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काया कल्प के नाम पर नागौर रेलवे स्टेशन की बिगड़ी सूरत… परेशान लोगों की सुने जुबानी…

देश के रेल और प्रधान मंत्री भले ही कितने बड़े-बड़े दावे कर रहे हों, लेकिन उनके दावों की हकीकत नागौर के रेलवे स्टेशन पर देख लें। यहां कायाकल्प के नाम पर चहुंओर की गई तोड़फोड़ के बाद किसी जिम्मेदार का ध्यान नहीं।

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देश के रेल और प्रधान मंत्री भले ही कितने बड़े-बड़े दावे कर रहे हों, लेकिन उनके दावों की हकीकत नागौर के रेलवे स्टेशन पर देख लें। यहां कायाकल्प के नाम पर चहुंओर की गई तोड़फोड़ के बाद किसी जिम्मेदार का ध्यान नहीं।

सिर्फ निर्माण करने वाली एजेंसी मनमानी कर रही। अ​धिकारी तो मानों यहां आकर ही नहीं झांक रहे। अब यात्रियों को यहां शौचालय तक की सुविधा नहीं मिल रही। महिलाएं यहां-वहां भटक रही। सफाई के नाम पर करोड़ों फूंक रहे रेलवे के नागौर स्टेशन पर पार्क में गंदगी के ढेर जमा हो गए। रेलवे के अ​धिकारी इस मामले में कुछ नहीं बोल रहे। पूछने पर बोलने का अ​धिकार नहीं कहकर चुप्पी साध रहे। ऐसे में अब रेलमंत्री ही इसे देखें कि नागौर के लोग उनके दिखाए सपने से रेलवे स्टेशन पर कितने परेशान हो रहे।

पहला उदाहरण, यहां पहले से बने माल गोदाम की पट्टियों की छत हटाए बिना उसके ऊपर आरसीसी की छत बना दी। दोनों छतों के बीच लम्बे समय तक पानी भरा रहने से माल गोदाम की पट्टियों की छत व दीवार पूरी तरह खराब हो चुकी। यहां काम करने वाले रेलवे कर्मचारी डर के साये में ड्यूटी कर रहे।

दूसरा उदाहरण रेलवे स्टेशन के मुख्य द्वार के आगे बन रहे पोर्च में देखने को मिल रहा। स्थानीय दुकानदारों ने बताया कि पिछले दो-तीन महीने से ठेकेदार अडाण लगाकर काम नहीं कर रहा, अब पता चला कि पोर्च निर्माण में कमी रह गई, इसलिए अधिकारी इसे तोडकऱ वापस बनाने के लिए कह रहे बताए। एक तो पहले ही स्टेशन का निर्माण कार्य धीमा चल रहा और अब इसमें यदि अतिरिक्त समय लगा तो आने वाले छह महीने ही काम पूरा नहीं होगा। एक जानकारी के अनुसार रेलवे ने नागौर रेलवे स्टेशन का पुनर्विकास कार्य करने के लिए 17.11 करोड़ का बजट स्वीकृत किया बताया।

पार्क हो रहा बदहाल

कुछ समय पहले रेलवे स्टेशन पर बने पेशाबघर को तोडकऱ रेलवे ने यहां पार्क विकसित किया था। इसमें एक फव्वारा भी लगाया था। उस समय किसी बड़े अधिकारी का निरीक्षण था, इसलिए एक बार पार्क बनाकर दिखा दिया, लेकिन उसके बाद उसकी देखभाल नहीं हुई। अब पार्क बदहाली का शिकार हो रहा। पार्क में बड़ी-बड़ी घास उग कर सूख चुकी और लोगों ने कचरा डालकर इसे कचरा पात्र बना दिया।

पेशाबघर नहीं होने से महिला यात्री परेशान

रेलवे स्टेशन पर पूर्व में बने पेशाबघर को तोड़ दिया। अब पूरे स्टेशन पर पेशाब करने की सुविधा नहीं रही। इससे महिला यात्रियों को काफी परेशानी हो रही। औपचारिकता के लिए रेलवे ने एक केबीननुमा पेशाबघर रखा, लेकिन उसके आसपास व अंदर इतनी गंदगी हो गई कि वहां कोई जाना तक पसंद नहीं कर रहा।

बोले शहरवासी…

रेलवे स्टेशन के मुख्य द्वार पर निर्माणाधीन पोर्च का काम पिछले दो-ढाई महीने से बंद है। न तो अधिकारी ध्यान दे रहे हैं और न ही ठेकेदार काम कर रहा है। रेलवे स्टेशन पर सुविधाओं का भी अभाव है। प्रवेश का रास्ता संकरा होने से लोगों को परेशानी होती है, लेकिन कोई ध्यान नहीं दे रहा।

सोहनलाल भाटी, स्थानीय निवासी

रेलवे स्टेशन पर जाने के लिए बनाए गए अस्थाई रास्ते पर गड्ढ़े व नाले खुले होने के कारण आए दिन हादसे हो रहे हैं। एक दिन पहले ही एक चालक का हाथ टूट गया। दो गेट है, दोनों पर बड़े-बड़े गड्ढ़े हैं, न तो रेलवे सुनवाई करता है और न ही नगर परिषद।

समंदर सिंह, ऑटो चालक

स्टेशन पर पेशाबघर की सुविधा नहीं है, इसके कारण यात्रियों को परेशानी होती है। स्टेशन पर जाने का रास्ता छोटा है, इससे वाहनों के आने-जाने में परेशानी होती है। इसकी बजाए सर्किट हाउस की तरफ एक रास्ता खोल दिया जाए तो कुछ राहत मिल सकती है।

गंगाराम, शहरवासी

रेलवे स्टेशन पर न तो महिलाओं के लिए टॉयलेट की व्यवस्था है और न ही टिकट खिडक़ी की तरफ छाया की सुविधा है। रेलवे को इस ओर ध्यान देकर यात्रियों की सुविधा के लिए टॉयलेट बनवाना चाहिए।

सुमन, महिला यात्री