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खींवसर./नागौर. मनरेगा संविदाकर्मियों की अनिश्चितकालीन हड़ताल को लेकर सरपंच संघ ने समर्थन देते हुए नरेगा कर्मियों की मांगें नहीं मानने पर 28 मई से प्रदेशभर में ग्राम पंचायतों के तालेबन्दी करने की चेतावनी दी है। प्रदेश में मनरेगा संविदा कार्मिक अपनी मांगों को लेकर सामूहिक अवकाश पर है। सरकार के स्तर पर आधे कार्मिकों को स्थाई कर वंचितों के साथ अन्याय किया जा रहा है इस कारण सरपंच संघ ने कार्मिकों की मांगों का समर्थन किया है। सरपंच संघ की बैराथल सरपंच कमला गुजर ने कहा कि सरकार शीघ्र एसएसआर भर्ती 2013 एवं कनिष्ठ लिपिक भर्ती 2013 को तीन दिवस में शुरू की जावे एवं विज्ञापित समस्त पदों पर नियुक्तियां प्रदान की जावे। नहीं तो 28 मई को सम्पूर्ण राजस्थान में ग्राम पंचायतों की तालाबंदी कर ग्रामीण एवं पंचायतीराज विभाग की समस्त योजनाओं का सरपंच संघ बहिष्कार किया जाएगा।
24वें दिन हड़ताल जारी
अपनी विभिन्न मांगों को लेकर मनरेगा कार्मिक संघ का धरना गुरुवार को 24वें दिन भी जारी रहा। इस दौरान पंचायत समिति कार्यालय के सामने बैठे मनरेगा कार्मिकों ने सरकार पर तानाशाही का आरोप लगाते हुए शीघ्र सुनवाई नहीं करने पर आन्दोलन तेज करने की चेतावनी दी है। इस दौरान मनरेगा कार्मिक संघ के ब्लॉक अध्यक्ष गोरखाराम गुजर ने कहा कि सरकार ग्रामीण विकास में महत्वपूर्ण योगदान देने वाले कार्मिकों की अनदेखी कर रही है। उन्होंने कहा कि सरकार मनरेगा कार्मिकों की मांगों पर शीघ्र सुनवाई करे नहीं तो बड़ा आन्दोलन किया जाएगा। धरने पर लेखा सहायक पप्पुराम धौलिया, ग्राम रोजगार सहायक बलदेवराम, विक्रमसिंह राजपुरोहित, पुरबाराम, माणकचन्द जोशी, सोनाराम, उगराराम, रामलाल भाम्भू सहित कई जने मौजूद थे।
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जिले में गुरुवार को भी नहीं बंटी डाक, कार्यालयों में लगे ढेर
बैठे रहे धरने पर, नहीं हुआ डाक वितरण
नागौर. ग्रामीण डाक सेवक एवं अखिल भारतीय डाक कर्मचारी यूनियन पोस्टमैन एवं एमटीएस की गुरुवार को भी हड़ताल जारी रहने से जिले में डाक वितरण की सेवाएं ठप रही। इसकी वजह से सभी 14 ब्लॉकों के शहर एवं ग्रामीण क्षेत्रों के कार्यालयों में वितरण के लिए आए डाक्यूमेंट्स आदि रखे रह गए। हड़ताल की जानकारी मिलने के बाद लोग खुद ही डाक विभाग में गुुरुवार को अपने आवश्यक दस्तावेज लेने के लिए पहुंचे। इस दौरान प्रधान डाकघर के समक्ष डाककर्मी धरने पर बैठे रहे। धरना स्थल पर परिमण्डल सचिव सत्यनारायण गौतम ने कहा कि समझौता होने के बाद सरकारें व विभागीय अधिकारी भी किए वायदों को भुला देते हैं। इस बार के आंदोलन को हल्के में लेने वाले बिगड़े हालात के जिम्मेदार खुद होंगे। इसमें नथमल शर्मा, रामनिवास खोजा, रामचंद्र बिश्नोई, गोपालराम चौधरी व गोपालदान चारण उपस्थित थे।
Published on:
25 May 2018 11:45 am
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