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पदोन्नति की धीमी गति : सूची में शामिल 22 में से 13 कांस्टेबल सेवानिवृत्त, दो की हो गई मृत्यु

वर्ष 2019-20 की पदोन्नति अब, धीमी गति से चल रही है पुलिस में प्रमोशन की प्रक्रिया, पुलिस में पदोन्नति प्रक्रिया धीमी होने का खमियाजा भुगत रहे पुलिसकर्मी, एसपी ने कहा - उन्होंने आने के बाद बढ़ाई गति, पदोन्नति की पुरानी पैंडेंसी है, जिसे मार्च तक पूरा कर देंगे

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Nagaur SP office

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नागौर. पुलिस विभाग में पदोन्नति प्रक्रिया की सुस्ती एक बार फिर चर्चा में है। स्क्रीनिंग पद्धति से होने वाली कांस्टेबलों की पदोन्नति तहत वर्ष 2019-20 की सूची अब यानी छह साल बाद तैयार की गई है, जबकि इस सूची में शामिल 22 पुलिसकर्मियों में से 13 कर्मचारी सेवानिवृत्त हो चुके हैं और दो का निधन भी हो चुका है। ऐसे हालातों ने पुलिसकर्मियों की निराशा और विभागीय प्रक्रियाओं की धीमी गति को उजागर किया है। इसका खमियाजा आज पुलिसकर्मियों को भुगतना पड़ रहा है।

जिला पुलिस अधीक्षक मृदुल कच्छावा ने स्क्रीनिंग पद्धति के तहत इस सूची को अंतिम रूप देते हुए बताया कि वर्षों से लंबित पदोन्नतियों की फाइलों को व्यवस्थित करने का काम तेजी से किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि हालांकि पुलिसकर्मियों की पदोन्नति किसी एक अधिकारी के हाथ में नहीं है, इसके लिए बनने वाले चयन बोर्ड में रेंज आईजी, एसपी व डीजीपी के प्रतिनिधि शामिल होते हैं, लेकिन फिर भी इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि पहले के वर्षों में पदोन्नति प्रक्रिया काफी धीमी रही।

ये हुए सेवानिवृत्त

स्क्रीनिंग पद्धति से हैड कांस्टेबल पद पीसीसी के लिए चयन सूची तैयार कर योग्यात्मक परीक्षा के लिए जिन 22 कांस्टेबलों के नाम शामिल किए गए हैं, उनमें से भींयाराम, ताराचंद, हनुमानराम, योगीराज किशोरसिंह, मन्नीराम, गणपतलाल, रामचंद्र, हनुमानराम, दिनेश कुमार, बलवीरसिंह, बजरंगलाल सेवानिवृत्त हो गए, जबकि विजयगोपाल सांखला व बाबूलाल ने ऐच्छिक सेवानिवृत्ति ले ली। वहीं गोपालराम व चोखाराम की मृत्यु हो गई।

पदोन्नति में देरी से बढ़ी नाराजगी

पुलिसकर्मियों का कहना है कि पदोन्नति में देरी से न केवल उनका मनोबल टूटता है, बल्कि सेवा के अंतिम वर्षों में मिलने वाले आर्थिक लाभ और पद का सम्मान भी प्रभावित होता है। कई मामलों में कर्मचारी पूरी सेवा पदोन्नति की प्रतीक्षा में निकाल देते हैं, लेकिन प्रक्रिया पूरी होने तक वे सेवानिवृत्त हो जाते हैं। 2019-20 की सूची इसका सबसे बड़ा उदाहरण है, जिसमें आधे से अधिक कर्मचारी अब सेवा में ही नहीं रहे।

पुलिसकर्मियों में उम्मीद की नई किरण

नागौर एसपी की ओर से प्रक्रिया तेज करने की घोषणा के बाद पुलिसकर्मियों में उम्मीद जगी है कि अब पदोन्नति के मामलों पर वर्षों तक इंतजार नहीं करना पड़ेगा। इस कदम से न केवल विभागीय कार्यप्रणाली में सुधार आएगा, बल्कि पुलिसकर्मियों का मनोबल भी बढ़ेगा। पुलिसकर्मियों ने मांग की है कि पदोन्नति प्रक्रिया को समयबद्ध करने के लिए स्थायी कार्ययोजना बनाई जाए और हर वर्ष की स्क्रीनिंग निर्धारित समयसीमा में पूरी की जाए। इससे सेवा के दौरान मिलने वाले अवसरों का लाभ सभी पात्र कर्मियों को सही समय पर प्राप्त हो सकेगा। गौरतलब है कि एसपी कच्छावा ने नागौर में ज्वाइन करने के दौरान इस बात का जिक्र किया था कि वे पदोन्नति की प्रक्रिया को गति देंगे।

पुरानी देरी की भरपाई कैसे

हालांकि भविष्य में तेजी की बात कही जा रही है, लेकिन पिछले वर्षों में पदोन्नति न मिलने से हुए नुकसान की भरपाई कैसे होगी, यह सवाल अब भी बना हुआ है। कई पुलिसकर्मियों के परिवार इस देरी की वजह से आर्थिक और भावनात्मक नुकसान उठा चुके हैं। फिलहाल, विभाग की ओर से किए जा रहे प्रयासों से यह उम्मीद जरूर जागी है कि नागौर पुलिस में पदोन्नति संबंधी पेंडेंसी जल्द ही इतिहास बन जाएगी और कर्मचारियों को अब समय पर उनका हक मिल सकेगा।

एसपी बोले- पुरानी पेंडेंसी को मार्च तक किया जाएगा समाप्त

एसपी मृदुल कच्छावा ने कहा कि उन्होंने कार्यभार संभालने के बाद पदोन्नति से संबंधित पुराने मामलों की समीक्षा कर गति बढ़ाई है। उनके अनुसार, पदोन्नति की लंबित फाइलें वर्षों पुरानी हैं, जिन्हें व्यवस्थित करने में समय लग रहा है, पर अब लक्ष्य है कि मार्च 2026 तक सभी लंबित पदोन्नति प्रकरण निस्तारित कर दिए जाएं। उन्होंने यह भी बताया कि स्क्रीनिंग प्रक्रिया को पारदर्शी और समयबद्ध बनाने के लिए विशेष टीम गठित की गई है। विभागीय रिकॉर्डों के डिजिटलीकरण और टाइम-बाउंड कार्रवाई के प्रयास भी किए जा रहे हैं, ताकि भविष्य में पुलिसकर्मियों को इस प्रकार की देरी का सामना न करना पड़े। एसपी ने बताया कि जो सेवानिवृत्त हो गए, उन्हें पेंशन में लाभ मिलेगा।