Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

सरकारी नौकर बने हमारी बेटी का वर, खुद का हो मकान व छोटा हो परिवार

बेटी की शादी के लिए तलाशे जा रहे वर का पढ़ा-लिखा होने के साथ सरकारी नौकर होना पहली प्राथमिकता बन गया है।

3 min read
Google source verification
parents are chosse best pair

girs are prefrense for government servise

एक्सक्लूसिव

नागौर. बेटी की शादी के लिए तलाशे जा रहे वर का पढ़ा-लिखा होने के साथ सरकारी नौकर होना पहली प्राथमिकता बन गया है। अपना मकान हो और छोटा परिवार हो तो कहने ही क्या? गांव के मुकाबले शहरी वर को चुनना ही रानी बेटी का राज माना जा रहा है। समय के साथ आए बदलाव में कुंवारे लड़कों की संख्या बढ़ रही है, हालत यह है कि शादी का पूरा खर्चा उठाकर बाहरी राज्य की लड़की से ब्याह करना भी अब रूटीन हो गया है।

सूत्रों के अनुसार बढ़ती उम्र में भी युवक- युवतियों की शादी नहीं हो रही । कम पढ़ा-लिखा होना तो कहीं प्राइवेट नौकरी भी लड़के के विवाह में बाधा बन रहा है। परिवार का समाज में स्टेटस अब विवाह की अनिवार्य शर्तों में शामिल हो चुका है। सरकारी नौकरी की तैयारियों का बहाना भी कभी लड़के तो कभी लड़की वालों के लिए मुसीबत बन रहा है। दो-चार साल बाद भी सरकारी नौकरी तो नहीं लग रही, उलटे उम्र बढऩे के साथ शादी में परेशानी होने लगती है सो अलग।

नागौर (डीडवाना-कुचामन) को भले ही अभी तक बड़ी सिटी/एडवांस सिटी के तौर पर नहीं जाना जाता पर यहां शादी के लिए चयन उसी अंदाज में होने लगा है। सरकारी नौकरी लड़के की हो या लड़की की, इसके बाद उसकी शिक्षा का लेखा-जोखा नहीं देखा जा रहा। खास बात यह है कि अपना बेटा/बेटी भले ही सरकारी नौकरी से कोसों दूर हो पर शादी के लिए उन्हें बहू/दामाद हर हाल में गवर्नमेंट नौकर ही चाहिए। इसके बाद शादी की तमाम शर्तें मान ली जाती है। बदले में गाड़ी/सोना हो या अन्य कोई मांग, उसे पूरी करने में कोई पीछे नहीं हटता। और तो और सरकारी नौकर चुनने में अन्य प्राथमिकताएं/अनिवार्यता हाशिए पर डाल दी जाती हैं।

...ताकि रानी बेटी राज करे

अब शादी-विवाह का सीजन शुरू हो रहा है। ऐसे में शादी के बंधन में बंध रहे युवक-युवतियों के परिजनों से बातचीत में यह खुलासा हुआ। इनका कहना था कि वो हर हाल में चाहते हैं कि उनकी रानी बेटी राज करे, ससुराल अच्छा मिले, परिवार छोटा हो तो मकान के साथ अन्य सुविधाएं भी हो, दामाद सरकारी नौकर हो तो सबसे अच्छा। दूसरी प्राथमिकता किसी कम्पनी/प्राइवेट बैंक में अच्छे पैकेज वाले लड़के को दी जाती है। इसके बाद व्यापार/कारोबार से जुड़े युवक को वर बनाया जाता है। छोटी प्राइवेट नौकरी के साथ परिवार का सोशल स्टेटस और खुद का मकान नहीं होना भी युवक की शादी में रोड़ा बनते हैं।

अब बढऩे लगी विवाह की उम्र

समय के साथ आए बदलाव ने बेटी/बेटे की शादी की उम्र भी बढ़ा दी है। कुछ बरस पहले तक जहां बाल विवाह का जोर था वहां अब यह लगभग समाप्ति पर है। अब बिटिया का विवाह 21-22 साल की उम्र से शुरू हो रहा है जबकि युवक का 25-26 से। कॅरियर की तलाश में जुटे युवक/युवतियों की शादी अब तीस-तीस साल तक में होने लगी है। पहले गांव/समाज के साथ रिश्तेदारों में बेटे-बेटी के रिश्ते तलाशे जाते थे, अब यह काम सोशल साइट/वैवाहिक वेबसाइट के जरिए भी होने लगा है। बेटियां भी विवाह के बाद शहर में बसने की ज्यादा हसरत रखती हैं।

...शादी के नाम पर ठगी की वारदातें बढ़ी

पुलिस खुद मानती है कि शादी के नाम पर ठगी की वारदातें बढ़ी है। कुछ समय पहले शादी के नाम पर नाबालिग बेचने का मामला सामने आया था। नागौर के ही एक युवक से दो लाख की ठगी कर शादी का झांसा देने वाले गिरोह का खुलासा हुआ। और तो और झूठी शादी कर जेवरात के साथ नकदी ले जाने वाली लुटेरी दुल्हनों की वारदातें भी खूब सामने आई। अभी भी बिहार/यूपी से शादी कराने के बहाने ठगी के इरादे से घूमने वालों की लम्बी फेहरिस्त है।

एक्सपर्ट व्यू

पिछले बीस-पच्चीस साल में यह बदलाव तेजी से आया है। अब रिश्तेदार/समाज के लोगों की विवाह कराने में दखल कम हो गई है। बेटियां भी सेटल लड़के से शादी करना चाहती हैं, भले ही इसके लिए कितना ही इंतजार क्यों ना करना पड़े। व्यक्तिवादी सोच बढ़ गई है, सरकारी नौकर हर लड़की वाले की पहली प्रायोरिटी हो गई। यह भी यही है कि किसान हो या अन्य छोटी-मोटी प्राइवेट नौकरी करने वालों को बेटी देने में अब लोग झिझकने लगे हैं। शादी की औसत आयु भी बढ़ी है तो लड़के-लड़की अब खुद की प्राथमिकता घर वालों के समक्ष रखकर अनावश्यक रिश्ते को कैंसिल कर रहे हैं।

-डॉ. सुरेंद्र सिंह,

विभागाध्यक्ष सोशल साइंस,


बड़ी खबरें

View All

नागौर

राजस्थान न्यूज़

ट्रेंडिंग