
संदीप के एक बच्चा है, घर से पेशी के लिए निकला तब घर वालों ने संभलकर जाने और जल्द लौट आने को कहा था।
संदीप के एक बच्चा है, घर से पेशी के लिए निकला तब घर वालों ने संभलकर जाने और जल्द लौट आने को कहा था। अब किसे पता था कि संदीप आएगा तो जिंदा नहीं, लाश में तब्दील होकर। संदीप के पिता सुबक रहे थे। करीब सवा साल तक नागौर जेल में रहा। 12 सितंबर को जमानत के बाद सीधा अपने घर पहुंचा। घर वालों के साथ रिश्तेदार ही नहीं यार-दोस्त तक खुश थे। किसे पता था कि जल्द ही इन खुशियों को नजर लग जाएगी।
ध्यान-पूजा का काम
सूत्र बताते हैं कि संदीप जब नागौर जेल में आया था तो गैंगस्टर होने के साथ जेल स्टाफ भी तरह-तरह की बात सोच रहा था, लेकिन उसके सीधे स्वभाव का पता कुछ ही दिन में चल गया। बताया जाता है कि संदीप ने बेरक के बजाय अलग सेल में रखने के लिए कई बार जेलर से विनती की। ध्यान के साथ पूजा/योग में ही वो अपना समय बिताता था, कम बोलता था, सलीके का व्यवहार ऐसा कि सभी बंदी उससे घुले हुए थे। करीब एक महीने पहले एक कथावाचिका जेल में पहुंची, उन्होंने बंदियों को प्रवचन दिया। तब भी संदीप ने ऐसे कार्यक्रम कराने का जेल प्रबंधन से आग्रह किया।
सुरक्षा के नाम पर चूक
शहर का व्यस्ततम कलक्ट्रेट चौराहा, एसपी का बंगला, उससे सटी कोर्ट। नगर परिषद, जिला कलक्ट्रेट, कुछ दूरी पर स्टेशन भी। बावजूद इसके सोमवार को इस लिहाज से भारी चूक दिखी। रोजाना अदालत में बीस-तीस बंदी, अलग-अलग थाने अथवा जेल से आते हैं। उनके साथ सुरक्षा के जवान भी होते हैं। बावजूद इसके जब संदीप पर फायरिंग हुई थी, तब बंदियों को लेकर अदालत आए पुलिसकर्मी अपने ही इंतजाम में लगे रहे। वे अपने साथ के बंदियों को संभालते रहे। मुख्य चौराहे पर ट्रेफिक के दो जवान जरूर तैनात थे। इस व्यस्ततम जगह पर खुलेआम फायरिंग करने की हिम्मत ने सुरक्षा व्यवस्था पर भी सवालिया निशान खड़ा कर दिया।
ऐसा नहीं ऐसा हुआ होगा, शाम तक चलती रही चर्चा
फायरिंग के बाद तरह-तरह की बातें सुनने को मिली। अन्य बंदियोंं के साथ आए एक पुलिसकर्मी ने कहा कि गोली मारने वाले तो संदीप के साथ ही आए थे। किसी ने कहा कि उसके दो गोली मारने के बाद एक शातिर ने फिर जाकर उसके सिर पर गोली मारी। एक पुलिसकर्मी ने बताया कि दिनेश और संदीप को एक ही दिन पेशी पर क्यों बुलाया। ऐसा हो सकता है कि इनकी आपसी गैंगवार में ही संदीप को स्थानीय बदमाश ही गोली मार गए।
जेल में गैंगवार की आशंका
दिनेश को सोमवार के दिन अदालत में पेशी के बाद नागौर जेल भेज दिया गया। अब मुश्किल यह कि उसके सामने के तीन-चार आरोपी पहले ही यहां बंद हैं। ऐसे में गैंगवार की आशंका से जेलर राज महेंद्र ने इधर-उधर स्थिति बताई। उसकी अगली पेशी मंगलवार को होने की वजह से पहले उसका यहां रुकना जरूरी हो गया था। बाद में जेल प्रबंधन ने सावधानी वश उसे भीलवाड़ा जेल वापस भिजवा दिया।
एडीजी एसओजी व अजमेर आईजी ने देखा घटनास्थल
नागौर. एडीजी एसओजी अशोक राठौड़ व अजमेर रेंज आईजी रूिपदंर िसंह ने देर रात घटनास्थल का मौका मुआयना िकया। बाद में एसपी राममूिर्त जोशी, एएसपी राजेश मीना, सीओ िवनोद कुमार सीपा समेत अन्य पुलिस अधिकारियों की बैठक ली।
हरियाणा गैंग की कारस्तानी
सूत्रों का कहना है कि देर शाम पुलिस को मिली जानकारी के बाद फायरिंग में हरियाणा की गैंग के शामिल होने की बात पुख्ता हुई। इनमें से एक आरोपी तो संदीप के गांव का ही रहने वाला बताया गया है। हालांकि पुलिस की ओर से अभी यह स्पष्ट नहीं किया गया कि उसने इनको अपनी गिरफ्त में लिया है या नहीं, लेकिन माना जा रहा है कि इनमें से तीन जने पुलिस के कब्जे में आ चुके हैं।
पोस्टमार्टम के बाद कहा, ले जाओ शव, तनातनी
सूत्र बताते हैं कि दिनभर चली कवायद के बाद पहले तो यह तय हो गया कि पोस्टमार्टम मंगलवार की सुबह होगा, लेकिन शाम होते-होते शव को पोस्टमार्टम कराने का दबाव बनता गया । रात करीब आठ बजे पोस्टमार्टम की प्रक्रिया शुरू हुई, पहले तो वीडियोग्राफर ही नहीं आया। कोतवाली सीआई हनुमान सिंह, एसआई शिवसिंह की मौजूदगी में पोस्टमार्टम हुआ। इसके बाद शव ले जाने की बात पर परिजन व पुलिस में संवाद हुआ, एक बार तो तनातनी हो गई। बताया जाता है कि किसी पुलिसकर्मी ने शव को एम्बुलेंस में रखवाकर तुरंत रवाना करने को कहा, इस पर संदीप के किसी जानकार ने इस पर आपत्ति जता दी। उसने यहां तक कह दिया कि राजनीति मत करो, राजनीति करना हमको भी आता है। इसके बाद आपसी बातचीत के दौरान रात ढाई बजे बाद शव ले जाने की बात पर सहमति बनी।
इनका कहना
फायरिंग हरियाणा के गिरोह ने की है, अब तक की जांच में पता चला है। आरोपियों का हुलिया व अन्य जानकारी भी मिल चुकी है, जल्द ही उनको गिरफ्तार कर लिया जाएगा। मामले की जांच एसओजी को सौंपने जैसी कोई बात नहीं है।
-अशोक राठौड़, एडीजी, एसओजी नागौर।
Published on:
19 Sept 2022 10:34 pm
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