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मिलीभगत के खेल में अवैध कब्जे की होड़ में प्रतापसागर तालाब का बदला जा रहा मूल स्वरूप…VIDEO

नागौर. प्राकृतिक जलस्रोतों में शामिल प्रतापसागर तालाब को जिम्मेदारों की बेपरवाही निगलने लगी है। इसमें सीवरेज का गंदा पानी चुपचाप डाला जा रहा है। ताकि तालाब के मूल स्वरूप को पूरी तरह से बदला जा सके। इसके कारण इसकी स्थिति अब बेहद खराब हो चुकी है। गंदे पानी के कारण तालाब के जैविक प्रकृति पर […]

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नागौर. प्राकृतिक जलस्रोतों में शामिल प्रतापसागर तालाब को जिम्मेदारों की बेपरवाही निगलने लगी है। इसमें सीवरेज का गंदा पानी चुपचाप डाला जा रहा है। ताकि तालाब के मूल स्वरूप को पूरी तरह से बदला जा सके। इसके कारण इसकी स्थिति अब बेहद खराब हो चुकी है। गंदे पानी के कारण तालाब के जैविक प्रकृति पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है। सूत्रों की माने तो यह कथित रूप से मिलीभगत का खेल तालाब को पूरी तरह से खत्म कर इसकी बेशकीमती जमीन पर कब्जे का है। यही वजह रही कि इसके आसपास के एरिया में दर्जनों की संख्या में खड़े अवैध निर्माण प्रावधानों को बेधडक़ अंगूठा दिखा तार-तार करने में लगे हुए हैं।
सीवरेज पाइप से आ रहा गंदा पानी
बालवा रोड पर सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट स्थापित होने के बाद भी नया दरवाजा के निकट स्थित प्रतापसागर तालाब में आवासीय बस्तियों का गंदा पानी डाला जा रहा है। गंदे पानी को तालाब में डाले जाने के लिए बाकायदा पाइपलाइन भी लगी हुई है। सूत्रों के अनुसार अनुमानत: एक दिन में औसतन एक हजार लीटर से ज्यादा का पानी इसमें डाला जा रहा है। यह खेल पिछले पांच सालों से चल रहा है। इसके साथ ही तालाब के किनारों पर कई जगह कचरों के ढेर बिखराए गए हैं। ताकि तालाब का एरिया और भी कम किया जा सके।
तालाब का बदल रहा मूल स्वरूप
शहर के नया दरवाजा जाने वाले का प्रतापसागर तालाब में गंदे पानी के लगातार डाले जाने के कारण तालाब एरिया में जाते ही दुर्गन्ध का सामना लोगों को करना पड़ता है। स्थिति यह हो गई है कि इसके दोनों ओर के किनारों पर सीढिय़ों के पास खतरनाक कचरों का भंडार जमा हो चुका है। इसकी वजह से इस तालाब की जैविक प्रकृति बदलने के साथ ही आसपास न केवल दुर्गन्ध का वातावरण बना रहने लगा है। विशेषज्ञों की माने तो तालाब को जल्द ही प्रदूषण मुक्त नहीं कराया गया तो फिर जैविक प्रदूषण के साथ ही अन्य पर्यावरणीय खतरनाक प्रभाव भी तेजी से पड़ेंगे।
प्रशासन को तुरन्त आवश्यक कदम उठाने चाहिए
पर्यावरणविद् पद्मश्री हिम्मताराम भांभू का कहना है कि प्रतापसागर तालाब में गंदे पानी का डाला जाना बंद नहीं हुआ तो फिर यह भूजल के साथ ही आसपास के जलस्रोत को भी प्रभावित करेगा। इसकी वजह से आसपास के क्षेत्रों में न केवल बीमारियां उपजेंगी, बल्कि जैविक प्रदूषण के चलते हालात और ज्यादा बिगड़ जाएंगे।
एक्सपर्ट व्यू
कृषि महाविद्यालय के कृषि अर्थशास्त्री डॉ. विकास पावडिय़ा से बातचीत हुई तो उन्होंने बताया कि कि सीवरेज के जाने वाले गंदे पानी को पशु, पक्षी भी नहीं पी सकते हैं। इसमेेंं मौजूद विषैले पदार्थ जलीय जीवन को नष्ट कर देते हैं। जलीय जीवन नष्ट होने पर पर्यावरण पर प्रभाव पड़ता है।
इनका कहना है…
प्रतापसागर तालाब एरिया व इसके स्थिति की जांच करा ली जाएगी। इसके बाद ही सही वस्तुस्थिति बताई जा सकती है।
हरदीप सिंह, तहसीलदार, नागौर