्यशाला में संस्था प्रधान श्रवण कुमार जाट ने अध्यापकों से बच्चों को अधिकाधिक संख्या में जोडऩे पर बल दिया। शिक्षक संदीप शर्मा ने कहा कि वर्तमान समय में संस्कृत वैज्ञानिक भाषा है। इसको ऐसे समझा जा सकता है कि नासा में प्रतिवर्ष 15 दिवस संस्कृत पढ़ाना अनिवार्य है। नासा में 40000 से भी अधिक पांडुलिपि पर शोध चल रहा है। अत: भारत में भारतीय प्राचीन ग्रंथों में ऋषि भारद्वाज के द्वारा विमान शास्त्र से लेकर ,चिकित्सा के जनक सुश्रुत के चरक संहिता व राजस्थान के परम विद्वान वाग्भट का आयुर्वेद ग्रंथ अष्टांग हृदय में विज्ञान निहित है,केवल प्राचीन ज्ञान को विज्ञान में जोडऩे मात्र की आवश्यकता है। इस दौरान भामाशाह ओमप्रकाश कच्छावा का सम्मान किया गया। कार्यक्रम में एमएमसी अध्यक्ष लाखाराम एवं चांदमल भाटी आदि मौजूद थे।
Published on:
13 Sept 2022 09:56 pm
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