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लाइसेंस और यातायात नियम पस्त, अफसर चालान और वसूली में व्यस्त

- परिवहन निरीक्षक नहीं रहते ड्यूटी पर, जानकारी देने से भी कतराते रहे जिम्मेदार - उप जिला परिवहन कार्यालय कुचामन के हाल- बेहाल- ट्रांसपोर्टर का नाम लेने पर वाहन को रवाना, जांच के नाम पर खानापूर्ति

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लाइसेंस और यातायात नियम पस्त, अफसर चालान और वसूली में व्यस्त

ओवरलोड सवारी

हेमन्त जोशी

कुचामनसिटी. कुचामन से गुजर रहे किशनगढ़ हनुमानगढ़ मेगा हाइवे पर २४ घण्टे परिवहन निरीक्षक वाहनों की जांच करते नजर आ जाएंगे। वाहनों की जांच भले ही पूरी होती है, लेकिन चालान में महज औपचारिकता निभाई जाती है। परिवहन विभाग के अधिकारियों से इस संबंध में पूछने पर वे जवाब देने से बचते रहे। परिवहन निरीक्षक ने जब जानकारी नहीं दी तो जिला परिवहन अधिकारी से जानकारी जुटाने का प्रयास किया पर उन्होंने भी कोई जवाब नहीं दिया। आखिर विभाग कार्रवाई के आंकड़ें क्यों छिपा रहा है यह तो जिम्मेदार अधिकारी ही जाने।
सूत्रों के अनुसार कुचामन परिवहन निरीक्षक खुद ड्यूटी पर कम रहते हैं, इसलिए उनकी ओर से चालान की कार्रवाई नहीं की जाती। ऐसे में हाइवे पर ज्यादातर नावां के परिवहन निरीक्षक और मकराना परिवहन निरीक्षक ही रहते हैं।

पत्रिका की पड़ता में सामने आया कि हाइवे पर चलने वाले अधिकांश वाहन ओवरलोड जाते हैं। वह चाहे बजरी से भरे वाहन हो या फिर मकराना के मार्बल व नावां के नमक की। इन वाहनों की जांच के नाम पर निरीक्षक महज औपचारिक जानकारी लेते हैं। ट्रांसपोर्टर का नाम लेने पर वाहन को रवाना कर दिया जाता है। परिवहन विभाग के दस्ते में शामिल रहे एक पूर्व सैनिक ने बताया कि परिवहन विभाग में दलाल सक्रिय है। यह दलाल ही विभाग से तालमेल रखते हैं। इसके अलावा भी जांच के दौरान गार्ड खुलेआम ट्रक चालकों से पैसे वसूलते हैं। खास बात यह है कि यह गार्ड पूर्व सैनिक ही होते हैं जो विभाग में संविदा पर कार्य करते हैं। एक कर्मचारी ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि ड्यूटी के दौरान उगाही के लिए एक निजी व्यक्ति भी साथ रहता है जो ना तो विभाग में है और ना संविदा पर। यह दलाल बिना वर्दी के रहता है।
जहां जान का खतरा, वहां जांच नहीं-

विभाग के अधिकारी अपनी ड्यूटी के प्रति इतने समर्पित है कि वह हाइवे को छोड़कर नहीं जाते। यही कारण है नावां- कुचामन, कुचामन-मकराना चलने वाली सवारी गाड़ियों और जीपों की कभी जांच नहीं होती। इस कारण यह गाड़ियां क्षमता से अधिक सवारियां भरकर सड़कों पर दौड़ती हैं। यही नहीं कई स्कूल बसें भी क्षमता से अधिक बच्चों को भरकर आवाजाही करती है। इनकी भी कभी जांच नहीं होती। शहर में चलने वाले अधिकांश सवारी टेम्पो पर नम्बर तक नहीं है और मनमाना किराया वसूल करते हैं। इनकी भी जांच करने के लिए विभाग के पास समय नहीं है।
लाइसेंस बनाने में भी दलाल सक्रिय-

विभाग का दफ्तर शहर से दूर धनजी के बाग में स्थित है। वहां ना तो निरीक्षक मिलते है और ना ही कोई कार्मिक। महज यहां गार्ड मिलता है। दफ्तर में एक कर्मचारी है और वह भी कभी दफ्तर में रहता है तो कभी बाहर।
पूरे साल में बने १८६७ लाइसेंस

परिवहन विभाग की माने तो इस साल १ जनवरी से अब तक १८६७ लाइसेंस जारी किए गए है। इसके अलावा करीब ६०० लाइसेंस नवीनीकरण भी हुए है। इनमें से अधिकांश लाइसेंस दलालों के जरिए ही बनाए गए है। कारण भी स्पष्ट है कि विभाग के पास ना ट्रायल ट्रेक है ना और ना ही शहरवासी लाइसेंस बनवाने के लिए दफ्तर पहुंचते हैं।
चालान की नहीं जानकारी

पत्रिका द्वारा परिवहन निरीक्षक समेत जिला परिवहन अधिकारी से कुचामन कार्यालय से जारी किए गए लाइसेंस व चालान की जानकारी मांगी गई। लेकिन अधिकारी चालान की जानकारी छिपाते हुए दोनों ही अधिकारी जवाब देने से बचते रहे।
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इनका कहना-
चालान की जानकारी नही दे रहे हैं तो गलत है। फ्लाइंग टीम चालान की कार्रवाई करती है। यह सतत प्रक्रिया है। जिला परिवहन अधिकारी छुट्टी पर है।

डॉ. वीरेन्द्र,
संभागीय परिवहन अधिकारी, अजमेर।